Wednesday, December 18, 2024
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Rohini -श्रीअग्रसेन इंटरनेशनल हॉस्पिटल चुनाव -दृष्टियों का एकतरफा भरोसा “सबका हॉस्पिटल “टीम के साथ क्यों ?

-राजेंद्र स्वामी ,रोहिणी

बाहरी दिल्ली के रोहिणी सेक्टर 22 में स्थित श्री अग्रसेन इंटरनेशनल हॉस्पिटल रोहिणी  के चुनाव परिणाम बिलकुल वैसे ही है जैसा समाज के लोग दावा कर रहे थे। इस चुनाव में “सबका हॉस्पिटल ” टीम के सभी प्रत्याशियों ने बम्पर जीत दर्ज़ कर यह साबित कर दिया है की हॉस्पिटल की कमान “सबका हॉस्पिटल “टीम के हाथ में ही रहे और इनके दावे पर समाज भरोसा करे। ऐसा नहीं है की विपक्ष के सभी दावों में दम नहीं था , कई टृष्टि ऐसे भी मिले जो यह मानते थे की हॉस्पिटल सत्ता चंद लोगों में रहने से कई बड़े लोग निरकुंश हो गए है। लेकिन उनके सामने इस टीम को चुनने का आवला कोई विकल्प नहीं था। यानी समाज ने उनके सभी उम्मीदवारों को भरी बहुमत देकर यह माना कि “निष्काम सेवा ” के नारा देकर आयने वाले टीम इस योग्य नहीं है की उन्हें हॉस्पिटल चलने की जिम्मेदारी दे जाये। इस टीम पर भरोसे के पीछे केवल उम्मीदवारों की छवि ही नहीं बल्कि वे नाम भी शामिल थे जो इस पैनल के पीछे खड़े थे। इनमें पूर्व प्रधान घनश्याम गुप्ता जावेरी , बीजेपी नेता श्याम लाल गर्ग , त्रिलोकी नाथ गोयल , सुरेंद्र गुप्ता और रामावतार अग्रवाल मुख्य है। समाज में यह सन्देश गया कि प्रमुख टृष्टियों ने सर्वसम्मति बनाने की कोशिस की लेकिन कुछ लोगों की वजह से ऐसा नहीं हो सकता और चुनाव करवाना आवश्यक हो गया। कहने की जरूरत नहीं की इस टीम और समाज में सर्वसम्मति बनाने की कोशिशों में घनश्याम गुप्ता जावेरी ने भी बहुत प्रयास किये। ऐसे ऐसे लोगो से भी खुले दिल से बात करने की कोशिश की जो उनके आलोचक कहे जाते थे। विपक्ष उनके इस प्रयास को सत्ता हथियाने का हथकंडा और अवसर वाद का उदाहरण बताता रहा लेकिन समाज ने उन चेहरों की ऐसी चर्चाओं की चिंता नहीं की।

 इस चुनाव में निम्न सभी 24  प्रत्याशी विजयी रहे :-प्रधान -नरेश कुमार ऐरन , वरिष्ठ उपप्रधान -लाजपत बंसल , महासचिव – मुकेश कुमार गुप्ता , सुभाष मित्तल किठानिया  ,कोषाध्यक्ष -अनिल कुमार तायल , नरेश कुमार बंसल उप प्रधान -अशोक कुमार अग्रवाल , ईश्वर चंद गर्ग , जय भगवन सिंघल रमेश गुप्ता , मंत्री -अतुल कुमार गर्ग ,प्रवीण गर्ग , सदस्य कण्ट्रोल बोर्ड -सीए अरुण जैन ,अशोक कुमार बंसल ,दौलत राम मित्तल , ज्ञान अग्रवाल ,मुनीष बंसल , नवीन गोयल, प्रवीण गर्ग ,राजेंद्र मित्तल ,राम निवास गोयल , राम गोपाल गोयल , श्याम लाल गुप्ता , विक्की गुप्ता। 

नाम न बताने की शर्त पर कुछ टृष्टि यह मानते है कि यह हॉस्पिटल केवल चंद लोगों की जागीर बनकर रह गया है। बकौल के ट्रष्टी के ” यहाँ ट्रष्टी बनाने का लाभ क्या है। इसकी राजनीति करने वालों को इसमें बेशक कुछ स्वार्थ होता है ,लेकिन आम ट्रष्टी को जो सम्मान मिलना चाहिए वह नहीं मिलता। इन चुनावों में समाज में अंदर खाते यह चर्चा खूब रही ,लेकिन लेकिन यह भी स्वीकार किया कि समाज निष्काम टीम को भी इस लायक नहीं मानता कि कुछ लोगों की नाराजगी का खामियाजा समाज के पैसे से बने हॉस्पिटल को भुगतना पड़े। ऐसे में यह चर्चा भी है की क्या ऐसी सूरत में चुनाव में खड़े होना क्या सही है ? ज्यादातर लोग इस चुनाव में हार जीत को मान सम्मान से जोड़ना ठीक  नहीं मानते। उनका कहना है कि चुनाव होना भी बेहद लाभदायक है। सोसाइटी और हॉस्पिटल  के लिए भी और समाज के लिए भी। चुनाव होते है तो समाज सक्रिय हो जाता है ,तीन साल तक जो ट्रष्टी हॉस्पिटल में झांककर नहीं देखते वे इस मौके पर नजर आते है, और हॉस्पिटल के लिए क्या सही है और क्या गलत है इस पर विचार करते है। आपस में चर्चा कर उन्हें जो ग्रुप सही लगता है उसे मौक़ा देते है। उन्हें हॉस्पिटल की प्रगति रिपोर्ट भी उसी समय पता लगती है। यही वजह है की हॉस्पिटल का घटा भी इस चुनाव में एक चर्चा का विषय बना तो “सबका हॉस्पिटल ” टीम को यह ऐलान करना पड़ा की वे कुछ ही समय हॉस्पिटल को कैश लॉस से मुक्त कर देंगे। कुछ लोग हॉस्पिटल की राजनीति से चिपके रहते है, ऐसी चर्चाओं पर प्रधान नरेश कुमार ऐरन और विपक्ष के लोगों ने यह ऐलान भी किया की वे एक बार चुनाव जीतकर गए तो फिर कभी चुनाव नहीं लड़ेंगे।

 बहरहाल यह भी सही है की यदि कमजोर ही सही ,विपक्ष नहीं होता तो हॉस्पिटल की सत्ता पर काबिज लोग निरंकुश हो जाते। उनपर यह दबाव हमेशा रहता है की यदि कुछ गलत किया या अच्छी परफॉर्मेंस नहीं दी थे अगले चुनाव में ऐसे चुबते सवालों का सामना करना पड़ सकता है। लिहाज़ा जो लोग चुनाव हारें है उन्हें हिम्मत नहीं हारनी चाहिए और जो लोग चुनाव जीते है उन पर नजर गड़ानी चाहिए ताकि जो वादे नरेश कुमार ऐरन और उनकी टीम ने किये है उन्हें पूरा करने का दबाव उन पर बना रहे। 

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