तेजस्विनी पटेल, संवाददाता
नई दिल्ली। देश की सुरक्षा में इस्तेमाल ऑक्सीजन जल्द ही राजधानी के अस्पतालों को मिल सकता है, लेकिन कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए चिंता की खबर है कि अस्पतालों में अभी ऑक्सीजन का संकट कुछ समय और देखने को मिल सकता है। आशंका यहां तक है कि दिल्ली-एनसीआर में अगले तीन दिन तक अस्पतालों को इस मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है।
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने बताया कि डीआरडीओ के माध्यम से, सीमावर्ती क्षेत्रों में ऑक्सीजन utpadan Kendra बनाए गए थे जो सैन्य सुरक्षा के लिए उपयोग किए जाते थे। हमने अब इस ऑक्सीजन को अस्पतालों में पहुंचाने का फैसला किया है, जो दिल्ली से शुरू होगी। यहां के अस्पतालों को अगले कुछ समय में ऑक्सीजन मिलना शुरू हो जाएगा। साथ ही यह दिल्ली में 500 बेड के डीआरडीओ सेंटर और सेना के कोविड अस्पताल को भी ऑक्सीजन की आपूर्ति करेगा।
इसके अलावा ओडिशा और पश्चिम बंगाल से ऑक्सीजन भी रेलमार्ग के जरिए दिल्ली आएगी। हालांकि, दिल्ली सरकार ने जवाब दिया है कि राजधानी की मौजूदा स्थिति ऐसी है कि ऑक्सीजन का अधिक समय तक इंतजार नहीं किया जा सकता है। सरकार ने यहां तक कहा कि केंद्र ने बुधवार को दिल्ली को 102 मीट्रिक टन अतिरिक्त ऑक्सीजन देने की चतुराई से घोषणा की है, जिसमें से 70 ओडिशा और 30 मीट्रिक टन ऑक्सीजन पश्चिम बंगाल से आएगा।
इन टैंकरों को यहां तक पहुंचने में 72 घंटे लगेंगे, जो समय के अनुसार उचित नहीं है। आंकड़ों के अनुसार, वर्तमान में दिल्ली के अस्पतालों में 15000 से अधिक कोरोना संक्रमित मरीज भर्ती हैं, जिनमें से लगभग सात से आठ हजार मरीज ऑक्सीजन, आईसीयू या वेंटिलेटर पर हैं।
इन रोगियों को प्रति दिन कम से कम 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है, लेकिन वर्तमान में 378 मीट्रिक टन की आपूर्ति की जा रही है, लेकिन बुधवार को केंद्र सरकार ने इसे बढ़ाकर 480 मीट्रिक टन कर दिया है, लेकिन इसके लिए 102 मीट्रिक टन, दिल्ली को कम से कम तीन दिन का इंतजार करना होगा क्योंकि ये टैंकर ओडिशा और पश्चिम बंगाल से आ रहे हैं।