विचार गोष्ठी में पैनलिस्ट एक्सपर्ट ने कहा-देश की अर्थव्यवस्था पर हमला है हिंडनबर्ग की रिपोर्ट
पीएम कुछ गलत नहीं कर सकते : विनोद जैन
देश के ऑडिट पर विदेशी कंपनी का सवाल उठाना गलत : यतेंद्र खेमका
एजेंसियों को करनी चाहिए मामले की जांच : मनमोहन खेमका
दिल्ली दर्पण टीवी ब्यूरो
हिंडबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद न केवल भारी नुकसान बल्कि तरह तरह के आरोपों का सामना कर रहे अडानी ग्रुप को सीए विचार मंच ने राहत पहुंचाई है। विचार मंच की दिल्ली में हुई गोष्ठी में वित्त एक्सपर्ट ने अडानी ग्रुप को देश का बढ़ता हुआ ग्रुप बताते हुए हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को देश की बढ़ती अर्थव्यवस्था पर हमला बताया है।
देश की राजधानी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट और अडानी ग्रुप को लेकर एक विचार गोष्ठी आयोजित की गई। इस विचार गोष्ठी में हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप पर उठ रही उंगली और ग्रुप को होने वाले बड़े नुकसान के बाद एलआईसी, एसबीआई पर पड़ने वाले असर, अडानी ग्रुप में आम लोगों का लगे निवेश और मामले को किस रूप में लिया जाए मुद्दों पर चर्चा की गई। गोष्ठी में पैनेलिस्ट, वित्त एक्सपर्ट, सीए और वकीलों में अपने विचार व्यक्त किये गए। गोष्ठी में सवालों और जवाबों का एक बड़ा दौर चला जिसमें एक और आम निवेशकों के निवेश को लेकर चिंता व्यक्त की गई वहीं मामले को गंभीरता से लेने की बात कही गई।
हर मुद्दे पर विस्तार से हुई इस चर्चा में एक और जहां हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को पीएम मोदी से अडानी ग्रुप को जोड़कर इसे राजनीतिक मुद्दा बनाने पर चिंता व्यक्त की गई वहीं रिपोर्ट के आने के बाद अडानी ग्रुप के शेयर के धड़ाम से गिरने की वजह से आम निवेशकों के लगे निवेश की डूबने की आशंका व्यक्त करते हुए सेबी और दूसरी एजेंसियों की निष्पक्ष जांच की भी बात कही गई। संगोष्ठी में एक ओर जहां हिंडनबर्ग रिसर्च कंपनी की विश्वसनीयता पर उंगली उठाई गई वहीं हर्षद मेहता घोटाले का हवाला देते हुए मामले को गंभीरता से लेने की बात कही गई।
कुछ लोगों को पीएम के काम से दिक्कत
गोष्ठी मुख्य पैनेलिस्ट वित्त एक्सपर्ट विनोद जैन का कहना था कि उन्होंने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पढ़ी है। उनको उस रिपोर्ट में कुछ खास दम नहीं लगा। उन्होंने मामले को लेकर विपक्ष के हंगामे पर कहा कि जिस तरह से पीएम मोदी देश के लिए काम कर रहे हैं उससे काफी लोगों को दिक्कत हो रही है। उन्होंने अडानी ग्रुप को पीएम मोदी से जोड़ने को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। आम निवेशकों के एलआईसी में लगे निवेश को लेकर सवाल पूछने पर विनोद जैन ने बताया कि उन्हें नहीं लगता की आम निवेशकों को इस बारे में कोई खास चिंता करनी चाहिए। क्योंकि एलआईसी का स्वरूप बहुत बड़ा है। हां उन्होंने यह भी कहा कि जिस तरह से एलआईसी ने अडानी ग्रुप में पैसा लगाया है। वह जोखिम भरा कदम है। केंद्र सरकार को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि एलआईसी में आम आम लोगों का पैसा लगा है। वह पैसा एलआईसी का न होकर आम लोगों का है।
बेहतरीन ऑडिट की वजह से ही बढ़ा कॉरपोरेट कंपनियों का रेवन्यू
पैनेलिस्ट वित्त एक्सपर्ट यतेंद्र खेमका ने कहा कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में अडानी ग्रुप की ऑडिट करने वाली टीम के स्वरूप और अनुभव पर उंगली उठाई गई है। उन्होंने कहा कि देश के ऑडिटरों ने न केवल बैंकों की ऑडिट की है बल्कि कॉरपोरेट ऑडिट को भी ठीक किया है। उन्होंने कॉरपोरेट कंपनियों के रेवन्यू बढ़ने की बड़ी वजह ऑडिटरों की अच्छी ऑडिट को बताया। निगरानी अथॉरिटी की जिम्मेदारी और जवाबदेही पर यतेंद्र खेमका ने कहा कि उन्होंने रेगुलेटर अथॉरिटी पर पूरा विश्वास है। हालांकि निवेशकों और उन्होंने सोच समझकर निवेश करने की सलाह भी दी। मामले को राजनीतिक मुद्दा बनाने पर उन्होंने कहा कि राजनीति अपनी जगह है पर देश में कारोबार बढ़ाने के लिए कॉरपोरेट कंपनियों को बढ़ावा देने होगा।
देश की एजेंसियों करनी चाहिए जांच
विचार मंच के अध्यक्ष मनमोहन खेमका ने कहा कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट भारतीय अर्थव्यवस्था पर हमला है। यह रिपोर्ट सही है या फिर गलत है इसे मुद्दा न बनाकर इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि इस रिपोर्ट आने से बाद देश का बाजार प्रभावित हुआ है। अडानी ग्रुप को शेयर मार्केट 100 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है। इस सब बातों को ध्यान में रखते हुए देश की एजेंसियों को मामले की जांच करनी चाहिए।
घर की टीम है तो गलत क्या ?
गोष्टी में वक्ताओं ने कहा कि ऐसे कितने कॉरपोरेट घराने हैं जो एक परिवार ही चलाता है। ये आरोप तो बेतुके हैं। गोष्ठी में कहा गया कि सैल कंपनी कोई पुराना शब्द नहीं है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में कोई प्रमाण न होने की भी बात कही गई। इस तरह की रिपोर्ट विभिन्न ग्रुपों को लेकर छपती रही हैं। क्योंकि मामला अडानी ग्रुप का है इसलिए जांच हो। वह भी पीएम मोदी से जोड़कर। यह कहीं से तर्कसंगत नहीं है। वक्ताओं ने कहा कि जो आरोप अडानी ग्रुप पर लगाए गए हैं ऐसा तो सब ग्रुप करते हैं तो फिर तो अडानी पर सवाल क्यों ? उन्होंने कहा कि यह धारना ठीक नहीं है। गोष्ठी में यह बात प्रमुखता से उठी कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को चार्टर्ड कम्पनी ख़ारिज कर रही है। साथ ही उसे ख़ारिज भी कर रही है। गोष्ठी में सवाल उठाया गया कि महज चंद लोगों की विदेशी कंपनी अडानी जैसे बड़े ग्रुप की ऑडिट कैसे कर सकती है ? गोष्ठी में दावा किया गया कि सीए विचारमंच की इस चर्चा की रिपोर्ट बनाकर नियामक संस्थाओं को भेजा जाएगा। गोष्ठी में यह प्रमुखता से कही गई कि देश में बैंक, सेबी, आरबीआई अपने आप में सक्षम हैं और हर स्थिति पर नजर रखे हुए हैं। वक्ताओं द्वारा कहा गया कि बाजार में मिथक अवधारना घूम रही है और इस गोष्ठी में फेक्ट के अनुसार चर्चा कर फैक्ट से अवगत कराया गया है।