अंशुल त्यागी, संवाददाता
नई दिल्ली। मेट्रो में चर्चा हो रही थी कुछ व्यक्ति की जो बात कर रहे थे कि दुष्टों ने 26 जनवरी को जो किया वो सही नहीं था, कुछ 56 इंच को गलत बता रहे थे, कुछ आम आदमी को तो कुछ खाकी की खामिया गिना रहे थे पर एक कहानी जिससे पूरा देश जुड़ा उसे आपको सुनाते हैं।
कई बरस पहले जब शंहशाह ने उस किले को बनाया तो कभई सोचा नहीं होगा कि जिस देश में वो रहते हैं उसके अलावा किसी और का प्रतिबिंब भी उनके किले पर नजर आएग। लेकिन देश के इतिहास से चले आ रहे सबसे बड़े दिन ऐसा हुआ, जिस दिन संविधान को लिखने पर गर्व महसूस होना था उसी दिन संविधान को तार-तार करने की कबायद करते कुछठ दुष्ट उस किले को भेद गए, जिस किले में घुसने से पहले सेना से भिड़ना पड़ता था, जिस किले में घुसने के लिए एक आम आदमी 10 बार सोचता था, जिस किले को देश के लोग लाल किला कहते हैं।
5 रुपये के नोट पर 2 छोटे और 2 बड़े पहियों के साथ देश की जमीन को उपजाऊ बनाने वाले ट्रैक्ट्रर ने जब सड़क पर रफ्तार भरी तो उपजाऊ भूमि को बंजर बना दिया, हरे भरी राजधानी को काला बना दिया और किले के लाल रंग पर पीला निशान लगा दिया।
आइये अब कहीन पर आतें हैं..
ये उन दुष्टों की कहानी है, ये उन बुद्धीहीनों की कहानी है, ये उन चरित्रहिनों की कहानी है कहते हैं कुछ मान्यताएं, कुछ मुग़ालते बनी रहें तो ठीक ही होता है, क्योंकि भ्रम टूटता है तो दर्द बहुत होता है, हम किसान को किसान समझ रहे थे और देश को देश परंतु ऐसा लगता है कि हम गलत थे।
कुछ तस्वीरों से रुबरू करवाते हैं आपको, ये देखिए 50 साल में बिना किसी अतिथी के हुई बेहतरीन परेड की तस्वीर, इतिहास में पहली बार देश की पहली महिला फाइटर पायलेट की परेड में शामिल होने की तस्वीर, पहली बार बांग्लादेश के 122 जवानों के परेड मार्च की तस्वीर, पहली बार परेड़ में राफेल की गड़गड़ाहट की तस्वीर, सालों के इंतजार के बाद परेड में निकली राम मंदिर को भगवान वाल्मिकी की तस्वीर, तिरंगे पर बैठे मोर की तस्वीर,
ये तस्वीरें जिन्होनें भारत का सर गर्व से उठा दिया और अब वो तस्वीरें जिन्होनें देश को शर्म से झुका दिया। किसान का बेटा हुं, सैनिक होने की कीमत चुका रहा हुं, संविधान की सौंगध ली है, वर्दी में हुं इसलिए दुष्टों की मार खा रहा हुं।
पुलिस वालों के लालकिले से नीचे गिरने की तस्वीर, बिजनौर से फायर कर ट्रैक्टर रैली निकालने की तस्वीर, लाल किले पर चढ़े निशान लगाने वाले की तस्वीर…ट्रैक्टर पर सैंकड़ों किसाने के बैठे और हुड़दंग करने की तस्वीर।
ट्रैक्टर पलटकर जिंदगी गवां देने की तस्वीर, ट्रैक्टर से खेल करने की तस्वीर, पुलिसवालों को इंसान न समझने की तस्वीर, सड़क पर ट्रैक्टर को रफाल समझने की तस्वीर, पुलिस के पड़ते डंडो की तस्वीर, पुलिस के बैरिकेड तोड़ने की तस्वीर, पुलिस को धमकाने की तस्वीर, सड़क पर भीड़तंत्र की तस्वीर, महिला पुलिस पर डंडे बरसाने की तस्वीर, हथियारों वाले किसानों की तस्वीर, झुंड में आते देश पर दाग लगाने वालों की तस्वीर, देश के स्तम्ब पर कब्जा कर लेने की तस्वीर, धर्म के देश पर हावी हो जाने की तस्वीर, नेता की अपने लोगों को भड़काने की तस्वीर।
इतिहास में पहली बार गणतंत्र, लोकतंत्र और भीड़तंत्र का एक साथ होना और पहली बार इतने पावन दिन को काले दिवस के रूप में मनाया किसी का अपान करना और करवाना ये परेशान कर रहा है और आगे भी परेशान करता रहेगा. किताबों में पढ़ेगें इस काले इतिहास को तो बच्चों का दिल भी दुखेगा और याद करेंगे जब इन यादों को तो आंखे हमारी भी नम होंगी।