अगर आप मीडिया इंडस्ट्री से जुड़े है या आप न्यूज़रूम के बदले दौर को गहराई से जानना चाहतें है तो ‘द फ्यूचर न्यूज़रूम’ पुस्तक आपके लिए है –इस बार विश्व पुस्तक मेला-2020 में डॉ प्रमोद कुमार की इस पुस्तक का विमोचन हुआ –इस मौके पर भारतीय जनसंचार संस्थान नई दिल्ली के पूर्व महानिदेशक प्रो केजी सुरेश, लोक सभा टीवी के संपादक एवं कार्यकारी अधिकारी डॉ. आशीष जोशी, नेशनल बुक ट्रष्ट के निदेशक युवराज मालिक सहित बड़ी संख्या में वरिष्ठ पत्रकार और मीडिया के विद्यार्थी भी मौजूद थे | सभी ने इस पुस्तक को बेहद उपयोगी बताया |
विश्व पुस्तक मेला-2020 में इस वर्ष यह पुस्तक मीडिया जगत के लिए बेहद आकर्षण का केंद्र बनी है|”द फ्यूचर न्यूज़ रूम ” नाम से किताबवाले प्रकाशन समूह द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक में प्राचीन काल से आधुनिक काल के समाचार संप्रषण के सफर को तो दिखाया ही गया है साथ ही भविष्य का न्यूज़रूम कैसा होगा इसकी भी परिकल्पना की गयी है –वरिष्ठ पत्रकार और ‘ओर्गनाइज़र वीकली’ के प्रमुख समाचार समन्वयक डॉ प्रमोद कुमार की इस पुस्तक का विमोचन भारतीय जनसंचार के पूर्व निदेसेहक प्रो केजी सुरेश ने मीडिया की जगत की कई बड़ी हस्तियों की मौजूदगी में किया —प्रो के जी सुरेश ने इस पुस्तक को बेहद उपयोगी बताते हुये मीडिया में तेज़ी से बदलते परिवेश और परेशानियों को सामने रखा |
इस मौके पर वक्ताओं ने मीडिया में तेज़ी से बदलते तकनीकी युग पर चर्चा की और खुद को तैयार रहने की जरूरत पर बल दिया –इस अवसर पर उपस्थित नेशनल बुक ट्रस्ट के निदेशक श्री युवराज मलिक ने कहा कि जिस गति से न्यूज़रूम में बदलाव हो रहे हैं उस गति से हमें उसके साथ संयोजन बैठाने की जरूरत है तो वहीँ लोक सभा टीवी के संपादक एवं कार्यकारी अधिकारी डॉ. आशीष जोशी ने कहा कि पत्रकारिता में अनुशंधान निरंतर होना चाहिए ताकि चुनौतियों का सामना समय और और सही से किया जा सके |
पुस्तक में मीडिया के सफर को प्राचीनकाल से आधुनिक काल तक के न्यूज़ रूम का वर्णन किया गया है साथ ही भविष्य के न्यूज़ रूम का भी खाका खींचा गया है | इस पुस्तक के लेखक डॉ प्रमोद कुमार ने अपने शोध में कई रोचक परिणामों को भी दिल्ली दर्पण टीवी के साथ सांझा किया |
किताबवाले प्रकाशन समूह द्वारा इंग्लिश में प्रकाशित 456 प्रष्ठ की यह पुस्तक मीडिया के लोगों के लिए बेहद ुउपयोगी है. इसकी प्रशंशा करते हे पीटीआई-भाषा के वरिष्ठ पत्रकार मनोहर सिंह ने कहा कि न्यूज़रूम में नई तकनीक के कारण जो तनाव बढ़ रहा है उससे पत्रकारों का पारिवारिक एवं सामाजिक जीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है. उन्हें ट्विटर और फेसबुक से होड़ करनी पड़ रही है. न्यूज़रूम के तनाव को कम करने पर मीडिया संस्थानों, सरकार, पत्रकार संगठनों और पत्रकारों को ध्यान देने की जरूरत है.
वरिष्ठ पत्रकार और आकाशवाणी समाचार में परामर्शदाता उमेश चतुर्वेदी ने रुबर्ट मुर्डोक के कथन का हवाला देते हुए कहा कि तकनीक मीडिया के लिए चुनौती अवश्य है परन्तु अख़बार स्वयं को पाठकों की आवश्यकता को संतुष्ट करते हुए और बदलती तकनीक के अनुसार स्वयं को ढाल कर मीडिया क्षेत्र में नए आयाम खोल सकते हैं. उन्होंने कहा कि स्थिति चिंताजनक जरूर है, परन्तु निराशाजनक नहीं हैं क्योंकि मानव मस्तिष्क ही चुनौतियों का समाधान करता है.
‘किताबवाले’ प्रकाशन समूह के अध्यक्ष श्री प्रशांत जैन ने कहा कि वे आज प्रकाशित पुस्तक ‘द फ्यूचर न्यूज़रूम’ का जल्दी ही पेपरबैक संस्करण भी जारी करेंगे और इसका हिंदी भाषा में भी अनुवाद प्रकाशित करेंगे. इस अवसर पर गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. अंजिला गुप्ता, पूर्णिया विश्वविद्यालय बिहार के कुलपति प्रो. राजेश सिंह, दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज की प्रधानाचार्या डॉ विभा सिंह चौहान, आकाशवाणी के अतिरिक्त महानिदेशक श्री राजशेखर व्यास, हिन्दुस्थान समाचार न्यूज़ एजेंसी के कार्यकारी संपादक श्री जितेन्द्र तिवारी, सुप्रसिद्ध इतिहासकार डॉ अमित राय जैन तथा शिक्षा जगत एवं मीडिया से सैंकड़ों लोग उपस्थित थे.