– सर गंगाराम अस्पताल ने हवा से कैंसर होने का दावा किया
– 28 साल की युवती को हुआ फेफड़ों का कैंसर
– ICMR ने भी हवा के जहरीले होने का किया था दावा
– पहली बार सामने आई दमघोंटू दिल्ली की सच्चाई
नई दिल्ली, 29 जुलाई। दुनिया के सबसे प्रदूषित शहर दिल्ली की हवा इतनी जहरीली हो गई है कि इसमें लगातार साँस लेने से फेफड़े का कैंसर होने लगा है। यह दावा है राजधानी के सर गंगाराम अस्पताल के डॉक्टरों का। उनका दावा है कि उनके पास एक 28 साल युवती है, जिसे फेफड़े का कैंसर हो गया है।
खास बात यह है कि युवती के राजधानी की जहरीली हवा में साँस लेने के अलावा और कोई भी ऐसा कारण नहीं दिखता है। इसे दिल्ली की जहरीली हवा से कैंसर होने के पहले प्रमाणित साक्ष्य के तौर पर भी देखा जा रहा है।
सेंटर फॉर चेस्ट सर्जरी के चेयरमेन डॉ. अरविंद कुमार बताते हैं कि बीते सप्ताह उनकी ही ओपीडी में मरीज जांच के लिए आई थी। युवती पिछले 28 वर्ष से दिल्ली में रह रही है। जन्म लेने से स्कूल जाने की शुरुआत यानि करीब 6 वर्ष तक ये दिल्ली के गाजीपुर इलाके में रहते थे, लेकिन इसके बाद पूरा परिवार पश्चिमी दिल्ली में आकर रहने लगा। किसी भी सदस्य के परिवार में धूम्रपान करने का रिकॉर्ड भी नहीं मिला है। जाहिर है ये सीधा मामला वायु प्रदूषण से ही जुड़ा है।
सरकार चाहे तो कहीं भी चेक करा ले
लोकसभा में वायु प्रदूषण को लेकर पूछे गए प्रश्न पर केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने बताया कि वायु प्रदूषण को लेकर केंद्र स्तर पर कई कार्य किए जा रहे हैं, लेकिन अभी तक सीधेतौर पर प्रदूषण से मौत होने का कोई मामला सामने नहीं आया है। इस पर डॉ. अरविंद कुमार का कहना है कि अगर सरकार चाहे तो दिल्ली की युवती के केस पर किसी भी संस्था से शोध या अध्ययन करा सकती है।
डॉ. अरविन्द बताते हैं कि अमेरिया, यूरोप या भारत हो, मानव संरचना सभी की समान है। इसमें प्रदूषण साइलेंट किलर की तरह काम करता है जिसका असर एक-दो नहीं, बल्कि 20-30 साल बाद दिखता है। डब्ल्यूएचओ भी इसे दुनिया भर में जन स्वास्थ्य आपात (पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी) घोषित कर चुका है।
बढ़ रहे हैं फेफड़े की बीमारियों के मरीज
एम्स के पूर्व प्रोफेसर सब्यसाची बल का कहना है कि उनके यहां फोर्टिस वसंतकुंज अस्पताल में हर महीने कम से कम 3 से 4 मरीजों के लंग वॉल्युम रिडक्शन सर्जरी करनी पड़ रही हैं। फेफड़ों के ये ऑपरेशन उस स्थिति में किए जाते हैं जब उन्हें प्रदूषण की वजह से नुकसान पहुंचता है। उन्होंने बताया कि बीड़ी-सिगरेट के साथ वायु प्रदूषण के कई केस अब तक वे देख चुके हैं।
दिल्ली में प्रदुषण
अक्तूबर 2018 में आई केंद्रीय विज्ञान मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में 41 फीसदी पीएम 2.5 के प्रदूषित कण वाहनों से, 21.5 फीसदी धूल और 18 फीसदी प्रदूषण कण विभिन्न फैक्ट्रियों की वजह से हैं।
डब्ल्यूएचओ का आपातकाल
वायु प्रदूषण को जनस्वास्थ्य आपात के रूप में घोषित करने वाले विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने देश की राजधानी दिल्ली को दुनिया में सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर की रैंकिंग दी है। तो इसके पास के एनसीआर के चार बड़े शहर भी प्रदूषण इ मामले में दिल्ली से ज्यादा दूर नहीं हैं। जबकि स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2019 की रिपोर्ट के अनुसार घर के भीतर या लंबे समय तक बाहरी वायु प्रदूषण से घिरे रहने की वजह से 2017 में दुनियाभर में 50 लाख लोगों की मौत हो गई। जबकि भारत में करीब 12 लाख मौतें प्रदूषण से हुईं हैं यानि देश में हर 8 में से एक व्यक्ति की मौत के पीछे वायु प्रदूषण कारण रहा।