प्रदूषण के खिलाफ सजग है केजरीवाल सरकार
पूनम स्वामी , दिल्ली दर्पण टीवी
प्रदूषण भारत के महानगरों में विकट समस्या बनते जा रही हैं। सम्पूर्ण उत्तर भारत समेत दिल्ली भी इससे अछूता नहीं हैं। दिल्ली की केजरीवाल सरकार हर साल प्रदूषण को रोकने के लिए प्रयास करते आयी हैं। पिछले कुछ सालों में ऐसे बहुत से प्रयास किए गए, जिसका परिणाम काफी सकारात्मक रहा। इन प्रयासों में सबसे ज्यादा प्रभावी एवं चर्चित आड-ईवन योजना रही। इससे दिल्ली शहर को ना केवल वायु प्रदूषण से निजात मिली बल्कि उन दिनों मेें जाम की समस्या भी कम हुई।
आपको बताता चलूं कि दिल्ली समेत उत्तर भारत में वायु प्रदूषण की एक बड़ी वजह पंजाब, हरियाणा और यूपी की किसानों द्वारा जलाये जाने वाली पराली का धुआं हैं। जो हवा के साथ दिल्ली समेत पूरे उत्तर भारत में अक्टूबर से जनवरी माह तक धुंध कर देता है। लेकिन इन राज्यों की सरकारें इस मुद्दे पर केवल राजनीति ही करती है और विशेष कार्ययोजना नहीं बनाती हैं। इसी क्रम इस साल दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने प्रदूषण रोकथाम के लिए वृहद योजना बनायी है और उसका क्रियान्वयन भी शुरू कर दिया हैं।
पराली जलाने का विकल्प
केजरीवाल सरकार ने पराली के विकल्प के रूप में पूसा संस्थान के सहयोग से एक तरल रसायन बनाया गया है, जिससे अब किसानों को पराली जलाने की जरूरत नहीं होगी। यह तरल पदार्थ पराली को खाद में बदल देगा। यह पूरी योजना दिल्ली सरकार अपने संसाधनों से पंजाब, हरियाणा के किसानों को निःशुल्क मुहैया करायेगी।
पेड़ हस्तांतरण योजना
इसके साथ ही दिल्ली सरकार ने किसी भी तरह के निर्माण से पूर्व पेड़ों को काटने के बजाय पेड़ हस्तांतरण योजना बनायी है । जिसमें किसी भी निर्माण में 80 प्रतिशत पेडों को हस्तांतरित करना आवश्यक होगा। इस योजना के दूरगामी परिणाम होंगे। जो भविष्य मेें दिल्ली में ग्रीन दिल्ली बनाने में सहायक सिद्ध होगी। साथ ही ग्रीन दिल्ली एप के माध्यम से लोगों को प्रदूषण के खिलाफ भागीदार बनाते हुए उनके सहयोग के साथ दिल्ली के प्रदूषण पर निगरानी रखी जा रही हैं।
प्रदूषण निगरानी वार रूम
इसमें रियल टाइम दिल्ली के प्रदूषण की निगरानी की जाएगी ताकि उसके आधार पर तुरन्त समाधान किया जा सकें। जिसके लिए एक विशेषज्ञों का पैनल बनाया गया है, जो लगातार इस पर काम कर रहा हैं। बिजली निर्माण पर रोक इस क्षेत्र में एक और पहल है जिससे होने वाले प्रदूषण को रोका जा सकेगा। साथ ही दिल्ली में प्रदूषण रोकथाम गाइडलाइन का उलंघन करने पर भारी जुर्माना लगाये जाने की भी प्रवाधान किया गया हैं।
‘रेड लाइट ऑन-गाड़ी ऑफ ’
लोकतंत्र में किसी अभियान को सफल बनाने के लिए जन भागीदारी आवश्यक होती हैं। केजरीवाल सरकार ने प्रदूषण के विरूद्ध युद्ध चलाने के लिए ‘रेड लाइट ऑन – गाड़ी ऑफ ’ कैंपेन का शुभांरभ किया हैं। इसमें लोगों को रेड लाइट में खड़ेे होते वक्त गाड़ी ऑफ करने की अपील की जा रही हैं। इस पहल को सफल बनाने के लिए दिल्ली की विभिन्न रेड लाइटों पर कार्यकर्ता पोस्टर बैनर लेकर खड़े है और लोगों को जागरूक कर रहे हैं।
इस सब के बावजूद उत्तर भारत के अन्य सरकारें प्रदूषण के विरूद्ध सजक नहीं हैं। देश की सर्वोच्च अदालत ने 16 अक्टूबर, 2020 को कहां कि पराली का जलना दिल्ली समेत उत्तर भारत में प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह हैं। सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार की पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण को प्रदूषण के मुद्दे पर कार्य करने में असफल पाया। अब यह कार्य रिटायर्ड जज मदन लोकुर की अध्यक्षता में एक कमेटी करेगी, जो प्रदूषण के मामलों की निगरानी करेगी।
पराली जलाने का काम सबसे ज्यादा पंजाब, हरियाणा एवं उत्तरप्रदेश में हो रहा है और इन राज्यों में क्रमशः कांग्रेस और बीजेपी की सरकार हैं। लेकिन इन सरकारों ने पराली जलाने के विकल्प के तौर पर कोई विशेष योजना नहीं बनायी। इससे इतर दिल्ली सरकार यहां के नागरिकों के उत्तम स्वास्थ्य के लिए हर साल की तरह इस साल भी प्रदूषण को कम करने के लिए प्रयास कर रही हैं।