शिवानी मोरवाल, संवाददाता
दिल्ली।। दिल्ली में एक क्षेत्र ऐसा भी है जहां विकास कहीं नजर नहीं आता । लोग बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। दिल्ली की 70 विधानसभाओं में से एक शालीमार बाग स्थित शालीमार गांव के लोग निगम पार्षद नहीं होने से परेशान हैं, कारण समस्याओं का अंबार इस तरह से लग चुका है कि उनमें आने वाले निगम पार्षद से भी कोई उम्मीद ही नहीं है। लगता है, उन्हें पार्षद पर से भरोसा उठ गया है। वे समझ नहीं पर रहे हैं कि इस विधानसभा में शालामार गांव का विकास कैसे हो पाएगा?
जब शालीमार गांव की जनता से पूछा गया कि इस इलाके की समस्यएं क्या-क्या हैं, तो उनका साफ तौर पर ये कहना था की तीन साल से सड़कों की हालत ज्यों—की—त्यों बनी हुई है। टूटी-फूटी सड़कें बड़ी समस्या है। एक निवासी ने बताया कि हमें परेशानी खराब सड़क की वजह से ही अधिक है। इसके चलते आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं। इस सड़क पर चलना तो मुश्किल है ही। पता ही नहीं चलता की सड़कों में गड्डे हैं या गड्डों में सड़कें।
जिसके बाद इसी कड़ी में और लोगों से जानने की कोशिश की तो ऐसा लगा की उनकी भावनाओं के साथ खिलवाड़ हुआ है। उनका कहना था कि निगम पार्षद नहीं होने की वजह से यहां के कामकाज पड़ोसी निगम पार्षद तिलक राज कटारिया के जिम्मे है। वे यहां काम नहीं करते और न ही यहां का दौरा करते हैं। जिससे शालामार गांव हर तरह से पिछड़ चुका है। अब जो थोड़ी उम्मीद है वो आने वाले उपचुनाव के लेकर है, जिससे हमारे इलाके का विकास हो सके।. पर अब सवाल ये उठता है कि इस इलाके में उपचुनाव के बाद समस्याओं का समाधान होगा या स्थित ऐसी ही बनी रहेंगी?