गुरुग्राम कोर्ट की अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश मोना सिंह द्वारा सुनाई गई सजा में ‘आप’ की पूर्व पार्षद निशा सिंह और 10 महिलाओं समेत 17 दोषियों पर जुर्माना भी लगाया गया है
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नई दिल्ली | गुरुग्राम में आम आदमी पार्टी (आप) की एक पूर्व महिला पार्षद निशा सिंह को एक अदालत ने 7 साल कैद की सजा सुनाई है।निशा पर 2015 में भीड़ को भड़काने का आरोप है, जिसने पुलिस और अतिक्रमण हटाने गई हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) की टीम पर हमला कर दिया था। इस घटना में निशा सिंह समेत 17 लोगों को सजा सुनाई गई है।
गुरुग्राम की एक अदालत ने ‘आप’ की एक पूर्व महिला पार्षद सहित 17 लोगों को 2015 में अतिक्रमण हटाने गई एक टीम पर हमला और पथराव करने के लिए अदालत ने सात से 10 साल की कैद की सजा सुनाई है। इस मामले में कुल 19 लोग आरोपी थे। उल्लेखनीय है कि 15 मई 2015 की घटना में, हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) की टीम पर सेक्टर-47 झिमर बस्ती में हमला करने के अलावा पुलिस टीमों पर पेट्रोल बम और रसोई गैस सिलेंडर भी फेंके गए थे, जिसमें ड्यूटी पर मौजूद एक मजिस्ट्रेट और 15 पुलिस कर्मी घायल हो गए थे।
अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश मोना सिंह ने गुरुवार को सुनाई गई सजा में ‘आप’ की पूर्व पार्षद निशा सिंह और 10 महिलाओं समेत 17 दोषियों पर जुर्माना भी लगाया है। अदालत ने दोषियों में 10 को सात साल की सश्रम कैद, जबकि सात को 10 साल की कैद की सजा सुनाई है। अदालत ने निशा सिंह समेत सभी 10 महिलाओं पर 10-10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया और अन्य पर 20-20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। अदालत ने एक आदेश में कहा कि जुर्माने की राशि अदा नहीं किए जाने की सूरत में कैद की सजा दो से तीन साल बढ़ जाएगी।
अदालत ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि अभियुक्तों द्वारा सरकारी अधिकारियों को घायल करना एक गंभीर चूक है, लेकिन यह मानने का कोई कारण नहीं है कि उन्हें सुधारा या उनका पुनर्वास नहीं किया जा सकता है और उनके द्वारा हिंसा के आपराधिक कृत्यों को जारी रखने की संभावना है जो समाज के लिए खतरा हों।
2015 के मामले में कुल 19 आरोपी थे, लेकिन सुनवाई के दौरान रमेश और रतनलाल की मौत हो गई। शेष 17 आरोपियों को दंगा करने, विस्फोटक पदार्थ का उपयोग करने और ड्यूटी पर सरकारी कर्मचारियों को चोट पहुंचाने से संबंधित भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं के तहत दोषी ठहराया गया था। उनमें से सात पर विस्फोटक अधिनियम के तहत आरोप लगाए गए थे। निशा सिंह को आईपीसी की धारा 114 (अपराध होने पर दुष्प्रेरक उपस्थित) के तहत भी दोषी ठहराया गया था।
अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने आईपीसी की धारा 307 (हत्या का प्रयास) की आवश्यकता को पूरा करने के अलावा सभी आरोपों को सफलतापूर्वक साबित किया है, जिसके परिणामस्वरूप सभी आरोपी इस धारा के तहत दंडनीय अपराध से बरी हो गए हैं।
गौरतलब है कि 15 मई 2015 को जूनियर इंजीनियर राजपाल और हुडा की टीमें सेक्टर-47 झिमर बस्ती में अतिक्रमण विरोधी अभियान के बाद मलबा हटा रही थीं। आदेश के अनुसार वकील खजान सिंह, प्रदीप जैलदार और निशा सिंह ने भीड़ को उन पर हमला करने के लिए उकसाया।इसके बाद भीड़ ने पुलिस टीमों पर पेट्रोल बम और एलपीजी सिलेंडर भी फेंके। इस घटना में एक ड्यूटी मजिस्ट्रेट और 15 पुलिसकर्मी घायल हो गए थे।
बता दें कि, पूर्व पार्षद निशा सिंह ने मुंबई विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग में डिग्री लेने के बाद लंदन बिजनेस स्कूल से एमबीए किया था। भारत लौटने के बाद उन्होंने गूगल जैसी बड़ी कॉर्पोरेट कंपनी में भी काम किया था। हालांकि, राजनीति में कदम रखने के लिए उन्होंने वह नौकरी छोड़ दी थी। 2011 में निशा ने गुरुग्राम नगर निगम का चुनाव निर्दलीय लड़ा और वार्ड नंबर 30 से पार्षद चुनी गईं। हालांकि बाद में उन्होंने आम आदमी पार्टी जॉइन कर लिया और 2016 तक पार्षद रहीं।