डिम्पल भारद्वाज , संवाददाता
नई दिल्ली। उत्तरी दिल्ली नगर निगम की 24 फरवरी को स्थायी समिति की बैठक में साप्ताहिक बाजारों का मुद्दा एक बार फिर गरमाया। निगम के सभी छह जोनों में करीब एक दशक से 106 नियमित साप्ताहिक बाजार लगते थे। आज भी उनकी संख्या वही है। जबकि हैरानी की बात यह है कि लगने वाले बाजारों की बाजारों की संख्या एक दशक में कई गुना बढ़ गई है। बाजारों से निगम को छोड़ कर दूसरी एजेंसी के कर्मचारी 100-100 रुपये वसूलते हैं, जबकि निगम आज भी दस से 15 रुपये वसूल रहा है। इस मुद्दे को लेकर नेता सदन योगेश वर्मा ने सभी जोनों में लगने वाले साप्ताहिक बाजारों का सर्वे करा उनकी सही संख्या का पता लगाने के लिए कहा है, ताकि निगम को पूरा राजस्व मिल सके, क्योंकि साप्ताहिक बाजारों की आड़ में अवैध उगाही हो रही है।
इस बारे में उत्तरी दिल्ली नगर निगम के योगश वर्मा का कहना है इस तरह से फर्जीवाड़े की वजह से निगम को पूरा राजस्व नहीं मिल पाता है। जबकि स्थायी समिति के पार्षद सदस्य तिलकराज कटारिया ने कहा कि साप्ताहिक बाजारों में माफिया के लोग जेबें भर रहे हैं। साथ ही उन्होंने सुझाव भी दिया कि साप्ताहिक बाजार लगने से पहले वहां पीली रेखा खींची जाए, ताकि उसके बाहर दुकानें नहीं लग सकें।
विपक्ष के पार्षद विक्की गुप्ता ने भ्रष्टाचार की ओर इशारा करते हुए कहा कि एक बाजार में पांच हजार दुकानें लग रही हैं और निगम के रिकार्ड में 200 से 300 तक दर्ज हैं। आखिर यह पैसा किसकी जेब में जा रहा है। इस संबंध में निगम अधिकारी कोई जवाब नहीं दे सके। स्थायी समिति के मनोनित पार्षद सदस्य विक्की गुप्ता ने भी सुझाव दिए थे। इस बीच विपक्षी पार्षद अजय शर्मा ने भी कई गंभीर आरोप निगम की कार्यशैली पर लगाए और सवाल किया कि आखिर मुकुंदपुर में पांचवी तक के प्राईवेट स्कूल को बिना किसी जांच के अनुमति कैसे दी गयी।