दिल्ली के बुद्ध विहार में रहने वाले एक युवा और प्रतिभाशाली क्रिकेटर दीपक से। दीपक एक बेहद सामान्य परिवार से आते हैं, लेकिन क्रिकेट के प्रति उनकी लगन और उनकी प्रतिभा को प्रमाणित करती हैं |दीपक की उम्र अभी 21 साल है और अभी तक इन्होने लोकल स्तर पर ही सही , अपनी प्रतिभा का बखूबी लोहा मनवाया है। दीपक दायें हाथ के सलामी बल्लेबाज हैं , और स्पिन बौलिंग भी कर सकते हैं। दीपक की फील्डिंग की भी बखूबी तारीफ़ की जाती है। इतना टैलेंट होने के बावजूद आज दीपक को उनकी प्रतिभा के मुताबिक़ मुकाम मिलने का इन्तजार है। दीपक के पिता धर्मेंदर मेहनत मजदूरी कर अपने बेटे को क्रिकेटर बनाने के सपने को साकार करने में लगे हैं। वो खुद भी क्रिकेट खिलाड़ी रहे हैं लेकिन गरीबी की वजह से उन्हें क्रिकेट छोड़, डेरी के काम में अपने पिता का हाथ बटाना पड़ा , जिम्मेदारियाँ बढ़ीं तो धर्मेंद्र के अंदर का क्रिकेटर कहीं थम सा गया। अब अपने बेटे को देश के लिये खेलते देख कर वो अपने सपने को साकार करना चाहते हैं। दीपक के बल्लेबाजी का अंदाज आक्रामक है और मैदान पर उनको खेलते देखकर लगता है कि उनके अंदर तमाम वो खूबियां मौजूद हैं जो उन्हें एक बेहतर क्रिकेटर बनाती हैं। एक ऐसा क्रिकेटर जिसके अंदर असीम संभावनाएं हैं , जरूरत है तो बस मौके की। दीपक के दादाजी एक छोटी सी डेरी चलाते हैं। ये कुछ गाय और भैंस ही उनकी पूँजी है और आँखों में सपने हैं पोते को देश के लिये क्रिकेट खेलते देखने के। दीपक पूरी मेहनत और लगन के साथ अपने पूरे परिवार और खुद का सपना पूरा करने में लगे हैं। उनका एक ही लक्ष्य है — क्रिकेट| जाहिर तौर पर माता पिता के आशीर्वाद और दादा के सपनों के साथ ही इस युवा क्रिकेटर को आज जरूरत है एक पहचान की। ऐसी पहचान जो इनकी प्रतिभा को उन सेलेक्टर्स की निगाहों तक पहुंचा दे। जहाँ से इस युवा क्रिकेटर का असली करीयर शुरू होना चाहिये।