महंगाई पर चरम पर तो खाद्यान्न का स्टॉक पहुंचा न्यूनतम पर
सी.एस. राजपूत
देश में भावनात्मक मुद्दों की राजनीति का हावी होना कितना घातक होता है यह देश में बहुत जल्द दिखाई देना वाला है। दरअसल जिस समय देश में सत्ता और विपक्ष को रोजी और रोटी के मुद्दे पर गंभीर होना चाहिए वे अपनी वोटबैंक के प्रति काम करते नजर आ रहे हैं। सत्ता में बैठी भाजपा जहां हिन्दुत्व पर फोकस कर रही है तो विपक्ष भी उसके बनाये जाल में फंसता नजर आ रहा है। यदि देश से कहीं कुछ गायब है तो वह रोजी और रोटी का मुद्दा है। यही सब कारण है कि लोग जाति और धर्म में उलझे हैं और देश और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी और जवाबदेही को नहीं समझ रहे हैं। इन लोगों की समझ में यह नहीं आ रहा है कि इनकी गैरजवाबदेही के चलते देश के हालात दिन पर दिन बुरे होते जा रहे हैं।
भले ही सत्ता में बैठे लोग देश को आगे ले जाने के तमा दावे कर रहे हों पर जमीनी हकीकत यह है कि देश में रोजी और रोटी का बड़ा संकट पैदा हो गया है। आने वाला समय कितना कठिन होना वाला है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सरकारी गोदामों में गेहूं और चावल का स्टॉक गिरकर पांच साल के निचले स्तर पर आ गया है। खुदरा अनाज की कीमत सितंबर महीने में 105 महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गई है। भारतीय खाद्य निगम के आंकड़ों के अनुसार एक अक्टूबर को सार्वजनिक गोदामों में गेहूं और चावल का स्टॉक कुल 511.4 लाख टन था, जबकि गत साल यह 816 लाख टन था। 2017 के बाद से अब तक गेहूं और चावल का स्टॉक सबसे निचले स्तर पर है।
एक अक्टूबर को गेहूं का स्टॉक २२७.5 न केवल छह साल के निचले स्तर पर था, बल्कि बफर स्टॉक (205.2 लाख टन) से थोड़ा सा अधिक था। हालांकि चावल का स्टॉक आवश्यक स्तर से लगभग 2.8 गुना अधिक था। चाल साल पहले की तुलना में एफसीआई के गोदामों में कम अनाज उपलब्ध है। एफसीआई के गादामों में स्टॉक में गिरावट चिंता का विषय है। नॉन-पीडीएस (सार्वजनिक वितरण प्रणाली) गेहूं और आटे के लिए वार्षिक खुदरा मुद्रास्फीती सिंतम्बर में अब तक के उच्चतम स्तर पर 17.41 प्रतिशत पर पहुंच गई है, जो गत आठ महीने में सबसे अधिक है। कीमतों में कमी की संभावनाएं सीमित हैं, क्योंकि किसानों ने अभी तक गेहूं की बुवाई नहीं की है और अगली फसल 15 मार्च के बाद ही बाजारों में आएगी।
यह समझने की बात है कि जब महंगाई चरम पर होगी और सरकारी गोदामों में अनाज नहीं होगा तो देश में हाहाकार मचने के पूरे आसार हो जाएंगे। वैसे भी जगजाहिर है कि जब अनाज का अभाव होता है तो महंगाई चरम पर पहुंचती है। देश की बात यह है कि जो केद्र सरकार 80 करोड़ लोगों को फ्री राशन बांटने का दावा कर रही है और दिल्ली सरकार दिल्ली में फ्री राशन दे रही है। इन सरकारों की इन योजना का क्या होगा ? क्या गोदामों में हो रहे खाद्यान्न के अभाव पर भी ये सरकारें ऐसे ही फ्री राशन बंटवाती रहेंगी ? ऐसे में प्रश्न उठता है कि खाद्यान्न नहीं होगा तो फिर राशन बंटवाएंगी कहां से ? यदि बंटवा देती भी हैं तो फिर दूसरे लोगों को कहां से राशन मिलेगा ?