गौतम चतुर्वेदी
उस पर हुए इस भीषण तेजाब हमले में, उसके चेहरे और शरीर पर अत्यधिक गंभीर दर्द के कारण वह कई बार जमीन पर गिर पड़ी। लड़की के चेहरे पर ( अर्थात उसके पूरे चेहरे पर) अत्यधिक जलन हुई है और उसकी दोनों आँखों को बहुत बुरी तरह से क्षतिग्रस्त कर दिया गया था।
हर साल ( यानी पिछले कई दशकों से ) लड़कियों/महिलाओं पर एसिड हमले दिन-प्रतिदिन बहुत तेजी से बढ़े हैं और हमारी सरकार ने इस अत्यंत गंभीर मामले के बारे में कुछ भी NAHI किया है। एसिड की बोतलें बहुत ही आसानी से किसी को भी बेची जाती हैं, जो कोई भी व्यक्ति इसके लिए भुगतान करता है। जो भी व्यक्ति हार्डवेयर की दुकान से तेजाब खरीदता है, उससे कोई आईडी प्रूफ नहीं लिया जाता (अर्थात् मांगा जाता है), भले ही वह भारी मात्रा में तेजाब क्यों न खरीदता हो।
इतने वीभत्स हमलों के बाद निचली ज़िला अदालतों में कई सालों तक ” तेजाब हमलावरों ” के खिलाफ आपराधिक मामला चलता रहता है *अगर “तेजाब हमलावरों” को सजा दी जा रही है तो मुश्किल से चार-पांच साल की सजा होती है।
मेरा मुख्य प्रश्न यह है कि, इस ” एसिड अटैक ” ( कई साल पहले ) के संबंध में एक बहुत ही सख्त ” कानून” बनाए जाने और लागू किए जाने के बावजूद, ACID अभी भी बहुत स्वतंत्र रूप से और बहुत आसानी से बेची जाती है और सभी हार्डवेयर की दुकानों पर उपलब्ध है। भारत (यानी भारत में प्रत्येक हार्डवेयर की दुकानों पर)।
इस अत्यंत गंभीर मामले के संबंध में हमारा भारतीय कानून वास्तव में क्या कर रहा है।
कई साल पहले, लक्ष्मी अग्रवाल नाम की एक 17 साल की लड़की पर एक अत्यंत भीषण “एसिड अटैक” हुआ था, जो एसिड अटैक के बाद इस बहुत ही हिंसक एसिड अटैक से पूरी तरह से बह रही थी और कांप रही थी (अत्यधिक असहनीय दर्द में) और उसने महसूस किया कि , उसके पूरे शरीर और चेहरे को पूरी तरह से आग लगा दी गई थी (चूंकि यह विशेष एसिड बहुत शक्तिशाली था)। यह बेहद दर्दनाक था। उस अवस्था में, वह कई बार जमीन पर गिर पड़ी।
अब, यह बहुत ही उच्च समय है कि, श्री नरेंद्र मोदी (बीजेपी) सरकार को इस गंभीर मामले के बारे में बहुत गंभीरता से कुछ करना चाहिए और करना चाहिए।
जो भी व्यक्ति किसी हार्डवेयर की दुकान से तेजाब खरीदता है उसकी तुरंत (अर्थात् उसी समय अर्थात तुरंत) फोटो तेजाब खरीदते समय ली जानी चाहिए और तेजाब खरीदने वाले ऐसे सभी व्यक्तियों की ऐसी तस्वीर को प्रत्येक हार्डवेयर की दुकान पर रिकॉर्ड के रूप में रखा जाना चाहिए, और प्रत्येक व्यक्ति को एसिड खरीदते समय सभी हार्डवेयर की दुकानों पर अपना पहचान पत्र प्रस्तुत करना होगा।
एसिड अटैक के सभी मामलों को तुरंत सभी “फास्ट ट्रैक कोर्ट्स” यानी पूरे भारत में रखा जाना चाहिए और यहाँ एक बात सबसे महत्वपूर्ण है कि, प्रत्येक “एसिड अटैकर्स” को हमारी सभी अदालतों द्वारा “कैपिटल पनिशमेंट यानी फँसी” दी जानी चाहिए। भारत क्योंकि यह वास्तव में दुर्लभ और सभी अपराधों में दुर्लभतम है। भारत में हमारे सभी न्यायालयों द्वारा दिए जा रहे इस “मृत्युदंड यानी फंसी” के संबंध में कोई समझौता नहीं होना चाहिए।
एसिड अटैक/सर्वाइवर के माता-पिता उनके इलाज पर लाखों-करोड़ों रुपये खर्च करते हैं। मेरा मुख्य प्रश्न यह है कि, अपराधी/अपराधी हमारी अदालतों द्वारा तेजाब हमले/उत्तरजीवियों के परिवारों को ऐसे सभी पैसे चुकाने या मुआवजा देने के लिए बाध्य क्यों नहीं हैं?
तेजाब हमले के लिए केवल एक ही सजा, मृत्युदंड ही होनी चाहिए और (बिल्कुल) और कुछ नहीं। यदि नहीं, तो लोगों को ऐसे व्यक्तियों को जबरदस्ती खींचकर खुली सड़कों पर लाना चाहिए और ऐसे व्यक्तियों पर मिट्टी का तेल या पेट्रोल डालकर जला देना चाहिए। इन लोगों को सड़कों पर लिंचिंग में मार देना चाहिए। ऐसे लोगों के लिए यही एक रास्ता/समाधान है। अन्यथा, यदि ऐसे व्यक्तियों पर पुलिस द्वारा मामला दर्ज किया जाता है, तो अदालतें हमेशा (यानी हर बार) ऐसे व्यक्तियों को बहुत आसानी से जमानत दे देंगी।