Friday, November 8, 2024
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शालीमार बाग में सभी की नजर जातीय समीकरण पर कोई पूर्वांचल, तो कोई पारंपरिक वोटर के भरोसे

राजेंद्र स्वामी, संवाददाता

नई दिल्ली। दिल्ली में हो रहे नगर निगम उपचुनाव अगले साल होने जा रहे निगम चुनावों का आईना माना जा रहा है। शालीमार बाग़ सीट पर भी तीनों प्रमुख पार्टियों ने पूरी ताकत झोंक दी है। यह सीट बीजेपी पार्षद रेनू जाजू की मौत के बाद खाली हुयी है। बीजेपी ने यहाँ उनकी पुत्रवधु को प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस ने अपने कार्यकर्ता की पत्नी ममता आर्या को और आम आदमी पार्टी ने अपने कार्यकर्ता की पत्नी  सुनीता मिश्रा को प्रत्याशी बनाया है। इस सीट पर सभी उम्मीदवारों को एक ओर जहां जातीय समीकरण पर नजर टिकी है, वहीं दूसरी ओर पारंपरिक मतदाता भी अहम हैं।


दिल्ली में नगर निगम की जिन पांच सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं, उनमें शालीमार बाग पर कुल 45 हज़ार मतदाता हैं। यह सीट बीजेपी के खाते में थी, किंतु यहां की निगम पार्षद रेनू जाजू की मृत्यु के बाद इस सीट के लिए तीनों पार्टियों ने अपने-अपने उम्मदीवार उतरने के समय जातीय समीकरणों को भी ध्यान में रखा है। बीजेपी ने इस सीट पर पहले पार्षद रही रेनू जाजू की पुत्र वधु सुरभि जाजू को प्रत्याशी बनाया है। सुरभि वैश्य समाज से आती हैं। शालीमार बाग की सियासत में वैश्य और पंजाबी समाज का दबदबा रहा है। इस सीट पर 16 ब्लॉक हैं, जिनमें बीजेपी यही परम्परागत वोट बैंक है। उनकी संख्या करीब 10 से 12 हज़ार है। हालांकि विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने लगातार दो बार चुनाव जीतकर इस मिथ्या को तोड़ा है।


बहरहाल, बीजेपी की सुरभि जाजू अपने इस सीट को वापस हासिल करने की चुनौती है। निगम की कंगाली के चलते विकास कार्य ठप है। ऐसे में सुरभि के सामने दिल्ली सरकार और स्थानीय विधायक को कोसने के अलावा और कोइ विकल्प नजर नहीं आता।


शालीमार बाग़ की इस निगम सीट में दो गांव और चार झुग्गी क्लस्टर भी आतें हैं। उनपर कांग्रेस की नजर है। इस सीट से ममता आर्य कांग्रेस की उम्मीदवार हैं। ममता जाट है और शालीमार बाग़ के सहीपुर गांव की है। यहाँ जाट समुदाय के भी करीब 2500 वोट हैं। यही वजह है कि कांग्रेस ने गांव के व्यक्ति को उम्मीदवार बनाकर उम्मीद लगाई है। कांग्रेस इस आशा में है कि शायद क्षेत्रवाद और जाट समुदाय का वोट एक तरफा मिल जाये। इस सीट पर पूर्वांचल वोट सबसे ज्यादा करीब 16 हज़ार है। बाकी सैनी समाज के अतिरिक्त प्रजापति समाज के करीब 8 हज़ार मतदाता हैं। यहाँ अनुसूचित जाती और अनुसूचित जनजाति के मतदाता केवल 10 प्रतिशत के आसपास यानि करीब 10 हज़ार हैं। कांग्रेस की कोशिश है कि वह अपने इस परम्परागत वोट बैंक को फिर से हासिल करने में सफल हो जाए। कांग्रेस प्रत्याशी ममता आर्या अपने चुनाव प्रचार में “आप ” की दिल्ली सरकार और बीजेपी की निगम सरकार की पोल खोलने में लगी हैं। साथ ही वह अपनी सरकार के कार्यकाल को भी याद दिलती है कि कैसे उन्होंने क्षेत्र का विकास किया है।
 


आम आदमी पार्टी ने यहाँ से अपने कार्यकर्ता की पत्नी सुनीता मिश्रा को प्रत्याशी बनाकर पूर्वांचल कार्ड खेला है। यहां की विधायक वंदना कुमारी भी पूर्वांचल से है। लिहाज़ा आम आदमी पार्टी यह निगम में व्याप्त भ्र्ष्टाचार को सबसे बड़ा मुद्दा मान रही है। साथ ही भरोसा दिला रही है कि यदि दिल्ली और निगम में एक ही पार्टी की सरकार होगी, जो ज्यादा जिम्मेदारी और जबाबदेही के साथ काम करेगी। उसका आरोप है कि बीजेपी निगम को नहीं चला पा रही है।


कुल मिलाकर मुकाबला बड़ा रोचक है। तीनों पार्टियों ने अपने कई नेताओं को लगाकर पूरी ताकत झोंक दी है। उन्हें मालूम है कि इन पांच सीटों के चुनाव परिणाम केवल इन सीटों की हार जीत ही तय नहीं करेंगे, बल्कि 2022 में होने वाले दिल्ली नगर निगम के चुनावों की दिशा और दशा भी तय करेंगे। यह संकेत देंगे की दिल्ली के दिल में क्या है। 

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