Thursday, November 7, 2024
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Delhi HC : अग्निपथ योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 27 फरवरी को सुनाएगा फैसला


Delhi HC verdict on Agneepath दिल्ली हाईकोर्ट ने अग्निपथ योजना के खिलाफ दायर हुई याचिकाओं पर सुनवाई को पूरा कर लिया है। अधिवक्ताओं की दलीलें सुनने के बाद अब अदालत सोमवार यानी 27 फरवरी को अपना फैसला सुनाने वाली है।

नई दिल्ली । ‘अग्निपथ’ योजना के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई पूरी करने के बाद अब दिल्ली हाई कोर्ट ने 27 फरवरी, 2023 को अपना फैसला सुनाने वाली है। हाईकोर्ट ने यह निर्णय याचिकाकर्ताओं की दलीलें सुनने के बाद लिया है।

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली बेंच ने सोमवार को वाद सूची के अनुसार फैसला सुनाने वाली है। पीठ ने 15 दिसंबर, 2022 को विभिन्न याचिकाकर्ताओं और केंद्र सरकार की ओर से दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। अदालत ने आदेश को सुरक्षित रखते हुए पक्षकारों से यह भी कहा था कि यदि कोई हो तो वह भी अपनी लिखित दलीलें दाखिल करें।


सुनवाई के दौरान, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ऐश्वर्या भाटी केंद्र सरकार के पक्ष को अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया और बताया कि 10 लाख से अधिक उम्मीदवारों को आयु में छूट का लाभ दिया गया है। अग्निपथ योजना रक्षा कर्मियों की भर्ती प्रक्रिया में एक प्रमुख बदलाव है। हम हलफनामे में सब कुछ नहीं डाल सकते, लेकिन हम कह सकते हैं कि हमने इस मामले में नेक काम किया।

केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट को सूचित किया है कि पिछली भर्ती प्रक्रिया में भाग लेने वाले उम्मीदवारों में से किसी के साथ कोई पूर्वाग्रह नहीं किया गया है। केंद्र सरकार द्वारा यह भी बताया गया कि ‘सशस्त्र बलों’ में भर्ती एक पूरी तरह से अलग स्तर पर है, जैसे कि सार्वजनिक कार्यालयों में रोजगार, क्योंकि यह एक आवश्यक संप्रभु कार्य है जो सीधे तौर पर राष्ट्रीय सुरक्षा के रखरखाव से संबंधित है।


इसी को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार अपनी संप्रभु शक्ति का प्रयोग करते हुए और प्रभावी ढंग से और कुशलता से देश की सुरक्षा और अखंडता की रक्षा करने के लिए विधिवत रूप से सशक्त है, जो सशस्त्र में नियोजित किए जाने वाले व्यक्तियों के मोड और तरीकों/सेवा शर्तों को प्रदान करने वाली नीति को बदलने के लिए अधिकृत है।

एक नई ‘अग्नि पथ योजना’ के माध्यम से भर्ती करने का केंद्र सरकार का निर्णय राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों से लिया गया एक नीतिगत फैसला है।


वहीं, योजना को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से अधिवक्ता प्रशांत भूषण पेश हुए और उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा किया गया निर्णय मनमाना और अनुचित है। फैसले के पीछे कोई वास्तविक कारण नहीं है। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि जिन उम्मीदवारों की चयन सूची समाप्त हो गई थी, उन्हें ढाई साल तक इंतजार करने के लिए मजबूर किया गया था।

एएसजी भाटी ने विवाद का जवाब दिया और कहा कि नौसेना और अन्य रक्षा बलों के बीच अंतर है। नौसेना इस प्रक्रिया को रोकने का जोखिम नहीं उठा सकती, क्योंकि इससे इसकी परिचालन क्षमताओं और युद्ध की तैयारी पर असर पड़ेगा। उन्होंने भर्ती योजना में संशोधन किया था। चयन नियुक्ति का अधिकार नहीं देता है। एएसजी ने दलील दी कि कोविड की वजह से प्रक्रिया में देरी हुई।


अदालत ने पूछे ASG से तीखे सवाल

इस सबके बाद मुख्य न्यायाधीश ने एएसजी से पूछा, “जिन लोगों ने परीक्षा पास की थी वह इंतजार कर रहे थे। आपने प्रक्रिया पूरी क्यों नहीं की? आप इसका जवाब कैसे देंगे?” इसके जवाब में एएसजी ने कहा कि जून 2021 में उच्चतम स्तर पर फैसला लिया गया था। यह साफ था कि अग्निपथ योजना एक आदर्श बदलाव है। जून 2021 के बाद हम भर्ती के तरीके में एक बड़ा बदलाव लाना चाहते हैं।


सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हाईकोर्ट ने शुरू की सुनवाई

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 19 जुलाई, 2022 को अग्निपथ योजना से जुड़ी विभिन्न याचिकाओं को दिल्ली हाई कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया था। सर्वोच्च न्यायालय ने साफ करते हुए कहा था कि अन्य उच्च न्यायालयों में लंबित अग्निपथ योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं को संबंधित उच्च न्यायालय में ट्रांसफर कर लें या अपनी याचिकाओं को लंबित रखें। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट से इस मामले को उठाने और इसे शीघ्रता से निपटाने का अनुरोध किया था। जानकारी के अनुसार, दिल्ली के अलावा इस मामले पर केरल, पंजाब, हरियाणा, पटना और उत्तराखंड के उच्च न्यायालय भी सुनवाई कर रहे हैं।

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