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नई दिल्ली। उच्च न्यायालय ने मंगलवार को स्कूलों को पहली अप्रैल से नियमित तौर पर खोलने पर रोक लगाने की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया। कोरोना संक्रमण फैलने की आशंका जताते हुए स्कूलों के खोलने पर रोक लगाने की मांग करते हुए याचिका में कहा था कि इससे बच्चों के जीवन के अधिकार का खतरा होगा।
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कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने कहा कि याचिका में ऐसा कोई आंकड़ा नहीं पेश किया गया है, जिससे यह जाहिर होता है कि स्कूलों के खुलने से बच्चों को जोखिम होगा। पीठ ने कहा कि संतुलन बनाने की जरूरत है क्योंकि स्कूल नहीं जाने से बच्चों का ज्यादा नुकसान हो रहा है। यह टिप्पणी करते हुए न्यायालय ने अधिवक्ता आनंद कुमार पांडे की याचिका को खारिज कर दिया। साथ ही कहा कि किसी विशेषज्ञों की सुझावों के अभाव में सिर्फ याचिकाकर्ता की आशंका के आधार पर मामले में सुनवाई नहीं की जा सकती। याचिका में कहा गया था कि 14 साल से कम उम्र के बच्चों को भौतिक रूप से स्कूल जाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है, खासकर तब जब उन्हें कोरोना से बचाव के लिए टीका नहीं लगाया गया हो। याचिका में कहा गया था कि जब तक स्कूल जाने वाले सभी बच्चों का टीकाकरण नहीं हो जाता, तब तक स्कूलों को एक अप्रैल से पूरी तरह खोलने के दिल्ली सरकार के फैसले पर रोक लगा दी जाए।
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