संवाददाता, दिल्ली दर्पण टीवी
नई दिल्ली। राजधानी के तीनों नगर निगम की खराब आर्थिक के कारण उनके कर्मचारियों को वेतन काफी विलंब से मिलने के कारण उनके यूनियन ने एक सुझाव की रिपोर्ट तैयार की है। कन्फेडेरेशन ऑफ एमसीडी एम्पलाइज यूनियंस द्वारा बनाई रिपोर्ट के अनुसार अगर तीनों निगम का वित्त विभाग एक कर दिया जाए तो उससे 1000 करोड़ रुपये की बचत की जा सकती है।
कर्मचारियों के यूनियांस का कहना है कि ऐसा निगमों की हालत को देखते हुए किया गया है। राजधानी दिल्ली के तीनों नगर निगम आर्थिक समस्या के दौर से गुजर रहे हैं। आलम यह है कि कर्मचारियों का पांच से छह माह देरी से वेतन मिलता है। इतना ही नहीं पेंशन के लिए आठ-आठ माह का समय लग जाता है। ऐसे में इस बदहाल व्यवस्था को दूर करने के लिए अगर, उपराज्यपाल इस सुझाव को मान लें तो एक आदेश से तीनों निगम की न केवल आर्थिक बदहाली दूर हो जाएगी, बल्कि पांच-पांच सौ करोड़ रुपये की बचत भी होगी।
रिपोर्ट के अनुसार तीनों निगम के वित्त विभाग को एक करने से निगम के खर्चे भी कम होंगे साथ ही विकास कार्यों को भी गति मिल सकेगी। रिपोर्ट में बताया गया है कि इससे कर्मचारियों के वेतन और पेंशन के मुद्दे का भी समाधान हो जाएगा। रिपोर्ट में यह भी सुझाव दिया गया है कि तीनों निगम की जो भी आय होगी उसे 1ः1ः 6 के अनुपात में तीनों निगम में वितरित किया जाएगा।
उत्तरी निगम के पास इस समय कर्मचारियों के वेतन और पेंशन बकाया के साथ लोन के साथ कर्मचारियों के एरियर का करीब 8750 करोड़ रुपये की देनदारी है। ऐसे में तीनों निगम की आंतरिक आय और दिल्ली सरकार से मिलने वाले अनुदान को समाहित कर दिया जाए तो 10 हजार 48 करोड़ बैठता है। अगर, 8750 रुपये का भुगदान भी कर दिया जाए तो उत्तरी और दक्षिणी निगम को विकास कार्य के लिए 467-467 करोड़ रुपये मिलेंगे। वहीं पूर्वी निगम को 282 करोड़ रुपये मिलेंगे।
तीनों निगम में कई ऐसे विभाग हैं तो अलग-अलग न करके एक ही तरह से काम करते हैं। इसमें सबसे पहले टोल टैक्स हैं। तीनों निगमों के क्षेत्राधिकार में करीब 126 टोल नाके हैं। इन टोल नाकों से टोल वसूली के लिए दक्षिणी निगम टेंडर करता है। जो कंपनी टेंडर लेती है उसका भुगतान दक्षिणी निगम को कर दिया जाता है। फिर दक्षिणी निगम 1ः1ः6 के अनुपात में राशि को तीनों निगमों में बांट देता है। इसी तरह बहुत समय तक प्रेस एवं सूचना विभाग ने एक साथ कार्य किया है। वहीं, शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया भी दक्षिणी निगम तीनों निगमों के लिए करता है।
कन्फेडेरेशन का कहना कि उपराज्यपाल, निदेशक स्थानीय निकाय को आदेश देकर तीनों निगम का वित्त विभाग एक करा सकते हैं। इसके लिए विधानसभा या लोकसभा से निगम एक्ट में बदलाव करने की जरुरत नहीं है।