Friday, November 22, 2024
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इस बार गर्मी में छूटेंगे पसीने : ला नीना का घटता और अल नीना का बढ़ता प्रभाव बनेगा वजह, तेजी से बढ़ रहा तापमान


Summer 2023 इस बार गर्मी में अधिक पसीना छूटे तो हैरत नहीं। मौसम विज्ञानियों का साफ कहना है कि इस वर्ष भारत में वसंत और गर्मियों का मौसम शुष्क और गर्म रह सकता है। ला नीना का घटता और अल नीना का बढ़ता प्रभाव गर्मी बढ़ाने में खासा सहायक होगा।

दिल्ली दर्पण टीवी ब्यूरो 

नई दिल्ली । इस बार गर्मी में अधिक पसीना छूटे तो हैरत नहीं। मौसम विज्ञानियों का साफ कहना है कि इस वर्ष भारत में वसंत और गर्मियों का मौसम शुष्क और गर्म रह सकता है। राष्ट्रीय वायुमंडलीय विज्ञान केंद्र और यूनाइटेड स्टेटस ग्लोबल फोरकास्टिंग सिस्टम का आंकलन है कि ला नीना का घटता और अल नीना का बढ़ता प्रभाव इस बार गर्मी बढ़ाने में खासा सहायक होगा।

उत्तर पश्चिम के साथ साथ मध्य, पूर्वी और दक्षिणी भारत के हिस्सों में भी तापमान तेजी से बढ़ेगा। फरवरी में ही इसकी शुरुआत भी हो चुकी है। सर्दियों का शुष्क होना भी गर्मी की एक प्रमुख वजह बताई जा रही है।


17 फरवरी से बढ़ रहा है तापमान

यूनाइटेड स्टेट्स ग्लोबल फोरकास्टिंग सिस्टम के विश्लेषण से पता चलता है कि 17 फरवरी से ही उत्तर-पश्चिम के साथ मध्य, पूर्वी एवं दक्षिणी भारत के कुछ हिस्सों में अधिकतम तापमान में लगातार वृद्धि हो रही है। इन क्षेत्रों में अधिकतम तापमान 35 से 37 डिग्री सेल्सियस के बीच रह सकता है।

इन राज्यों में अचानक बढ़ा तापमान

वहीं मौसम विज्ञान विभाग ने 15 फरवरी 2023 को जम्मू कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और उत्तराखंड सहित गुजरात, मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ के कुछ हिस्सों में भी अधिकतम तापमान सामान्य से पांच डिग्री सेल्सियस तक ज्यादा दर्ज किया था।


सर्दियों में शुष्क रहता है मौसम

असामान्य गर्मी के संकेत 2022-23 की शुष्क सर्दियों के बाद सामने आए हैं। अबकी बार अधिकांश भारत के लिए सर्दियों का मौसम शुष्क रहा है, जो कई क्षेत्रों में सूखे जैसी स्थिति का संकेत देता है। इस बार देशभर में दिसंबर की बरसात में 14 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।

देश में उत्तर पश्चिम, मध्य, पूर्व और पूर्वोत्तर के हिस्से विशेष रूप से शुष्क थे। जहां उत्तर पश्चिम में बरसात सामान्य से 83 प्रतिशत कम थी वहीं मध्य भारत में 77 प्रतिशत जबकि देश के पूर्वी और पूर्वोत्तर हिस्सों की बरसात में 53 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई थी।


कई राज्यों में बरसात रही कम

कमोबेश यही सूखापन जनवरी और फरवरी में भी जारी रहा। देश के 36 में से 27 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में एक जनवरी से 15 फरवरी के बीच बरसात में कमी से लेकर बिलकुल वर्षा नहीं हुई। इस अवधि के दौरान औसत रूप से देश में वर्षा में सामान्य से 30 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई।

वहीं मिजोरम, त्रिपुरा, झारखंड, गोवा, दादरा नगर हवेली और दमन एवं दीव में इन दिनों बिलकुल वर्षा नहीं हुई जबकि दस अन्य राज्यों में वर्षा की कमी 90 प्रतिशत से ज्यादा थी।

आईआईटी मुंबई के जलवायु विज्ञानी रघु मुर्तुगुड्डे ने बताया कि तापमान में अचानक हुई इस वृद्धि की वजह ऊपरी वातावरण में चलने वाली शक्तिशाली पछुआ जेट है। यही निचले स्तर पर गर्म समुद्र और रेगिस्तानी हवाओं को प्रभावित कर रही है।

तापमान में गिरावट

क्या कह रहे विज्ञानी?

वहीं राष्ट्रीय वायुमंडलीय विज्ञान केंद्र से जुड़े विज्ञानी अक्षय देवरा ने बताया कि अरब सागर के उत्तरी हिस्सों व गुजरात के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में सतह के पास एक उच्च दबाव वाला क्षेत्र (एंटीसाइक्लोन) केंद्रित है। यह उच्च दबाव वाला क्षेत्र हवा के घटने का कारण बन रहा है और साथ ही उत्तर-पश्चिम से भारत में शुष्क हवाओं के प्रवाह को बढ़ा रहा है। इसके अतिरिक्त मैदानी इलाकों को प्रभावित करने वाला कोई मजबूत पश्चिमी विक्षोभ भी नहीं आया है।


मुर्तुगुड्डे ने बताया कि पिछले साल के अंत में और इस साल जनवरी के दौरान पाकिस्तान, ईरान से लेकर अफगानिस्तान और आगे तक तापमान कम था। कम तापमान और संबंधित उच्च दबाव पश्चिमी विक्षोभ को रोक रहे थे और उत्तर की ओर ठंडी हवाएं चल रही थी। लेकिन अब यह स्थिति हवा के एक नया पैटर्न स्थापित होने के साथ बदल गई है।

वहीं वसंत और गर्मियों में मार्च-अप्रैल तक ला नीना की स्थिति में गिरावट और बाद में आगे चलकर अल नीनो की स्थिति बन सकती है। मतलब यह कि तापमान में वृद्धि होगी और साथ ही लू चल सकती हैं।

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