न नौकरी पक्की, न समय से वेतन, न मेडिकल सुविधा, 20 – 25 साल हो गए बच्चे पूछते है पापा आपकी नौकरी पक्की कब होगी ! यही सब हो रहा है दिल्ली के सफाई कर्मचारियों के साथ ! सुन लो सत्ता की मखमली गद्दी पर बैठने वालो, सुन लो एम् सी डी का ज़िम्मा संभालने वालो ! ये सफाई कर्मचारी न जाने कितनी बार धरना दे चुके है ! दिल्ली की बागडोर जब भी किसी पार्टी के पास आयी है तब ये बाते दिल्ली के सफाई कर्म चारियों से सुनाई देती है ! लेकिन अफ़सोस की बात ये है की कर्मचारियों की इस गूंज को न तो सत्ता पर बैठी राजनैतिक पार्टी सुनती है और न ही एम सी डी, बस ठीकरा एक दूसरे पर फोड़ने का सिलसिला जारी रहता है ! आम आदमी पार्टी कहती है इसके लिए ज़िम्मेदार एमसीडी है और एमसीडी कहती है इसके लिए ज़िम्मेदार आम आदमी पार्टी है ! सफाई कर्मचारियों की नौकरी पक्की कब होगी ये बड़ा सवाल है ! सत्ता की कान में जू रेंगे इसीलिए ये सफाई कर्मचारी कई बार धरना भी दे चुके है, नतीज़तन इसका कोई असर नहीं दिख रहा है ! लेकिन सफाई कर्मचारियों के होंसले बुलंद है इसलिए सभी ने एक बार फिर धरना दिया और अबकी बार सीधा एलजी हाउस के बाहर धरना दिया ! वो भी 50 या 100 नहीं बल्कि 600 से ज्यादा कर्मचारियों ने धरना दिया ! लेकिन अफ़सोस कोई बात नहीं बन पाई ! सफाई कर्मचारी परेशान होकर धमकी दे रहे है की सीएम केजरीवाल ने सफाईकर्मचारियों की नौकरी पक्की करने के वादे को पूरा नहीं किया इसलिए अब दिल्ली में कूड़ा कूड़ा होगा और बदबू बदबू होगी और इसके ज़िम्मेदार सिर्फ केजरीवाल होंगे !
सुन लो प्रधानमन्त्री, सुन लो केजरीवाल, सुन लो एम् सी डी, और चुनावों के समय मुद्दों को भुनाने और भटकाने वाले राजनीतिज्ञों तुम भी सुन लो इन सफाई कर्मचारियों के भीतर का दर्द ! अगर अश्कों की बहार आ जाए और ज़मीर जाग जाए तो ज़रा इनकी फाइलें आगे सरकाने की ज़ेहमत कीजियेगा !
कुछ बात नहीं बन पा रही, बैरंग लोट रहे है, अगर हमारी मांगों को पूरा नहीं किया तो kal yaani 26 तारीख को cm केजरीवाल के निवास स्थान पर पुतला दहन होगा और लोकतंत्र के मंदिर कहे जाने वाले पार्लियामेंट का घेराव भी
घर में बड़ी बेटी जवान है शादी करनी है, लेकिन पैसे नहीं है, धरने पर आई इन महिलाओं का दर्द सुनेगा कौन, सरकारों को क्या पता ये महिलाएं अपना घर भार छोड़कर, काम छोड़कर, धरना दे रही है ! लेकिन इन महिलाओं को भी कौन बताये की जिस हक़ की ये बात सरकारों से कर रही है वो सरकार मौन है और उनकी व्यवस्था चरमराई
लोकतंत्र में जब गूंगी और बहरी सत्ता नहीं सुनती तब याद आती है उस महान कवी राम धारी सिंह दिनकर की वो कविता जिसमे उन्होंने कहा था