नई दिल्ली। देश भर में पुजारियों को संरक्षण देने और मंदिरों को सहूलियतें प्रदान करने के उददेश्य से भारतीय जनता पार्टी ने अलग से एक मंदिर प्रकोष्ठ बनाने की दिशा में तेज़ी से काम शुरू कर दिया है। मंदिर प्रकोष्ठ देश भर में पुजारियों को सुख-सुविधा दिलवाने, उनके खर्चे की व्यवस्था सरकार द्वारा कराने के लिए मुहिम शुरू की है। इस दिशा में भारतीय जनता पार्टी द्वारा दिल्ली समेत समूचे देश में जिला प्रकोष्ठों की स्थापना की जाकर कमेटियां गठित की जा रही है।
दिल्ली के नजफगढ़ जिले की जिम्मेदारी तरुण यादव को दी गयी है। उन्हें नजफगढ जिला संयोजक बनाया गया है। तरुण यादव के पदग्रहण समारोह में नजफगढ़ में बड़ी संख्या में ग्रामीणों के बीच दिल्ली प्रकोष्ठ अध्यक्ष करनैल सिंह भी पहुंचे और इस प्रकोष्ठ की उपयोगिता और जरूरत की जानकारी साझा की।
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मालूम हो कि कोरोना काल में देश भर के सभी मंदिरों बंद रहे। इस स्थिति में पुजारियों के सामने परिवार पालने का संकट खड़ा हुआ और संत समाज में भी यह चर्चा और चिंता का विषय बना। इसी को ध्यान में रख बीजेपी ने अब देश में पुजारियों के संरक्षण और मंदिरों को सहूलियत देने का अभियान शुरू किया है। नजफगढ़ इलाके में हुए इस समारोह में नव नियुक्त संयोजक तरुण यादव के पदभार ग्रहण समारोह में बड़ी संख्या में ग्रामीण लोग, बीजेपी के स्थानीय नेता के साथ-साथ मंदिरों के पुजारी भी शामिल थे।
इस मौके पर पहुंचे दिल्ली बीजेपी मंदिर प्रकोष्ठ के अध्यक्ष करनैल सिंह ने पुजारियों को देश की धरोहर और संस्कारों का शिक्षक बताते हुए कहा कि इनके बिना राष्ट्र का समुचित विकास सभव नहीं है।अध्यक्ष करनैल सिंह ने कहा कि मंदिरों को पहचान और पुजारियों को सम्मान मिलना चाहिए।
उन्होंने कहा कि देश पैसों से ही नहीं, संस्कारों से चलता है। हमारे पुजारी राष्ट्र की असली धरोहर है।
नजफगढ़ में इस पदभार ग्रहण समारोह में आयी भीड़ ने साबित किया की दिल्ली के लोग भी यह समझने लगे है कि धर्मनिरपेक्ष भारत में अन्य धर्मों की तरह मंदिरों को भी सहूलियत और पुजारियों को वेतन मिलना चाहिए। हिन्दू धर्म की ध्वजा पुजारी के हाथ में होती है। यदि वही नहीं रहा तो धर्म और देश कैसे बचेगा। नजफगढ़ इलाके के लोगों ने बीजेपी की इस मंशा और मकसद के साथ शुरू हुयी मुहिम को आज की अहम आवश्यकता बताया।
नव नियुक्त संयोजक तरुण यादव ने अपने क्षेत्र में इस मुहिम से सभी धर्म प्रेमियों को जोड़ने का भरोसा दिया दिलाते हुए कहा कि हम हर मंदिर तक जाएंगे। उनके पुजारियों के बच्चों का खर्च उठाएंगे। पुजारी गरीब हैं। उन्हें घर मिले, खर्चा मिले, हम यह सुनिश्चित कराना चाहते हैं।
कोरोना काल में मंदिरों के कपट बंद रहे तो पुजारियों की स्थिति काफी दयनीय हो गयी थी। मन में यह विचार आने लगे कि वे अपने बच्चों को पुजारी नहीं बनाएंगे और यदि भविष्य में पुजारी ही नहीं रहे तो हिन्दू धर्म, हिन्दू संस्कृति और संस्कार कैसे रहेंगे। दिल्ली बीजेपी के मंदिर प्रकोष्ठ का यह समारोह इसी सवाल के समाधान के शुरुआत की है।
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