Thursday, November 7, 2024
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Delhi : लावारिस शवों के अंतिम संस्कार पर NHRC ने जताई चिंता, सदस्य बोले- अवशेषों का गरिमापूर्ण निपटान जरूरी

 
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने मानवाधिकार रक्षकों के कोर ग्रुप के सदस्य पद्श्री डा. जितेंद्र सिंह शंटी द्वारा उठाए गए लावारिस शवों के अशोभनीय तरीके से होने वाले अंतिम संस्कार से संबंधित मुद्दों का स्वत  लिया है संज्ञान

दिल्ली दर्पण टीवी ब्यूरो 

नई दिल्ली । राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने मानवाधिकार रक्षकों के कोर ग्रुप के सदस्य पद्मश्री डॉ. जितेंद्र सिंह शंटी द्वारा उठाए गए लावारिस शवों के अशोभनीय तरीके से होने वाले अंतिम संस्कार से संबंधित मुद्दों का स्वत: संज्ञान लिया है। साथ ही सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी कर छह सप्ताह में जवाब मांगा है। आयोग ने कहा है कि राज्य अपने स्तर पर या सख्त प्रशासनिक आदेशों के माध्यम से नीति बनाकर मृतकों का सम्मानजनक तरीके से अंतिम संस्कार सुनिश्चित करें।

आयोग ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिव से रिपोर्ट में यह भी मांगा है कि क्या राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने लावारिस शवों की स्थिति से निपटने के लिए सूचना के प्रसार, जागरूकता बढ़ाने, संवेदनशीलता बढ़ाने और मानवीय पहलू में शवों से निपटने वाले कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने के लिए कदम उठाए हैं।

रिपोर्ट में उन कदमों का भी उल्लेख होना चाहिए जो मृतक के परिवार के सदस्यों द्वारा चिकित्सा बिलों का भुगतान न करने पर निजी अस्पतालों को निर्देश जारी करने के संबंध में उठाए गए या उठाए जाने के लिए प्रस्तावित हैं। नोटिस जारी करते हुए आयोग ने कहा है कि यह स्वयंसिद्ध है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गरिमा और उचित व्यवहार का अधिकार न केवल जीवित व्यक्ति को बल्कि उसके मृत शरीर को भी है।
 
दिल्ली के रहने वाले जितेंद्र सिंह शंटी 27 साल से शहीद भगत सिंह सेवा दल के नाम से सामाजिक संस्था बनाकर लावारिस लाशों के मुफ्त दाह संस्कार और अन्य संबंधित सेवाओं में लगे हुए हैं। शंटी ने दैनिक जागरण से बातचीत में बताया कि 16 फरवरी को आयोग के साथ हुई बैठक में उन्होंने कहा था कि गरीब लोगों के अंतिम संस्कार के लिए सरकार की ओर से मुफ्त व्यवस्था करने, अस्पताल द्वारा मृतक के शव को उसके घर तक निशुल्क पहुंचाने और लावारिश शवों का अंतिम संस्कार करने के बजाय उन्हें चिकित्सा संस्थानों के छात्रों को प्रयोग व शोध के लिए दे देना चाहिए। इससे छात्रों के प्रयोग के लिए शवों की कमी भी दूर होगी। शंटी ने बताया कि उन्होंने अस्पतालों द्वारा बिना बिल भुगतान किए शव न देने की स्थिति में मृतक के स्वजन की मदद के लिए हर अस्पताल में एक हेल्प डेस्क स्थापित करने की भी मांग की है।
 

राज्यों को इन बिंदुओं पर काम करने के दिशा निर्देश

शवों के दाह-संस्कार के लिए आवश्यक सामग्री जैसे लकड़ी आदि पूरे भारतवर्ष के सभी श्मशान घाटों पर कम से कम गरीब व जरूरतमंद परिवारों के लिए मुफ्त उपलब्ध कराई जाए।
पूरे भारत में सभी गरीब और जरूरतमंद व्यक्तियों के लिए विद्युत श्मशान भूमि में सीएनजी/इलेक्ट्रिक सिस्टम द्वारा शवों का दाह संस्कार मुफ्त होना चाहिए। अधिकांश अस्पतालों में मुर्दाघर नहीं हैं, जिसके परिणामस्वरूप शवों का अपघटन होता है। यह आवश्यक है कि अस्पताल में ऐसी सुविधाएं हों। सभी सरकारी या निजी अस्पतालों को निर्देश दिया जाए कि वे शवों को उनके निवास स्थान तक मुफ्त परिवहन की व्यवस्था करें। सभी निजी अस्पतालों को आवश्यक आदेश-निर्देश जारी किए जाएं कि वे शवों को उनके परिवारों द्वारा चिकित्सा बिलों का भुगतान न करने या किसी अन्य कारण से जो भी हो बंधक नहीं बना सकते हैं। शवों को बंधक बनाने वाले अस्पतालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए

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