तेजस्विनी पटेल, संवाददाता
नई दिल्ली। निजामुद्दीन मरकज की मस्जिद में केवल पांच लोगों को नमाज अदा करने की अनुमति होगी। दिल्ली वक्फ बोर्ड द्वारा रमजान के दौरान 50 लोगों के प्रवेश की अनुमति की मांग को वर्तमान में DELHI HIGH COURT ने ठुकरा दिया है। इसके साथ ही कई धार्मिक स्थलों के बाहर श्रद्धालुओं के जमावड़े को लेकर DELHI HIGH COURT ने गंभीर रुख अपनाया है।
अदालत ने केंद्र को स्पष्ट करने का निर्देश दिया है कि क्या दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) के बढ़ते कोरोना संक्रमण के चलते किसी भी समारोह पर रोक संबंधी दिशा निर्देशों का पालन किया जा रहा है या नहीं। अदालत ने यह निर्देश उस तर्क पर दिया कि राजधानी में कई धार्मिक स्थलों के बाहर काफी भीड़ है।
न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने केंद्र सरकार को शपथपत्र सहित स्पष्ट करने का निर्देश दिया कि 10 अप्रैल को जारी डीडीएमए के निषेधाज्ञा का किस तरह से पालन किया जा रहा है और क्या राष्ट्रीय राजधानी में किसी भी तरह की सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक, अन्य समारोह या सभा की अनुमति दी जा रही है। अदालत ने मामले की सुनवाई 15 अप्रैल तय की है।
दरअसल निजामुद्दीन मरकज मामले की सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि डीडीएमए के आदेश को समान रूप से लागू नहीं किया गया क्योंकि एक धर्म विशेष के पूजा स्थलों के बाहर विशाल सभाएं और कतारें देखी गईं।
सुनवाई के दौरान अदालत ने दिल्ली वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष अमानतुल्लाह खान द्वारा मीडिया को दिए गए उस बयान पर भी नाराजगी जताई, जिसमें कहा गया था कि कोर्ट ने मस्जिद को चालू करने की अनुमति दे दी है। अदालत ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उनके द्वारा इस तरह का बयान दिया गया था जब मस्जिद को फिर से खोलने के संबंध में मुद्दे पर अभी फैसला होना बाकी था।
दरअसल पुलिस ने पेश रिपोर्ट में कहा कि जब थानाध्यक्ष व अन्य अदालत के निर्देश पर मस्जिद का निरीक्षण करने गए तो विधायक अमानतुल्लाह खान भारी भीड़ के साथ वहां पुहंच गए व श्रेय लेने की होड़ में कहा कि उनकी याचिका पर अदालत ने मस्जिद को पूरी तरह से खोल दिया है।