हिंडन बर्ग की रिपोर्ट के बाद लगातार धराशायी हो रहे गौतम अडानी, टॉप टेन से हुए बाहर, पहुंचे 11 स्थान पर
सीएस राजपूत
यदि कोई ग्रुप एक रिपोर्ट पर ही धराशायी होने लगे तो समझ जाइये कि वह कैसे आगे बढ़ा है और उसका आधार क्या है ? जी हां बात अडानी ग्रुप की हो रही है। हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने के बाद अडानी ग्रुप की चूलें हिल गई है। स्थिति यह है कि अडानी ग्रुप टॉप टेन से बाहर हो गया है। दुनिया के अमीरों में तीसरे स्थान से खिसक कर गौतम अडानी 11वें नंबर पर पहुंच गये हैं। इस रिपोर्ट के बाद अब तक अडानी ग्रुप को लगभग पांच लाख करोड़ रुपये का नुकसान बताया जा रहा है।
एलआईसी को भी 18000 करोड़ का नुकसान हुआ है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि ऐसा इस रिपोर्ट में क्या आ गया कि अडानी ग्रुप का शेयर धड़ाम से गिर गया। या फिर यह ग्रुप कैसा है कि एक रिपोर्ट पर इसकी नींव हिल गई ? अडानी ग्रुप के डूबने की स्थिति में देश के डूबने की आशंका भी जताई जाने लगी है तो फिर इस रिपोर्ट में ऐसा क्या है कि देश में हड़कंप है। जिस तरह से अडानी ग्रुप का मामला गड़बड़ाया है ऐसे में यह माना जा रहा है कि कहीं अडानी ग्रुप का हाल सहारा और सत्यम जैसा न हो जाए ?
दरअसल किसी समय में सहारा और सत्यम ग्रुप का साम्राज्य भी अडानी ग्रुप जैसा था और जब इन ग्रुपों की पोल खुलनी शुरू हुई तो दोनों ही ग्रुप धड़ाम से जा गिरे। सहारा में तो पैसे के लिए देशभर में निवेशक और जमाकर्ता आंदोलन कर रहे हैं।
दरअसल अडानी ग्रुप पर हिंडनबर्ग रिसर्च कंपनी 2017 से काम कर ही थी। इस कंपनी ने यह सब पता लगा लिया है कि कंपनी कैसे-कैसे हथकंडे अपनाकर आगे बढ़ी है। कैसे गौतम अडानी ने अपने परिवार को लगाकर देश और विदेश के बैंकों से लोन लिया है और कैसे देश को चूना लगाने की तैयारी कर ली है। ऐसे में प्रश्न यह भी उठता है कि आखिरकार केंद्र सरकार अडानी ग्रप पर ऐसी क्या मेहरबान रही कि जब हर कोई आर्थिक तंगी से जूझ रहा है तो अडानी ग्रुप लगातार तरक्की कर रहा।
नरेंद्र मोदी की अगुआई में चल रही केंद्र सरकार अडानी ग्रुप पर पूरी तरह से मेहरबान रही है। अडानी ग्रुप में जहां एलआईसी का पैसा लगा है वहीं एसबीआई और कोडक बैंक ने भी बड़े स्तर पर पैसा दिया है। देखने की बात यह भी है कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद अडानी ग्रुप ने उस पर लीगल कार्यवाही करने की धमकी दी थी पर ग्रुप ने ऐसी कोई कार्यवाही नहीं की बल्कि हिंडनबर्ग के सवालों के जवाब में भी राष्ट्रवाद का बखान कर दिया है। ऐसा आरोप हिंडनबर्ग ने लगाया है। हिंडनबर्ग का कहना है कि इन जवाब में अडानी ने देश के विकास को अपने से जोड़कर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को अमेरिकी कारोबारियों को फायदा पहुंचाने की नीयत से जारी करना बताया है।
हिंडनबर्ग की वेबसाइट पर उनका जवाब है उसमें अडानी पर उनके सवालों के जवाब देने के बजाय राष्ट्रवाद की एक कहानी भेज दी गई। दरअसल 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गौतम अडानी के ग्रुप को आगे बढ़ाने में काफी मदद की है। मोदी पर विपक्ष ऐसे भी आरोप लगाये हैं विदेशी दौरे में भी वह अडानी को फायदा पहुंचाते रहे हैं। यह माना जाता है कि विदेश में अडानी ग्रुप का अधिकतम कारोबार मोदी ने ही करवाया है। यही सब वजह रही है कि जहां आम आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने संसद में अडानी ग्रुप पर दो लाख करोड़ से अधिक का कर्ज होने का आरोप लगाया था वहीं सांसद राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा में भी देश के अडानी द्वारा चलाने का आरोप लगाते रहे हैं। बताया जाता है कि मोदी के राजनीति में स्थापित होने में गौतम अडानी ने बहुत मदद की है। 2014 के आम चुनाव में मोदी के चुनावी प्रचार में जो हेलीकॉप्टर लगा था वह भी अडानी ग्रुप का बताया जा रहा था। यहां तक रैली का खर्च भी अडानी ग्रुप के उठाने की बातें सामने आई थी।
यह माना जा रहा है कि मोदी अडानी के उन पर किये गये एहसानों का बदला चुकाने के लिए सब नियम कानून ताक पर रखकर अडानी ग्रुप को पूरी छूट दे रखे हैं। मोदी अडानी ग्रुप को अपनी आर्थिक ढाल के रूप में इस्तेमाल कर रहे है। एनडीटीवी के अडानी के खरीदने के पीछे भी बीजेपी का दबाव बताया जा रहा है।
यह माना जा रहा है कि मोदी विरोधियों की आवाज दबाने के लिए अडानी ग्रुप का इस्तेमाल कर रहे हैं। जहां देश के संसाधनों का दोहन अडानी ग्रुप से कराया जा रहा है वहीं इस ग्रुप को खुलकर लोन दिलवाया जा रहा है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि यदि अडानी ग्रुप बैठ गया तो देश का क्या होगा ? या फिर ग्रुप के बैठने पर नीरव मोदी, विजय माल्या की तरह गौतम अडानी भी विदेश भाग गये तो फिर कौन जिम्मेदार होगा ? कहीं अडानी ग्रुप का हाल सहारा या फिर सत्यम जैसा न हो जाए ?