देश में बैडमिंटन की बात करें तो अभी तक दक्षिण भारत का ही दबदबा दिखाई पड़ता है, लेकिन इस दबदबे को जल्द ही चुनौती मिलने वाली है राजधानी दिल्ली से, क्योंकि अशोक विहार स्थित प्रूडेंस अपने क्लास 10 में तान्या मलिक नाम की एक ऐसी शटलर को नर्चर कर रहा है, जिसने पिछले छह महीने में ही आंध्रा में आयोजित स्कूल नेशनल बैडमिंटन चैम्पियनशिप में सिल्वर मेडल, बैडमिंटन अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया द्वारा इसी साल जनवरी में आयोजित दिल्ली स्टेट बैडमिंटन चैम्पियनशिप में गर्ल्स अंडर 17 में सिल्वर मेडल जीत कर एक बड़ी चुनौती पेश कर दी है।
फुल ऑफ़ एनर्जी, वाइब्रेंट, कमिटेड, डेडिकेटेड, पोसिटिव, एथूजियास्टिक, रेडी टू मूव। तान्या के बारे में जितना कहा जाए, उतना कम है। जो करती है उसमे अपना 100 % लगा देती है। इसके पीछे तान्या की माँ की परवरिश और प्रूडेंस के माहौल का बड़ा योगदान है। तान्या और प्रूडेंस का रिश्ता तब का है जब तान्या प्रेप में थी , उसकी माँ ने उसे सब कुछ खेलने का मौका दिया और उसके बाद तय किया कि वह क्या बेहतर कर सकती है।
तान्या की माँ सिंगल पैरेंट हैं और तान्या उनकी सिंगल चाइल्ड, ऐसे में इसे बैडमिंटन को करियर बनाने की आजादी देना इतना भी आसान नहीं था, क्योंकि प्रैक्टिश और टूर्नामेंट के अलावा चोट भी उसे स्कूल से दूर कर रहे थे। वर्ष 2018 में तो उसे एक चोट की वजह से चार महीने घर पर रहना पड़ा था , ऐसे में एक बार तो तान्या की माँ का इरादा भी बदलने लगा था , लेकिन य तान्या का जूनून ही था कि वह न सिर्फ उस चोट से उबरी बल्कि एक के बाद एक कई मेडल भी जीते।