शिक्षा के साथ अब हुनरमंद भी बनेगा आपका बच्चा!
नई शिक्षा नीति-2020 लाएगी देश में क्रांतिकारी बदलाव
दिल्ली दर्पण टीवी
नई दिल्ली, ब्यूरो। भारत को जल्द ही नई शिक्षा नीति मिलने वाली है। केंद्र सरकार ने इसकी मंजूरी दे दी है। इस नीति से बच्चांे को शिक्षित करने के साथ इस बात पर ज्यादा बल दिया गया है कि वह आत्मनिर्भर बनें। इसके लिए रोजगारपरक और उनके क्षमता विकास को ज्यादा तवज्जो दी गई है। यानी एक्स्ट्रा करिकुलम से आपका बच्चा स्कूल टाइम में ही हुनरमंद हो जाएगा जिससे उन्हें बेरोजगारी का दंश नहीं झेलना पड़ेगा। इस प्रकार के कई महत्वपूर्ण बदलाव, नई शिक्षा नीति में आपको देखने को मिलेंगे जो बच्चों के भविष्य को तय करने में सक्षम होगा।
नई शिक्षा नीति में ‘टेन प्लस टू’ के फार्मेट को पूरी तरह खत्म कर दिया है। अब ये 5़ प्लस, 3 प्लस, 3 प्लस, 4 प्लस के हिसाब से होगा। इस फार्मूले को इस प्रकार समझें कि प्राइमरी से दूसरी कक्षा तक एक हिस्सा, फिर तीसरी से पांचवीं तक दूसरा हिस्सा, छठी से आठवीं तक तीसरा हिस्सा और नौंवी से 12 तक आखिरी हिस्सा होगा। यानी पहले तीन साल आंगनबाड़ी में प्री-स्कूलिंग शिक्षा, फिर अगले दो साल कक्षा एक एवं दो में स्कूल। इन पांच सालों की पढ़ाई के लिए अलग से एक नया पाठ्यक्रम होगा। इनमें ज्यादातर एक्टिविटी आधारित शिक्षण पर फोकस होगा। इसमें 3 से 8 साल तक की उम्र के बच्चे शामिल होंगे। इस तरह पढ़ाई के पहले पांच साल का चरण पूरा होगा।
प्रीप्रेटरी
इसमें कक्षा 3 से 5 तक की पढ़ाई होगी, जिसमें प्रयोगों के जरिए बच्चों को विज्ञान, गणित, कला आदि की पढ़ाई कराई जाएगी। 8 से 11 साल तक की उम्र के बच्चों को इसमें कवर किया जाएगा।
मिडिल
इसमें कक्षा 6-8 की कक्षाओं की पढ़ाई होगी और 11-14 साल की उम्र के बच्चों को कवर किया जाएगा। इन कक्षाओं में विषय आधारित पाठ पढ़ाए जाएंगे। कक्षा 6 से ही कौशल विकास कोर्स भी शुरू हो जाएंगे।
सेकेंडरी
कक्षा 9 से 12 की पढ़ाई दो चरणों में होगी, जिसमें विषयों का विस्तार से पढ़ाई होगी, जहां विषयों को चुनने की स्वतंत्रता होगी।
बेरोजगारी होगी दूर
अब नई शिक्षा नीति के तहत बच्चों के परफॉर्मेंस और उनके रिपोर्ट कार्ड में भी बदलाव किए जाएंगे। पहले सरकारी स्कूलों में प्री-स्कूलिंग नहीं थी। वहां कक्षा एक से 10 तक सामान्य पढ़ाई होती थी और कक्षा 11 से विषय चुन सकते थे। लेकिन अब छठी क्लास से ही प्रोफेशनल नॉलेज एवं स्किल डेवलपमेंट की व्यवस्था बनाई गई है। स्थानीय स्तर पर इंटर्नशिप भी कराई जाएगी। नई शिक्षा नीति से बेरोजगारों की फौज तैयार होने के गुंजाइश कम होंगे। खास बात यह कि स्कूल में ही बच्चे को नौकरी के जरूरी प्रोफेशनल शिक्षा दी जाएगी।
10वीं और 12वीं परीक्षा आसान
10वीं एवं 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में बड़े बदलाव दिखेंगे। साल में दो बार परीक्षाएं कराना, दो हिस्सों वस्तुनिष्ठ और व्याख्यात्मक श्रेणियों में इन्हें विभाजित करना आदि से अब निजात मिलेगी। बोर्ड परीक्षा में मुख्य बल ज्ञान के परीक्षण पर होगा ताकि छात्रों में रटने की प्रवृत्ति खत्म हो। कहते हैं कि बोर्ड परीक्षाओं को लेकर छात्र हमेशा दबाव में रहते हैं और अधिक अंक प्राप्त के चक्कर में कोचिंग पर निर्भर हो जाते हैं। लेकिन भविष्य में उन्हें इससे मुक्ति मिल सकती है। नई नीति में अब प्रैक्टिकल माॅडल तैयार किया जाएगा जिसमें वार्षिक, सेमेस्टर और माॅडयूलर बोर्ड परीक्षाओं का प्रावधान होगा।
रिपोर्ट कार्ड का आकलन
बच्चों का तीन स्तरीय आकलन किया जाएगा। एक स्वयं छात्र करेगा, दूसरा सहपाठी और तीसरा उसका शिक्षक। नेशनल एसेसमेंट सेंटर ‘परख’ बनाया जाएगा जो बच्चों के सीखने की क्षमता का समय-समय पर परीक्षण करेगा। 100 फीसदी नामांकन के जरिए पढ़ाई छोड़ चुके करीब दो करोड़ बच्चों को फिर से दाखिला दिलाया जाएगा।
कहते हैं कि एक अच्छा शिक्षक एक अच्छा छात्र तैयार करता है, इस दिशा में उनके प्रशिक्षण पर भी विशेष बल दिया जाएगा। सरकार अब न्यू नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क तैयार करेगी, जिसमें ईसीई, स्कूल, टीचर्स और एडल्ट एजुकेशन को जोड़ा जाएगा। इसके अलावा अब बच्चों के रिपोर्ट कार्ड में लाइफ स्किल्स को जोड़ा जाएगा, यानी अगर आपने स्कूल में कुछ रोजगारपरक सीखा है | तो उसे आपके रिपोर्ट कार्ड में जगह मिलेगी। सरकार का लक्ष्य है कि वर्ष 2030 तक हर बच्चे के लिए शिक्षा सुनिश्चित की जाए। उक्त नीति में राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी द्वारा उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश के लिए कॉमन एंट्रेंस एग्जाम का ऑफर दिया जाएगा।
खासियत
देश की शक्षिा नीति में 34 साल बाद नये बदलाव किए गए हैं। इस नई नीति में स्कूल के बस्ते, प्री प्राइमरी क्लासेस से लेकर बोर्ड परीक्षाओं, रिपोर्ट कार्ड, यूजी एडमिशन के तरीके, एमफिल तक बहुत कुछ बदल गया है। इसकी खासियत यह है कि स्कूली शिक्षा, उच्च शिक्षा के साथ कृषि शिक्षा, कानूनी शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा और तकनीकी शिक्षा जैसी व्यावसायिक शिक्षाओं को इसके दायरे में लाया गया है। मकसद पढ़ाई के साथ स्किल को जोड़ा है।
अभी तक शादी होने या किसी के बीमार होने पर किसी की पढ़ाई बीच में छूट जाती थी। अब ये व्यवस्था है कि अगर किसी कारण से पढ़ाई बीच सेमेस्टर में छूट जाती है तो इसे मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम के तहत आपको लाभ मिलेगा। मतलब अगर आपने एक साल पढ़ाई की है तो सर्टिफिकेट, दो साल की है तो डिप्लोमा मिलेगा। तीन या चार साल के बाद डिग्री दी जायेगा |
कुछ महत्वपूर्ण बदलाव
-अब सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी का कुल 6 फीसदी शिक्षा पर खर्च होगा। फिलहाल भारत की जीडीपी का 4.43 प्रतिशत हिस्सा शिक्षा पर खर्च होता है।
-मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर अब शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है।