Friday, November 8, 2024
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Hindenburg : शोध रिपोर्ट से कई कंपनियों की हिली नींव 

अडाणी समूह की कंपनियों पर गंभीर अनियमितता का आरोप लगाने वाली अमेरिकी वित्तीय शोध कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च की शुरुआत छह साल पहले दुनिया की बड़ी कंपनियों में गड़बड़ियों का पता लगाने और उनके शेयरों पर दांव लगाने के इरादे से की गई थी।
 

कनेक्टिकट यूनिवर्सिटी से अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रबंधन की पढ़ाई करने वाले नैथन एंडरसन ने वर्ष 2017 में इस फारेंसिक वित्तीय शोध कंपनी की बुनियाद रखी थी। उस समय एंडरसन ने कारोबार जगत की मानव-निर्मित त्रासदियों की पहचान को इसका उद्देश्य घोषित किया था। इस नामकरण के साथ ही उन्होंने आठ दशक पहले की उस मानव-निर्मित त्रासदी की याद ताजा कर दी, जिसमें करीब 35 लोगों की मौत हो गई थी।

दरअसल, वर्ष 1937 में हाइड्रोजन गैस से चलने वाला एक वायुयान न्यूजर्सी में आग लगने की वजह से धराशाई हो गया था। इसे मानव-निर्मित त्रासदी बताया गया था क्योंकि करीब 100 लोगों को अत्यधिक ज्वलनशील गैस से चलने वाले वायुयान में बिठा दिया गया था। उस दुर्भाग्यशाली वायुयान का नाम हिंडनबर्ग था।

हिंडनबर्ग के नाम पर गठित इस अमेरिकी फर्म ने कुछ दिनों पहले जब दुनिया के सर्वाधिक धनी लोगों में शुमार गौतम अडानी की अगुवाई वाले समूह की कंपनियों के बारे में एक रपट जारी की तो शेयर बाजार के दो कारोबारी दिवसों में ही इन कंपनियों की पूंजी 51 अरब डालर घट गई। इसके साथ ही अडाणी अरबपतियों की सूची में चार पायदान नीचे आ गए।


 
अडाणी समूह की प्रतिनिधि कंपनी अडाणी एंटरप्राइजेज का 20,000 करोड़ रुपए का अनुवर्ती सार्वजनिक निर्गम (एफपीओ) शुक्रवार को ही खुलने वाला था। इसके ऐन पहले आई हिंडनबर्ग रपट से इसके शेयरों में बड़ी गिरावट आई। रिपोर्ट के मुताबिक, अडाणी समूह दशकों से ‘खुले तौर पर शेयरों में गड़बड़ी और लेखा धोखाधड़ी’ में शामिल रहा है। हालांकि समूह ने इस रिपोर्ट को नकारते हुए कहा है कि हिंडनबर्ग रिसर्च ने गलत इरादे से बिना कोई शोध और पूरी जानकारी के रिपोर्ट जारी की है।

बावजूद इस स्पष्टीकरण के, अडाणी समूह की तरफ से निवेशकों को आश्वस्त करने की कोशिश कामयाब नहीं हो पाई है। शुक्रवार को इस रिपोर्ट का निवेशकों पर बेहद नकारात्मक असर देखा गया और समूह की ज्यादातर कंपनियों के शेयर 20 फीसद तक टूट गए। इसकी वजह से शेयर बाजार तीन महीनों के निचले स्तर पर आ गए। भारतीय शेयर बाजार में कोहराम मचा देने वाली हिंडनबर्ग रिसर्च खुद को एक एक्टिविस्ट निवेश शोध कंपनी बताती है। इसके अलावा यह शेयरों की ‘शार्ट सेलिंग’ से भी जुड़ी हुई है। शार्ट सेलिंग के तहत उधार लिए गए शेयरों को इस उम्मीद में बेचा जाता है कि बाद में निचले स्तर पर उसे खरीद लिया जाएगा।

शेयरों की कीमतें उम्मीद के मुताबिक गिरने पर ‘शार्ट सेलिंग’ करने वाले कारोबारियों को तगड़ा मुनाफा होता है। हिंडनबर्ग ‘शार्ट सेलिंग’ के लिए चुनिंदा शेयरों में निवेश अपनी पूंजी से करती है।हालांकि वह इसके लिए सही कंपनी का चुनाव पर्याप्त शोध के बाद करती है। इस शोध में उसका ध्यान लेखांकन गड़बड़ियों, कुप्रबंधन एवं अघोषित लेनदेन जैसे मानव-निर्मित त्रासदियों पर होता है।

खास तौर पर कंपनियों में लेखांकन से जुड़ी गड़बड़ियों, प्रबंधन या प्रमुख सेवा प्रदाताओं की भूमिका में गलत लोगों की मौजूदगी, संबंधित पक्ष के अघोषित लेनदेन, गैरकानूनी या अनैतिक कारोबारी एवं वित्तीय तौर-तरीकों के अलावा नियामकीय, उत्पाद या वित्तीय मसलों के बारे में जानकारी न देना जैसे पहलू उसके निशाने पर होते हैं।

हिंडनबर्ग रिसर्च की वेबसाइट के मुताबिक, ‘हम अपने निवेश निर्णय-निर्माण को अपने आधारभूत विश्लेषण से समर्थन देते हैं। हमारा मत है कि सबसे असरदार शोध परिणाम असामान्य स्रोतों से जुटाई गई सूचनाओं से उजागर होने वाले तथ्यों से निकलते हैं।’ हिंडनबर्ग रिसर्च की पिछली शोध रपट के नतीजे कंपनियों की चिंताएं बढ़ा सकते हैं।

अडाणी समूह से पहले इसने अमेरिका की लार्ड्सटाउन मोटर्स कॉर्प, निकोला मोटर कंपनी एवं क्लोवर हेल्थ के अलावा चीन की कांडी और कोलंबिया की टेक्नोग्लास के खिलाफ भी शोध रपट प्रकाशित की थीं। वैसे इसके निशाने पर आई कंपनियों ने नियामकों से ‘शार्ट सेलिंग’ में इसकी भूमिका को लेकर सवाल उठाए हैं।

एंडरसन और मार्कोपोलस

हिंडनबर्ग रिसर्च के मुखिया एंडरसन अमेरिका लौटने के पहले इजरायल के यरुशलम में रहते थे। इस वित्तीय शोध फर्म की शुरुआत के पहले एंडरसन ने हैरी मार्कोपोलस के साथ भी किया था, जिन्होंने पोंजी योजनाओं के खिलाफ मुहिम चलाई थी। हिंडनबर्ग को सबसे ज्यादा चर्चा निकोला के खिलाफ रिपोर्ट जारी करने पर मिली थी। इसने इलेक्ट्रिक ट्रक बनाने वाली कंपनी निकोला कार्प के खिलाफ सितंबर, 2020 में गंभीर आरोप लगाए थे।

इलेक्ट्रिक ट्रक के प्रदर्शन संबंधी दावों के गलत पाए जाने के बाद आज निकोला कार्प का पूंजीकरण सिर्फ 1.34 अरब डालर रह गया है जबकि एक समय यह 34 अरब डालर पर पहुंच गया था। कंपनी की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक इसने अब तक दर्जन से अधिक कंपनियों में गड़बड़ियों को सामने लाया है। इनमें विन्स फाइनेंस, एससी वर्क्स, ब्लूम एनर्जी भी शामिल हैं। कई कंपनियों ने रपट को लेकर हिंडनबर्ग को कानूनी एवं नियामकीय कार्रवाइयों का सामना करना पड़ा है।

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