प्रदर्शन कर रहे ये लोग दिल्ली कैट्स कर्मी है जो कैट्स का निजीकरण होने और खुद के बेरोज़गार होने के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। दिल्ली की केजरीवाल सरकार भले ही बेहतर स्वास्थ्य सेवा देने का दम भरती है लेकिन सच्चाई इससे कोसो दूर नज़र आती है जिसका जीता जागता उदहारण कैट्स कर्मियों का प्रदर्शन है ।आपातकालीन स्थिती में दूर्घटना ग्रस्त लोगों और मरीजों की जान बचाने वाली कैट्स एम्बूलेंस का चक्का पिछले एक सप्ताह से जाम है । मगर बेपरवाह दिल्ली सरकार मानों अपने आंखों पर पट्टी बांधे बैठी है। बता दें की ये वही केजरीवाल सरकार है जिसने ठेका प्रथा को खत्म करने और पक्की नौकरी देने के वादे के साथ दिल्ली की सत्ता पर अपना वर्चस्व स्थापित किया था। लेकिन उसी केजरीवाल सरकार ने सत्ता पर काबिज़ होने के बाद कैट्स एम्बूलेंस का निजीकरण कर ठेकेदारों के हाथ सौंप दिया। सरकार ने इसका ठेका बीवीजी कंपनी को दिया। जिसमें हजारों कर्मचारी काम कर रहे थे लेकिन अब ठेका बदल कर एक हैदराबाद की कंपनी को दे दिया गया है । जिसके चलते इन कर्मचारियों के सर पर बेरोज़गारी की तलवार लटक रही है। बता दें ठेका बदलने के बाद कैट्स एम्बुलेंस के हजारों कर्मचारियों की कई महीनों की तनख्वाह भी नहीं दी गयी है। जिसके चलते ये लोग पिछले एक सप्ताह से सड़कों पर हैं। प्रदर्नकारियों की मांग है की कैट्स का निजीकरण बंद हो और पहले की तरह कैट्स ही इसे नियंत्रित करे।
वहीँ सत्ता पर काबिज़ केजरीवाल सरकार मानों अपना तानाशाही रवैया छोड़ने को कतई तैयार नहीं है और ना ही इन लोगों की कोई बात सुनना चाहती है । जिसके चलते प्रदर्नकारियों के सब्र का बांध भी टूटने लगा । एक कैट्स कर्मी ने तो सरकार की नीति से त्रस्त होकर ज्वलनशील पदार्थ डालकर आत्म दाह की कोशिश कर डाली । लेकिन गनिमत ये रही की किसी अनहोनी होने से पहले उसे रोक लिया गया । प्रदर्शन कर रहे कैट्स कर्मी दिल्ली सरकार तक अपनी आवाज़ पहुंचाने के लिये अब तक कई तरह के प्रदर्शन कर चुके हैं जिसमें केजरीवाल का पुतला दहन, शव यात्रा, शर्ट लेस प्रदर्शन किया जा चुका है और अब प्रदर्शन कर्मी शरीर पर पैंट करा कर सीएम हाउस पर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। इस उम्मीद के साथ की शायद दिल्ली सरकार की नींद टूट जाए और उनके सर पर मंडरा रहे बेरोज़गारी के बादल छट जाएं।