DS arya
मां हम फिदा हो जाते हैं विजय केतु फहराने आज।
तेरी बलिवेदी पर चढ़कर मां जाते शीश कटाने आज।
विजई विश्व तिरंगा प्यारा ।
झंडा ऊंचा रहे हमारा।
शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले।
वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशा होगा।
मगर
जिनकी लाशों पर चलकर यह आजादी आई।
उनकी याद लोगों ने बहुत ही गहरे में दफनाई।
उनकी तुरबत पर एक दिया भी नहीं।
जिनके खून से जले थे चिराग ए वतन।
आज दमकते हैं उनके मकबरे।
जो चुराते थे शहीदों के कफन।
गद्दारों को मिल गई थी गद्दी।
देशभक्त ठहराए गए थे रद्दी।
गांधी नेहरू ने अंग्रेजों से की दुरभिसंधि।
देशभक्तों के प्रति बोलते थे भाषा भद्दी।
परंतु
हमें मालूम कि तुम उपेक्षा के हुए थे शिकार ।
आज का भारत तुम्हारी शहादत को करता है स्वीकार।
स्वतंत्रता रण के रणनायक अमर रहेगा तेरा नाम।
नहीं स्मारक की जरूरत खुद स्मारक होगा तेरा नाम।
राष्ट्र का नमन है बारंबार।
राष्ट्र का नमन है बारंबार।