दिल्ली दर्पण टीवी ब्यूरो
उच्चतम न्यायालय ने अप्रैल 2013 में मध्य प्रदेश में चार साल की बच्ची के यौन उत्पीड़न के बाद उसकी हत्या करने वाले व्यक्ति की मौत की सजा के अपने पूर्व के फैसले में शुक्रवार को संशोधन करते हुए कहा कि अब दोषी को सभी अपराधों के लिए 20 साल जेल की सजा काटने के बाद रिहा किया जाएगा।
शीर्ष अदालत ने 19 अप्रैल के अपने फैसले में दोषी मोहम्मद फिरोज की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था। हालांकि, इसने बलात्कार के अपराध के लिए और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के कुछ प्रावधानों के तहत आजीवन कारावास की सजा की पुष्टि की थी और परिणामस्वरूप दोषी अंतिम सांस तक जेल में रहेगा। मुख्य न्यायाधीश उदय उमेश ललित, न्यायमूर्ति एस आर भट और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने दोषी की अंतरिम अर्जी पर ध्यान दिया और इसे पुनर्विचार याचिका माना और अपने आदेश को संशोधित करते हुए स्पष्ट किया कि उसे सभी अपराधों के लिए 20 साल की जेल की सजा होगी। मामले के सह आरोपी राकेश चौधरी को सात साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई है। उच्च न्यायालय ने चौधरी को बरी कर दिया था, लेकिन फिरोज की मौत की सजा की पुष्टि की थी।