अपने भाई विनोद अडानी को ग्रुप से अलग बता रहे हैं गौतम अडानी पर भाई ने जो पैसा दिया है उसके बारे में या फिर पैसे का स्रोत नहीं बता रहे हैं
सीएस राजपूत
अडानी ग्रुप और हिंडनबर्ग रिसर्च के विवाद के गहराने के आसार और बढ़ गये हैं। इसका बड़ा कारण यह है कि हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी ग्रुप जवाब को सिरे से नकार दिया है। गौतम अडानी के भाई विनोद अडानी के मामले को संदिग्ध बताते हुए हिंडनबर्ग ने कहा है कि गौतम अडानी अपने उस भाई को अपने ग्रुप में न होने की बात कर रहे हैं जिनसे उन्होंने बड़े स्तर न केवल पैसा उधार लिया है बल्कि पैसे का स्रोत भी नहीं बताया। हिंडनबर्ग का कहना है कि मॉरीशस में स्थित एक कंपनी के निदेशक विनोद अडानी हैं और उन्होंने बड़े स्तर पर लोन ले रखा है। हिंडनबर्ग रिसर्च ने स्पष्ट रूप से कहा है कि अडानी ग्रुप उसके 88 सवालों में से 62 का जवाब देने में विफल रहा है। मतलब अडानी ग्रुप 4 फीसद सवालों के जवाब ही दे पाया है। हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप के जवाब को देश के राष्ट्रवाद से जोड़ने का आरोप भी लगाया है। हिंडनबर्ग का आरोप है कि अडानी ग्रुप इस मामले को देश से जोड़कर उलझाना चाहता है।
दरअसल अमेरिकी स्थित शार्ट सेलर ने अडानी ग्रुप को जवाब दिया है कि राष्ट्रवाद की आड़ में धोखधड़ी नहीं की जा सकती है। 29 जनवरी को 413 पृष्ठों की एक रिपोर्ट में अडानी ग्रुप ने हिंडनबर्ग रिसर्च के सभी आरोपों को खारिज करते हुए उसकी रिपोर्ट को भारत और उसके स्वतंत्र संस्थानों पर हमला बताया था। जवाब में अडानी ग्रुप का कहना था कि अमेरिकी फर्म को लाभ देने की नीयत से हिंडनबर्ग ने यह रिपोर्ट जारी की है। दरअसल अडानी ग्रुप ने इस मामले को राष्ट्रवाद से जोड़कर हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बारे में कहा है कि इस हमले की के पीछे बड़ी वजह है। जवाब में कहा गया है कि इस रिपोर्ट से हमारे देश के संस्थानों की स्वतंत्रता, अखंडता, गुणवत्ता और विकास और महत्वाकांक्षा पर एक रणनीति के तहत किया गया है हमला है।
अडानी ग्रुप के इस जवाब का हिंडनबर्ग ने आज सुबह ही जवाब दे दिया है कि इस जवाब में हिंडनबर्ग ने कहा है कि अडानी ग्रुप ने मूल मुद्दों से ध्यान हटाते हुए पूरे जवाब में राष्ट्रवाद की कहानी बयां कर दी है। हिंडनबर्ग के जवाब में कहा गया है कि अडानी ग्रुप ने अपनी संपत्ति को भारत के विकास से जोड़ने का प्रयास किया है। साथ ही हिंडनबर्ग ने अडानी समूह पर आरोप लगाया है कि अडानी ग्रुप अपने हथकंडों से भारत का विकास प्रभावित कर रहा है। हिंडनबर्ग के इस जवाब में अडानी ग्रुप पर आरोप लगाया है कि अडानी ग्रुप राष्ट्रवाद की आड़ में भारत को एक व्यवस्थित तरीके से लूट रहा है। उसका आरोप है कि अडानी ग्रुप ने उनके सवालों पर बस 30 प्रतिशत ही केंद्रित जवाब रखा है। बाकी सब कुछ अदालत के रिकार्ड और वित्तीय और जनरल नॉलेज की बात है। हिंडनबर्ग ने कहा है कि अन्य मामलों में अडानी ग्रुप सवालों का जवाब देने में पूरी तरह से विफल रहा है।
दरअसल हिंडनबर्ग की वेबसाइट पर अडानी को हमारा जवाब शीर्षक से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रवाद की आड़ में मामले का घालमेल नहीं किया जा सकता है। उसने अडानी ग्रुप के जवाब को खोखली प्रतिक्रिया करार दिया है। उसने अडानी ग्रुप पर प्रमुख आरोपों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया है। हिंडनबर्ग ने कहा है कि उन्होंने 24 जनवरी को जो अडानी ग्रुप में संदिग्ध धोखाधड़ी दर्शाते हुए एक रिपोर्ट जारी की थी। हिंडनबर्ग ने कहा है कि अडानी ग्रुप ने 413 पेज का एक जवाब दिया है, जिसमें दावा किया गया है कि वे मैनहट्टन मैडॉक्स हैं। अडानी ने यह भी दावा किया कि हमने लागू प्रतिभूतियों और विदेशी मुद्रा कानूनों का उल्लंघन नहीं किया है।
हिंडनबर्ग ने यह भी कहा है कि वह अडानी ग्रुप के जवाब से सहमत नहीं है। हिंडनबर्ग ने कहा है कि उन्होंने जो आरोप अडानी ग्रुप पर लगाये थे वे पूरी तरह से अनसुलझे रह गये हंै। उन्होंने अपनी रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि अपनी रिपोर्ट में अडानी ग्रुप के अध्यक्ष ने अपने भाई विनोद अडानी और अपतटीय शेल संस्थानों की उनकी भूलभुलैया के साथ अरबों अमेरिकी डॉलर के संदिग्ध सौदे किये हैं। हिंडनबर्ग का कहना है कि गौतम अडानी ने कहा है कि उनके भाई विनोद अडानी का उनके ग्रुप से कोई संबंध नहीं है, जबकि उनकी रिपोर्ट में ग्रुप के अध्यक्ष गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी के निर्देशित या उनसे अपतटीय शषल संस्थानों की एक बड़ी भूल भुलैया का विवरण दिया गया है। हिंडनबर्ग ने इन संस्थाओं में मॉरीशस की 38 संस्थाओं के साथ ही संयुक्त अरब अमीरात, साइप्रस, सिंगापुर की संस्थाओं की भी चर्चा की थी। हिंडनबर्ग के अनुसार कई तरह से अडानी ग्रुप उसके जवाब का उत्तर देने में असफल रहा है। उसने उदाहरण देते हुए बताया कि एक मारीशस इकाई से यूएस 253 मिलियन डॉलर का ऋण जहां विनोद अडानी एक निदेशक के रूप में काम करते हैं।
अडानी समूह के निजी परिवार निवेश कार्यालय के प्रमुख द्वारा नियंत्रित एक मारीशस इकाई ने यूएस 692.5 मिलियन डॉलर का निवेश किया गया है। हिंडनबर्ग ने अडानी की प्रतिक्रिया में के बारे में कहा है कि उन्होंने जो दावा किया है उसके अनुसार उन्हें उनके धन के स्रोत के बारे में कोई जानकारी नहीं है और न ही उन्हें जानने की आवश्यकता है। साथ ही यह भी कहा है कि वह टिप्पणी करने की स्थिति में नहीं ंहै। हिंडनबर्ग का कहना है कि दूसरे शब्दों में हमसे यह विश्वास करने की उम्मीद की जाती है कि गौतम अडानी को इस बात का कोई अंदाजा नहीं है कि उनके भाई विनोद अडानी ने अडानी की संस्थाओं को भारी रकम क्यों उधार दी और यह भी नहीं पता कि कि यह पैसा कहां से आया ?