Friday, November 8, 2024
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“पाम एज” कर रही है जीवन की ढलती सांझ को संवारने का प्रयास

हे प्रभु चाह नहीं मेरी कि पूरा पथ जान सकूं जीवन में प्रकाश भर इतना कि हर अगला कदम पहचान सकूं। जीवन की सांझ में आकर हर व्यक्ति सांसारिक सुख त्याग और ईश्वर प्रदत्त जीवन रूपी अंधकार और प्रकाश पर चिंतन मनन करने लगता है। सुख और दुख के साथ इंसान जीवन पूरा करता है।

समाज में ऐसे अनगिनत वरिष्ठ नागरिक हैं जिनका परिवार होते हुए भी वे अकेले, असहाय दिखाई देते हैं। बुजुर्गियत का दुख अमीरी गरीबी से तो जुड़ा है ही, उम्र का दुख अधिक कष्टकारी रखता है।बुजुर्गों के लिए देश में कई संस्थाएं काम करती हैं। इन्हीं में से दिल्ली के अशोक विहार में एक प्रमुख संस्था है पाम एज।पाम एज आर्थिक तौर पर कमजोर सीनियर सिटीजन की ढलती संध्या को सतरंगी बनाने का प्रयास कर रही है। संस्था द्वारा  बुजुर्गों के लिए न केवल सेवा कार्य किए जा रहे हैं बल्कि उनके लिए प्रशिक्षण एवं अनुसंधान जैसा एक और महत्वपूर्ण नवाचार करने का प्रयास किया जा रहा है जो बुजुर्गों के जीवन से जुड़ा होगा और बुढापे के दुखों को संवारने का कार्य करेगा।

पाम एज द्वारा पहले से ही जगह – जगह शिविर लगा कर वरिष्ठ जनों की सेवा की जा रही है। संस्था द्वारा प्रत्येक महीने के दूसरे शुक्रवार को विभिन्न तरह के सामाजिक सेवा कार्य किए जातेे हैं। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के वरिष्ठ नागरिकों सहायता प्रदान की जाती है। समय समय पर सहायता शिविर लगाए जाते हैं। संस्था द्वारा एक प्रमुख कार्य किया जाता है वह है, बुजुर्गों के प्रति समाज को जागरूक किया जाना। स्कूल, कालेजों में शिक्षा के माध्यम से आने वाली पीढी को अपने बुजुर्गाें के प्रति दायित्व की भावना का विकास कराने के प्रयास किए जा रहे हैं, क्योंकि आज सामाजिक मूल्यों में व्यापक परिवर्तन आ चुके हैं। हमारी परंपराएँ ख़त्म हो चली हैं।

ऐसे में पाम एज का यह प्रयास हटकर और सार्थक साबित होगा।पाम एज बुजुर्ग लोगों की बुनियादी जरूरतों और समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करने और समाधान खोजने के लिए एक प्रशिक्षण अनुसंधान और विकास केंद्र स्थापित करेगा। जो वरिष्ठ नागरिकों की सेवा से जुड़ा एक अलग तरह का कार्य होगा।

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