सी.एस. राजपूत
जानकारी मिल रही है कि कांग्रेस की मुखिया सोनिया गांधी ने अपने विश्वसनीय राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को क्लीन चिट दे दी गई है। सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि जयपुर में बतौर पर्यवेक्षक गए अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपनी जो रिपोर्ट सोनिया गांधी को दी है, उसमें गहलोत को क्लीन चिट दी गई है। इसके अलावा यह भी कहा जा रहा है कि इस रिपोर्ट में शांतिलाल धारीवाल और प्रताप सिंह खाचरियावास पर कार्रवाई की भी अनुशंसा की गई है। सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि कार्रवाई की सिफारिश में धर्मेंद्र राठौड़ समेत कुछ अन्य नेताओं के भी नाम हो सकते हैं। वैसे भी अशोक गहलोत ने फोन पर मल्लिकार्जुन हेगड़े से राजस्थान प्रकरण पर माफ़ी मांग ली है।
कहा जा रहा है कि पर्यवेक्षकों ने नौ पन्नों की अपनी रिपोर्ट सोनिया गांधी को दी है। इस रिपोर्ट में पर्यवेक्षकों ने कहा कि रविवार को राजस्थान में जो राजनीतिक घटनाक्रम हुआ उसमें अशोक गहलोत की कोई भूमिका नहीं थी। इसका मतलब यह हुआ कि कई विधायक खुद ही सीपी जोशी के पास गए थे और वहां जाकर अपना इस्तीफा दिया था। इतना ही नहीं शांति सिंह धारीवाल के घर हुई विधायकों की मीटिंग में भी गहलोत की कोई भूमिका नहीं थी। इस रिपोर्ट में बैठक बुलाने वाले नेताओं पर कार्रवाई की सिफारिश की गई है।
हालांकि, अभी अशोक गहलोत के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए नामांकन भरने को लेकर सस्पेंस बना हुआ है। बता दें कि राजस्थान कांग्रेस में उस वक्त बड़ा संकट खड़ा हो गया था जब रविवार को पर्यवेक्षक के तौर पर दिल्ली से गए माकन और खड़गे की मीटिंग में कई विधायक नहीं पहुचे। विधायकों ने शांतिलाल धारीवाल के घर पर बैठक की थी और बाद में सीपी जोशी के पास जाकर अपना इस्तीफा सौंप दिया था। हालांकि राजस्थान प्रकरण के बाद अशोक गहलोत का नाम अध्यक्ष की दौड़ से काफी पिछड़ गए हैं।
दरअसल गहलोत को कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चा थी और सचिन पायलट को राजस्थान का मुख्यमंत्री पद देने की भी चर्चा टी। ऐसे में अचानक गहलोत समर्थकों ने इसे लेकर बगावत कर दी थी। बगावती तेवर दिखाने वाले विधायकों का कहना था कि सचिन पायलट का चेहरा उन्हें मुख्यमंत्री पद के लिए मंजूर नहीं है। इसके बाद यह खबर आई थी कि पार्टी आलाकमान अशोक गहलोत को राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद की रेस से बाहर कर सकता है। नए अध्यक्ष के लिए कुछ नामों की चर्चा भी हो रही थी। इसमें मुकुल वासनिक, मल्लिकार्जुन खड़गे, दिग्विजय सिंह और केसी वेणुगोपाल शामिल हैं।
कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अशोक गहलोत कद्दावर नेता हैं। पार्टी आलाकमान उन पर सीधी कार्रवाई से बचना चाहती है। विश्लेषकों का मानना है कि पार्टी आलाकमान को ऐसा लगता है कि इस पूरे मामले पर पार्टी की पहले ही काफी किरकिरी हो चुकी है। ऐसे में फिलहाल अशोक गहलोत पर कोई बड़ी कार्रवाई करने से पार्टी आलाकमान परहेज कर रहा है। यह भी कहा जा रहा है कि धारीवाल और प्रताप सिंह पर ज्यादा बड़ी कार्रवाई होगी, इसकी भी आशंका कम है।
कई विधायक पड़े नरम
हालांकि, इस पूरे घटनाक्रम के बाद अब कई कांग्रेसी विधायकों के सुर बदल गए हैं। दिव्या मदेरणा ने तो यहां तक कह दिया कि शांतिलाल धारीवाल ने उन्हें मिसगाइड किया और उन्हें मीटिंग में नहीं जाने दिया गया। सीपी जोशी को इस्तीफा दे चुके कई विधायकों का अब कहना है कि वो पार्टी आलाकमान के सभी फैसलों के साथ हैं और उनके लिए वफादार बने रहेंगे। इधर सचिन पायलट मंगलवार को दिल्ली आए थे। हालांकि उन्होंने यहां पार्टी आलाकमान के साथ अपनी बैठक को लेकर कुछ भी नहीं कहा।