नेहा राठौर
दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति के विरोध में दिल्ली सरकार SC/ST/OBC कर्मचारी परिसंघ ने सोमवार को आईटीओ स्थित शहीद भगत सिंह पार्क पर एक दिन का सांकेतिक धरना दिया।
इस दौरान परिसंघ के संयोजक वी के जाटव ने कर्मचारी प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा कि हमने सरकार से बार-बार विनती की कि कर्मचारियों से बात करें, दिल्ली के निगम कर्मचारियों का भविष्य दांव पर न लगाएं, इन सरकारी निगमों का अस्तित्व बचाएं। हमने उनसे कहा कि दिल्ली में क्वालिटी की शराब की बिक्री बनी रहेगी, लेकिन 21 साल के अपरिपक्व युवाओं को शराब के नशे में ना ढकेला जाए! लेकिन दिल्ली सरकार अपनी मनमानी करने से पीछे नहीं हट रही है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने 28 जून को नई आबकारी नीति की घोषणा के साथ एक टेंडर भी जारी किया है, जिसके तहत वर्तमान शराब की सरकारी दुकानों को खत्म करने की बड़ी साजिश की गई है! ऐसे में तीनों निगमों के सरकारी कर्मचारियों के अलावा और आउटसोर्स के कर्मचारियों की 5000 नौकरियां भी दांव पर लगी हैं।
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जाटव ने कहा कि इस टेंडर के तहत दिल्ली को 32 जोनों में बांटकर करीब 849 शराब की दुकानों का लाइसेंस की प्रक्रिया आरंभ की गई है जिसमें केवल बड़े शराब के व्यापारी ही भाग ले सकते हैं। दिल्ली सरकार की इस नीति के लागू करने पर दिल्ली पर्यटन, दिल्ली सिविल सप्लाई ,दिल्ली कंजूमर और दिल्ली इंडस्ट्रीज के हजारों कर्मचारियों का भविष्य दांव पर लग जाएगा और ये तिनों निगम दिवालिया हो जाएंगे। ऐसे में हमारा परिसंघ दिल्ली सरकार के दावे और दलीलों का विरोध करता है।
उन्होंने कहा कि सभी वार्डों में दुकान खोलवाने की जिम्मेदारी आबकारी विभाग की थी। अब अगर एक्साइज विभाग दुकान नहीं खोल पाए तो इसमें निगमों के कर्मचारियों का कोई दोष नहीं है! दिल्ली में करीब 2000 अवैध शराब के ठिकाने हैं, जहां अवैध शराब बेची जाती है, उन्होंन कहा कि हम सरकार से पूछना चाहते हैं कि आपके पास DM, ADM, MCD है और दिल्ली पुलिस भी है। इन सबके साथ मिलकर इन ठिकानों को नष्ट क्यों नहीं किया जा रहा है ताकि दिल्ली में शराब की बिक्री के साथ राजस्व भी बढ़े सके। इस काम में सभी कर्मचारियों में पूरा समर्थन दिल्ली सरकार के साथ रहेगा।
उन्होंने कहा कि इन कर्मचारियों को बड़ी मुश्किल से नौकरियां मिलती है, ऐसे में वाली कई आरक्षित सीटों को पूरी तरह से समाप्त हो जाएंगी। ये तो आरक्षण नीति का उल्लंघन होगा।
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