Wednesday, October 30, 2024
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Bihar News : राकेश टिकैत ने लिखी नीतीश कुमार को चिट्ठी, आंदोलन की चेतावनी, कहा – बिहार का किसान देश में सबसे बर्बाद

टिकैत ने पत्र में लिखा कि बिहार में पिछले 15 से 16 सालों से मंडियां बंद हैं, जिससे कि वहां के किसानों को न तो कोई फसल बेचने का प्लेटफॉर्म मिल पाता है और न ही फसल के भाव प्रभावी रूप से मिल पा रहे हैं।
 

दिल्ली दर्पण टीवी ब्यूरो 

Bihar News: किसान नेता राकेश टिकैत ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को राज्य में मंडी व्यवस्था शुरू करने के लिए पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि बिहार का किसान देश में सबसे बदहाली का जीवन व्यतीत कर रहा है। टिकैत ने सीएम नीतीश कुमार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर आपने मंडी व्यवस्था दोबारा से शुरू नहीं की तो हम एक बड़े आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे। इसके पहले आरजेडी नेता और तत्कालीन मंत्री सुधाकर सिंह इस मांग को लगातार उठाते रहते थे। उन्होंने इसके लिए अपने विभाग में पीत पत्र भी लिखा था।

इसके पहले साल 2006 में एनडीए गठबंधन में सत्ता में रहते हुए बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एपीएमसी अधिनियम और मंडी व्यवस्था को खत्म कर दिया था। देश के चर्चित किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बिहार के किसानों की दुर्दशा के बारे में 17 अक्टूबर को पत्र लिखा है।

15-16 सालों से बिहार में बंद है मंडी व्यवस्था

महोदया आपको अवगत कराना चाहूंगा कि बिहार में पिछले 15 से 16 सालों से मंडियां बंद हैं, जिससे कि वहां के किसानों को न तो कोई फसल बेचने का प्लेटफॉर्म मिल पाता है और न ही फसल के भाव प्रभावी रूप से मिल पा रहे हैं। बिहार का किसान अपने द्वारा पैदा किए हुए खाद्यान्न को दलालों के माध्यम से लागत से भी कम मूल्य पर बेचने को मजबूर है। किसान की आर्थिक स्थिति बिहार में बदहाल हो चली है। न तो उसके पास फसल बोने के लिए बीज का पैसा है और न ही परिवार का पालन-पोषण करने के लिए उपयुक्त धनराशि है।

बिहार का किसान दूसरे प्रदेशों में मजदूरी करने को विवश

मुख्यमंत्री जी बिहार में मंडिया न होने के कारण दूसरे प्रदेशों में जाकर मजदूरी करने पर विवश हो गया है। जो छात्र किसान परिवारों से आते हैं धन न होने की वजह से उनकी शिक्षा पर इसका बहुत असर पड़ा है। अतः हमारे आग्रह पर बिहार में दोबारा मंडिया शुरू किए जाने का कार्य किया जाए, जिससे किसान को फसल बेचने का प्लेटफॉर्म और न्यूनतम समर्थन मूल्य दिया जाए। अगर ये कार्य नहीं होता है तो बिहार में हम एक बड़ा आंदोलन करने को मजबूर होंगे।

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