काव्या बजाज, संवाददाता
नई दिल्ली।। दिल्ली में जिन लोगों के पास कोई घर नहीं है उनके लिए रैन बसेरे आशा की किरण बन कर आए है। इन जगहों पर बेसहारा लोगों को रहने के लिए जगह और खाना दिया जाता है। जैसा कि हम जानते है कि पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी होने की वजह से सर्दी का कहर दिल्ली में भी देखने को मिल रहा है। दिल्ली में चल रही शीत लहर ने सभी लोगों को ठिठुरने पर विवश कर दिया है। ऐसे में उन लोगों के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी हो गई है जिनका रहने का कोई ठिकाना नहीं है।
शालीमार बाग के रैन बसेरे का जायज़ा लेने के बाद यह देखने को मिला कोरोना संक्रमण को देखते हुए वहां पर 20 लोगों के रहने की जगह थी लेकिन मौके पर वहां पर सिर्फ चार लोग ही मौजूद थे। महामारी से बचने के लिए लोगों को इमयूनिटी बढ़ाने की जरूरत है इसलिए उन्हें चाय में तरह – तरह की चीजे डाल कर दी जा रही है। साफ तौर पर वहां देखा जा सकता था कि किस तरह लोगों को ठंड से बचाने की सुविधाएं दी जा रही है।
संस्था के प्रमुख फैजान अहमद ने बातचीत के दौरान बताया कि उनकी टीम रात के समय लोगों को रेसक्यू करती है। इसके आगे उन्होंने बताया कि रेसक्यू के लिए क्लस्टर 9 और 5 के नाम से उनकी दो गाड़ियां इलाके का दौरा करती है और जरूरत मंद लोगों को यहां पर लाया जाता है। और उनके लिए रैन बसेरों में गद्दे, कंबल, रौशनी, पानी, शौचालय, प्राथमिक चिकित्सा किट का इंतजाम भी किया हैं। इसके साथ – साथ लोगों के लिए वहां पर कुछ किताबें भी मौजूद है जिसे पढ़ कर लोग समय भी बिता सकते है। और इसका पूरा खर्च उनकी संस्था उठाती है।
जब हमने वहां पर मौजूद लोगों से बात करने की कोशिश की तो वहां पर रह रहे प्रियम कुमार का कहना था कि सर्दी में उन्हें दुविधाओं का सामना करना पड़ रहा था लेकिन रैन बसेरे में उन्हें उनकी जरूरत की सभी सुविधाएं दी जा रही है। जिसमें कंबल, गद्दे, से ले कर दो वक्त का रोटी की सहूलियत भी मौजूद है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि इन रैन बसेरों ने ठंड से उनकी जान बचाई है। और यह किसी उम्मीद की किरण से कम नहीं हैं।