महापौर पद पर कामकाज संभालने के बाद शैली ओबराय एक्शन मोड में आ गई हैं। उन्होंने निगमायुक्त ज्ञानेश भारती को पत्र लिखकर सभी विभागों के कार्य का एजेंडा मांगा है। साथ ही सभी विभागों से अपने-अपने कामकाज का प्रजेंटेशन और भविष्य में किए जाने वाली कार्ययोजना मांगी है।
दिल्ली दर्पण टीवी ब्यूरो
नई दिल्ली । महापौर पद पर कामकाज संभालने के बाद शैली ओबराय एक्शन मोड में आ गई हैं। उन्होंने निगमायुक्त ज्ञानेश भारती को पत्र लिखकर सभी विभागों के कार्य का एजेंडा मांगा है। साथ ही सभी विभागों से अपने-अपने कामकाज का प्रजेंटेशन और भविष्य में किए जाने वाली कार्ययोजना मांगी है। आने वाले दिनों महापौर सभी विभागों के अध्यक्ष के साथ बैठक चुनाव से पूर्व किए 10 गांरटी पर काम करने के लिए आगे बढ़ेगी।
मांगी गई थी 12 से अधिक विभागों की जानकारी
सूत्रों के मुताबिक, महापौर निर्वाचित होने के बाद ही डा. शैली ओबराय ने निगमायुक्त को पत्र लिख दिया था। इसमें करीब 12 से अधिक विभागों की जानकारी मांगी गई है। इसमें प्रमुख तौर पर शिक्षा से लेकर पार्किंग, इंजीनियरिंग, विज्ञापन विभाग, उद्यान विभाग, विधि विभाग की जानकारी मांगी गई है। इसके साथ ही महापौर ने आयुक्त से पूछा है उन स्वयंसेवी संस्थाओं की जानकारी मुहैया कराने को कहा है जो शिक्षा विभाग में कार्य कर रही है।
उल्लेखनीय है कि महापौर चुने जाने के बाद डा. शैली ओबराय ने कहा था कि वह दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा चुनाव से पहले की गई 10 गारंटी को पूरा करने पर काम करेगी। यही वजह है कि कार्यभार संभालने के बाद महापौर एक्शन मोड में हैं। हालांकि, चुनाव को लेकर सदन में हो रहे हंगामे से काम जरुर प्रभावित हो रहा है। ऐसे में वह सोमवार से अधिकारियों से बारी-बारी से चर्चा करना शुरू करेगी। निगम की सबसे बड़ी चुनौती फिलहाल कर्मचारियों को समय पर वेतन देना है। हर माह निगम के अनुबंधित और नियमित कर्मचारियों को वेतन में देरी का सामना करना पड़ता है।
निगम चलाने में है अभी फिलहाल कई चुनौतियां
दिल्ली नगर निगम के स्थायी समिति के छह सदस्यों का चुनाव कोर्ट में लंबित हो गया है। ऐसे में स्थायी समिति का गठन कब होगा यह बड़ा सवाल है। वहीं, अप्रैल में फिर से महापौर का चुनाव होना है। इसलिए महापौर के पास काम करने के लिए बहुत ही कम समय बचा है। स्थायी समिति का गठन न होने की वजह से शक्तियां तो महापौर के पास आ जाएंगी, लेकिन अधिकारी फिलहाल इस मामले में बहुत ज्यादा सतर्क होकर काम करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं।
अधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, आम तौर पर स्थायी समिति का गठन न होने तक महापौर से अग्रिम मंजूरी लेकर परियोजनाओं की मंजूरी दी जाती है। फिर मूल प्रस्ताव बाद में स्थायी समिति से पारित करा लिया जाता है, लेकिन चूंकि पूरी संभावना है कि स्थायी समिति में चेयरमैन भाजपा की ओर से बनने की संभावना है। ऐसे में अधिकारी इस समय अग्रिम मंजूरी लेने से भी हिचकिचाएंगे।
वहीं, सामान्य बैठक होने में भी कानूनी अड़चन है। विशेषज्ञों के अनुसार, दिल्ली नगर निगम एक्ट के अनुच्छेद 45 के अनुसार सदन की पहली बैठक में ही स्थायी समिति के छह सदस्यों का चुनाव होना है। ऐसे में जब तक यह चुनाव प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती तो दूसरी बैठक भी नहीं बुलाई जा सकती। एक्ट में स्पष्ट है कि पहली बैठक में ही स्थायी समिति के छह सदस्यों का चुनाव होना है।