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नई दिल्ली। जहांगीरपुरी हिंसा मामले में तरह तरह की बातें सामने आ रही हैं। जुलूस पक्ष हिंसा के लिए मुस्लिमों को जिम्मेदार ठहरा रहा है तो मुस्लिम जुलूस पक्ष को। मामले में यह बात पुलिस ने भी स्वीकारी है कि दो जुलूस शांतिपूर्वक निकल चुके थे पर बिना अनुमति के जो तीसरा जुलूस निकला उसमें हिंसा हुई। दो जुलूसों के शांतिपूर्वक निकलने से इस बात को तो बल मिल रहा है कि मुस्लिम पक्ष ने इन दो जुलूसों पर कोई पथराव नहीं किया। बिना अनुमति एक निकले जुलूस पर ही पथराव क्यों हुआ ? यह सोचने के विषय है। दरअसल दो जुलूस निकलने के बाद बजरंग दल और विहिप ने एक रणनीति के तहत तीसरा जुलुस निकाला।
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परिस्तिथियों पर नजर डालने से पता चलता है कि बिना अनुमति के निकले इस जुलूस को निकालने की योजना पहले नहीं थी। इसका सीधा मतलब है कि यह जुलूस उकसावे के माहौल पर आधारित था। पुलिस के जुलूस के आयोजकों के खिलाफ केस दर्ज करके विश्व हिंदू परिषद के जिला सेवा प्रमुख को गिरफ्तार करना इस संदेह को और बढ़ा रहा है। बाकायदा नॉर्थ-वेस्ट डिस्ट्रिक्ट पुलिस ने जानकारी दी है कि यह जुलूस बिना अनुमति के निकाला गया और जुलूस निकालने के आरोप में रविवार को ही जहांगीरपुरी थाने में आईपीसी की धारा-188 के तहत विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल (दिल्ली प्रांत) से जुड़े जुलूस के आयोजकों के खिलाफ अलग से एक केस दर्ज किया गया था। मामले को लेकर पुलिस ने अपनी आरंभिक रिपोर्ट गृह मंत्रालय को सौंप दी है। मामले में अब तक करीब 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। जहांगीरपुरी हिंसा दो जुलूस निकलने के बाद तीसरे जुलूस के बिना अनुमति के निकलने की वजह से होनी बताई जा रही है।
ऐसी जानकारी मिल रही है कि तीसरे जुलूस में बजरंग दल के कार्यकर्ताओं के अलावा दूसरे हिंदूवादी संगठनों के लोग भी शामिल थे। इस जुलूस में लोगों के हाथ में हथियार होने की भी बात सामने आई है। बताया जा रहा है कि जब जुलूस मस्जिद के पास पहुंचा तो कुछ जुलूस में शामिल लोगों ने मस्जिद में भगवा झंडे फेंकने शुरू कर दिए। इसको लेकर ही वहां पर मौजूद एक मुस्लिम युवक से इन लोगों की झड़प हुई और यह झड़प पत्थर बाजी और आगजनी में बदल गई। उधर ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने जहांगीर पुरी हिंसा को लेकर दिल्ली पुलिस पर गंभीर सवाल खड़े कर माहौल को और गरमा दिया है। ओवैसी ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर के बयान का हवाला देते हुए कहा है कि सी ब्लॉक जहांगीरपुरी में बिना अनुमति के जुलूस कैसे निकाला गया ? ओवैसी ने जुलूस में पिस्तौल और तलवार लहराई की भी बात कही है। उनका कहना था की मस्जिद में भगवा झंडों को मिलना क्या दर्शाता है ?
ओवैसी ने हर हिंसा में मुस्लिमों को दोषी ठहराने की भी बात कही है। उनका कहना था कि जांच के बाद दूसरी बात सामने आती है। उन्होंने सवाल किया कि मस्जिद पर भगवा झंडों को फहराने की कोशिश क्यों की गई? मामले को लेकर दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने जहांगीरपुरी हिंसा की हर एंगल से जांच के लिए 14 टीमों का गठन किया है। पुलिस ने लोगों से भी अपील की है कि सोशल मीडिया पर फैलने वाली किसी भी तरह की अफवाह पर ध्यान ना दें। पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना ने कहा है- हम सोशल मीडिया पर बारीकी से नजर बनाए हुए हैं। जो भी सोशल मीडिया पर फर्जी खबर या ट्वीट कर लोगों को भड़काने के इरादे से किसी तरह की अफवाह को फैलाता नजर आएगा, उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
स्थानीय मुस्लिम लोग भले ही मस्जिद पर भगवा झंडा फहराने को लेकर हिंसा की बात कर रहे हों पर पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना ने इसे ख़ारिज करते हुए “एक मामूली तर्क (समूहों के बीच) जहांगीरपुरी में हिंसा का कारण बताया है। दिल्ली के जहांगीरपुरी में हुए दंगे को लेकर पुलिस
कमीश्नर राकेश अस्थाना ने बताया है कि शोभायात्रा के पिछले हिस्से में जो लोग मौजूद थे, उनके साथ वहां पर खड़े लोगों के साथ टकराव हुआ और पथराव शुरू हुए। अस्थाना ने 9 लोगों के घायल होने की बात कही है। जिनमें 8 पुलिस अधिकारी हैं। मामले में अब तक 23 लोग गिरफ्तार हुए हैं। सोशल मीडिया की वीडियो फूटेज की जांच की जा रही है। राकेश अस्थाना ने अमन कमिटी के साथ मिलकर संवेदनशीन इलाकों में शांति रखने के प्रयास की बात कही है। उन्होंने कहा कि पुलिस घटना के सीसीटीवी फुटेज और डिजिटल मीडिया का विश्लेषण कर रही है। अस्थाना ने कहा, “सीसीटीवी फुटेज और डिजिटल मीडिया की जांच की जा रहा है। फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला की टीमों ने आज अपराध स्थल का दौरा किया है।” हिंसा मामले में हिन्दू पक्ष का कहना है कि जैसे ही रैली मस्जिद के पास पहुंची तो मस्जिद के अंदर जो लोग थे, उन्होंने मस्जिद की छत से पथराव करना शुरू कर दिया | दूसरी और मुस्लिम पक्ष का कहना है कि जुलूस जैसे ही मस्जिद के पास पहुंचा तो जुलूस में शामिल लोगों ने भड़काऊ नारे लगाने शरू कर दिए। जिसके बाद कहासुनी और हिंसा हुई। सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीरों से पता चलता है कि यह हिंसा सोची समझी साजिश के तहत हुई है। कुछ लोगों के हाथों में बंदूके भी देखने को मिली हैं| मुस्लिम पक्ष की ओर से दिल्ली पुलिस पर फायरिंग करने की बात कही जा रही है। हिंसा को बढ़ावा देते हुए कई लोगों की मोटर साइकिलों में भयउ आग लगा दी गई। कई गाड़ियों के सीसे भी तोड़ दिए गए। जानकारी यहां तक मिल रही है कि हिंसा के अगले दिन मुख्य आरोपियों के घर जाकर जब पुलिस ने पूछताछ करनी चाही तो मौजूद लोगों ने पुलिस पर पथराव किया। ऐसी भी ख़बरें आ रही है कि जहांगीरपुरी इलाके में बांग्लादेशी लोग भी आकर रहने लगे हैं। हालांकि हिंसा में इनका हाथ होने के कोई साक्ष्य मिलने की कोई बात सामने नहीं आई है।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि पुलिस द्वारा दो नाबालिक बच्चो को भी गिरफ्तार किया गया है। हालांकि पुलिस इन्हें बालिग बताया है। फ़िलहाल जहांगीरपुरी में स्थिति नियंत्रण में है। यहां पर चप्पे चप्पे पर पुलिस तैनात है |मामले में दिल्ली के मुख्य मंत्री अरविन्द केजरीवाल ने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि देश में सभी को शांति और अमन की भावना से रहना चाहिए | उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार को गंभीरता बरतते हुए ठोस कदम उठाने चाहिए | हिंसा के मामले में दो मुख्य आरोपी अंसार और सहयोगी सलीम चिकना समेत चार लोगों को 1 दिन के पुलिस रिमांड के बाद सोमवार को रोहिणी कोर्ट नंबर 6 में सुनवाई के लिए पेश किया गया जहां पर आरोपी अंसार और उसके साथी सलीम दो दिन का पुलिस रिमांड रिमांड बढ़ने के आदेश दिए गए | सोमवार को कुल आठ आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया था, जिनमें 6 अपराधियों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया | अहम बात यह कि इससे पहले अंसार के साथ जिस दूसरे साथी को 1 दिन की रिमांड की सजा मिली थी, वह नाबालिक निकला |
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