योगी सरकार और समाजवादी पार्टी दोनों का विरोध दर्ज करा रहे हैं आंदोलित निवेशक
दिल्ली दर्पण टीवी ब्यूरो
सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद हो रहे मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में वैसे तो टक्कर बीजेपी और सपा के बीच मानी जा रही है पर मुलायम सिंह यादव की बहू और मौजूदा पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी डिम्पल यादव का राजनीतिक कैरियर इस सीट पर दांव पर लगा है। देखने की बात यह भी है कि सीट निकालने के लिए विभिन्न दलों के नेता तो एड़ी चोटी का जोर लगा ही रहे हैं पर क्षेत्र ने एक बड़ा तबका ऐसा भी जो मतदान का विरोध कर नोटा पर बटन दबाने की अपील कर रहा है। नोटा के बटन को दबाने की अपील करने वाले और कोई नहीं हैं बल्कि सहारा के सताए निवेशक और जमाकर्ता हैं। इन लोगों ने मतदान का बहिष्कार करते हुए नोटा के बटन को दबाने के लिए बड़ा अभियान छेड़ रखा है।
सहारा निवेशक उसी तर्ज पर रैली निकाल रहे हैं जैसे कि प्रत्याशियों की निकाली जा रही है। सहारा निवेशक इन रैलियों में भुगतान नहीं तो मतदान नहीं, वोट फॉर नोटा के नारे लगा रहे हैं। चुनाव में अपना विरोध दर्ज करा रहे इन निवेशकों का कहना है कि जब तक उन्हें भुगतान नहीं मिलेगा तब तक वे मतदान नहीं करेंगे।
दरअसल मैनपुरी में सहारा निवेशकों का विरोध दर्ज कराने का बड़ा मकसद भुगतान न कराने की वजह से जहां योगी सरकार का विरोध दर्ज कराना है वहीं समाजवादी पार्टी का विरोध भी करना है। सपा का विरोध ये निवेशक इसलिए कर रहे हैं क्योंकि सहारा को आगे बढ़ाने में समाजवादी पार्टी का भी बहुत बड़ा योगदान है।
दरअसल मुलायम सिंह के परिवार के सहारा प्रमुख सुब्रत राय से घनिष्ट संबंध रहे हैं। जब 2003 में जब बीजेपी के मायवती से समर्थन वापस लेने के बाद मुलायम सिंह यादव की सरकार बनी थी तो मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री पद की शपथ में आयोजित किये गए समारोह का पूरा खर्च सुब्रत राय ने उठाया था।
ऐसे में जब 2012 में जब मुलायम सिंह यादव के बेटे अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो अखिलेश यादव की पूरी टीम शपथ ग्रहण करने के लिए सहारा शहर से ही गई थी। ऐसे लग रहा था कि सहारा की सरकार बन गई हो। एक दौर था कि सुब्रत रॉय हर कार्यक्रम में मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव दिखाई देते थे। यही वजह है कि मैनपुरी में लोकसभा उप चुनाव में सहारा निवेशक आक्रामक मूड में हैं।
दरअसल भुगतान के लिए पूरे देश में सहारा निवेशक सड़कों पर उतरे हुए हैं। हाल ही में 15 नवम्बर को जब पूरे देश में भुगतान को लेकर सहारा के खिलाफ आंदोलन किया गया तो सहारा प्रबंधन पूरी तरह से हिल गया। अब सुब्रत रॉय बयान जारी कर रहे हैं कि जल्द सहारा सेबी विवाद निपटने वाला है निवेशकों को उनका पूरा भुगतान मिलेगा। सुब्रत राय ने यह भी कहा है कि निवेशक किसी की बहकावे में न आएं। मतलब सुब्रत राय निवेशकों के आंदोलन को कमजोर करने में लग गए हैं। अब देखना यह है कि निवेशकों का आंदोलन जीतता है या फिर सुब्रत रॉय की तिकड़मबाजी।