2017 के निगम चुनाव में भाजपा ने सभी पार्षदों के काट दिए थे टिकट, पार्टी का दांव सफल रहा और भाजपा ने तीनों निगम में बड़ी जीत हासिल की थी, जीत के लिए पार्टी कुछ पुराने बड़े नेताओं पर भी दांव लगा सकती है
दिल्ली दर्पण टीवी ब्यूरो
MCD Elections : निगम चुनावों में अपना किला बचाने में जुटी भाजपा पैनल और सर्वे के मुताबिक अपने प्रत्याशी तय करेगी। सभी वार्डों में भेजे गए ऑब्जर्वर ने तीन-तीन नामों का पैनल प्रदेश कोर कमेटी को सौंप दिया है। अब सर्वे के साथ इनका मिलान कर भाजपा प्रत्याशी तय करेगी। 250 पार्षद प्रत्याशियों के नामों को दो से तीन सूचियों में जारी किया जाएगा। बुधवार को भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की बैठक पार्टी कार्यालय पर हुई। भाजपा ने सभी 250 वार्ड में ऑब्जर्वर भेजे थे। इन्होंने स्थानीय संगठन, जनप्रतिनिधियों के आधार पर तीन-तीन प्रत्याशियों का पैनल तैयार किया है। यह पैनल प्रदेश कोर कमेटी को सौंप दिया गया है। अब चुनाव समिति में टिकट पर फैसला होगा।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक 11 नवंबर रात तक पार्टी पहली सूची जारी कर सकती है। इसमे सौ प्रत्याशियों की घोषणा हो सकती है। पैनल के साथ साथ भाजपा टिकट में सर्वे पर भी जोर देगी। सर्वे और संगठन की सहमति के आधार पर जीतने वाले प्रत्याशी पर दांव लगाया जाएगा।
बड़े नेताओं पर लग सकता है दांव
2017 के निगम चुनाव में भाजपा ने सभी पार्षदों के टिकट काट दिए थे। पार्टी का दांव सफल रहा और भाजपा ने तीनों निगम में बड़ी जीत हासिल की थी। इस बार जीत के लिए पार्टी कुछ पुराने बड़े नेताओं पर भी दांव लगा सकती है। 2012 से 17 के बीच पार्षद रहे कुछ नेताओं को चुनाव मैदान में उतारा जाएगा।
परिसीमन में फंसे हैं टिकट
कई पार्षदों के टिकट नए परिसीमन में फंस गए हैं। बीते निगम में 272 वार्ड थे। इस बार तीनों निगम को जोड़कर वार्डों की संख्या 250 कर दी गई। इस तरह पिछली बार चुनाव लड़े 22 प्रत्याशी पहले ही दौड़ से बाहर हो गए। परिसीमन के चलते कई सीटों का गणित बदल गया है। इसके आधार पर भी कई पार्षदों के टिकट काटे जा सकते हैं। कुछ पार्षदों की सीट बदली जाएगी। पार्षद प्रत्याशी की दौड़ में शामिल नेता बड़े नेताओं को साधने में जुटे रहे। सभी अपने अपने हिसाब से जीत का समीकरण समझा रहे हैं।
बता दें कि राजनीतिक दलों को निगम चुनाव में सबसे अधिक खतरा पार्टी के बागियों से रहता है। निगम के 250 वार्ड की तुलना में दावेदारों की संख्या कई गुना अधिक होने से पार्टी को बिना किसी को नाराज किए टिकट की घोषणा करना भी बड़ी चुनौती रहती है। पार्टी अगर जल्दी टिकट की घोषणा करती है तो अन्य दावेदार कई बार नाराज होकर दल बदल लेते हैं या विरोध शुरू कर देते हैं।