प्रियंका आनंद, संवाददाता
उत्तर प्रदेश में 29 नवंबर को एक युवती के पिता की शिकायत के आधार पर राज्य में धर्मातरण प्रतिषेध कानून के तहत पहला मामला सामने आया। मामला बरेली के जिले के देवरनिया थाने में दर्ज हुआ है। शरीफ नगर नामक गांव के उवेश अहमद पर बेटी को बहलाफुसला कर धर्मांतरण की कोशिश करने का आरोप लगाया है।
उवेश अहमद के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और नए जबरन धर्मातरण प्रतिषेद कानून के तहत मामला दर्ज किया गया।असल में टीकाराम की बेटी और उवेश अहमद कॉलेज में साथ पढ़ा करते थे। तीन साल पहले उवेश ने उनकी बेटी पर धर्म परिवर्तन कर निकाह करने का दबाव डाला। पिता ने बताया कि शादी के बाद भी उवेश अहमद परिवार के अन्य सदस्यों को परेशान करता था।आरोप है कि उवेश अहमद ने इस विवाह के लिए छलकपट और धोखे का इस्तेमाल किया।
आज हमारा समाज कई रूपों में आगे बढ़ रहा है लेकिन कहीं न कहीं कुछ बुराइया भी है। उत्तर प्रदेश सरकार ने लव जेहाद को लेकर एक कानून बनाया है। इसके अनुसार यदि कोई व्यक्ति धर्म परिवर्तन करके शादी करना चाहता है तो उसे दो महीने पूर्व डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट से इजाजत लेनी अनिवार्य है। यदि कोई शादी के बाद धर्म परिवर्तन करना चाहे तो उस पर भी हमारे संविधान ने कानून लागू किए हैं।
प्रदेश सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह के अनुसार सामूहिक धर्म परिवर्तन के संबंध में भी कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है। ऐसी स्थिति में कम से कम तीन साल की सजा का कानून बनाया गया है। किसी व्यक्ति को अधिक दोषी पाए जाने पर दस साल की सजा भी हो सकती है। इसके उसके आलावा जुर्माने की राशि पचास हजार होगी।कानून में प्रावधान है कि अगर शादी जबरन की गई है और धरम परिवर्तन कर की गई है तो यह ग़ैरज़मानती अपराध होगा।प्रथ्म श्रेणी के मजिस्ट्रेट के न्यायालय में उसकी सुनवाई होगी।