Friday, November 8, 2024
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न्यूनतम समर्थन राशी (MSP) की शुरुआत कब की गई थी

काव्या बजाज, संवाददाता||

दिल्ली || जिस एम एस पी पर किसान पिछले कई दिनों से आंदोलन कर रहे है उस न्यूनतम समर्थन राशी (MSP) की शुरुआत प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री के शासन में हुई थी। 1 अगस्त 1964 में एक समिति बनाई गई जो अनाजों की कीमत तय तरने के लिए बनाई गई थी क्योंकी किसानों को ये डर था कि अगर अधिक मात्रा में फसलें उगाई जाएंगी तो उन्हें अच्छी कीमत नहीं मिल पाएगी ।

क्या होता है न्यूनतम समर्थन राशी (MSP)?

दरअसल किसान अगर अपनी फसल बेचने में असमर्थ होतें है तो सरकार MSP पर उनकी फसलें खरीद लेती है जिससे किसानों को नुकसान नहीं उठाना पडता । और यही अनाज बाद में गरीबों को कम राशी में दिया जाता है ।

न्यूनतम समर्थन राशी (MSP) का उद्देशय

केंद्र सरकार फसल की बुवाई से पहले या बुवाई के समय न्यूनतम समर्थन राशी की घोषणा करती है । एम एस पी का उद्देशय किसानों की आय को बढ़ाना और उन्हें संकट से बचाना है ।

सबसे पहले किस फसल पर MSP लागू किया गया था ?

1966 – 1967 में एम एस पी सिर्फ गेहूँ पर लागू किया गया था। जिससे देश में किसानों ने अधिक मात्रा में गेहूँ की फसल उगाई थी और इस वजह से देश में बाकी अनाज की कमी हो गई थी। जिसके बाद इसे बाकी फसलें जैसे गेहूं, मक्का, जई, जौ, बाजरा, चना, अरहर, मूंग, उड़द, मसूर, सरसों, सोयाबीन, शीशम, सूरजमूखी, गन्ना और बाकी फसलों पर भी लागू किया गया। और वर्तमान में सरकार 25 फसलों पर MSP लागू करती है।

कैसे तैय होता है न्यूनतम समर्थन राशी (MSP) ?

MSP तैय करने के लिए एक कमेटी बनाई गई है जो फसलों की लागत। फसलों को उगाने में लगने वाली चीज़ो के दाम, बाज़ारों में मौजूद कीमतों और ऐसी ही चीज़ो को ध्यान में रखते हुए MSP तैय करती है।

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