दिल्ली से सटे फरीदाबाद का बादशाह खान सिविल अस्पताल एक बार फिर से चर्चाओं में है… वजह है अस्पताल प्रबंधन की असंवेदनशीलता। जिसकी वजह से छज्जूपुर से आई निर्मला को घंटों अस्पताल के इमरजेंसी के बाहर बरसात में गीली जमीन पर घंटों कराहते हुए लेटना पड़ा। वो भी तब, जब निर्मला का सुबह ही समय से पहले सात महीने के गर्भ का प्रसव हुआ था। गलती बस इतनी थी कि प्रसव घर पर हुआ था। इसके बाद निर्मला और उसके समय से पहले जन्मे बेटे दोनों की तबियत ख़राब हुई तो परिजन उन्हें सिविल अस्पताल ले कर आए। यहाँ डॉक्टरों ने निर्मला के बेटे को तो दाखिल कर लिया, लेकिन उसे हाथ पकड़ कर बाहर कर दिया।
इमरजेंसी के सामने बेसुध लेटी निर्मला को देखकर जब दिल्ली दर्पण की टीम ने अस्पताल का प्रबंधन से इसकी वजह पूछी, तो उन्होंने इससे अनभिग्यता जाहिर करते हुए जाँच कराने की बात कहने लगी। साथ ही उन्होंने दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आश्वासन भी दिया।
बात प्रबंधन तक पहुंची तो अस्पताल की महिला सुरक्षाकर्मियों ने निर्मला को ढूंढ कर, उसे इमरजेंसी के अंदर ले गईं। लेकिन तब तक निर्मला का बेटा उसे हमेसा के लिए छोड़कर जा चुका था।