Thursday, November 7, 2024
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Delhi : हवा में ‘जहर’ घोल रहे ‘जुगाड़’ वाहनों का सर्वे कराएगी DPCC, टू-व्हीलर्स का इंजन लगाकर दौड़ रहे हजारों रिक्शा

प्रदूषण से जंग में अब हवा में ‘जहर’ घोल रहे ‘जुगाड़’ वाहन भी निगरानी और कार्रवाई की जद में आएंगे, प्रदूषण से जंग में अब दिल्ली की हवा में जहर घोल रहे जुगाड़ वाहन भी निगरानी और कार्रवाई की जद में आएंगे। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने ऐसे सभी वाहनों का सर्वे कराने का निर्णय लिया है।

नई दिल्ली । प्रदूषण से जंग में अब दिल्ली की हवा में ”जहर” घोल रहे ”जुगाड़” वाहन भी निगरानी और कार्रवाई की जद में आएंगे। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने ऐसे सभी वाहनों का सर्वे कराने का निर्णय लिया है।

इस सर्वे के दौरान इनकी संख्या और इनसे होने वाले वायु प्रदूषण दोनों का आंकलन किया जाएगा। तत्पश्चात सर्वे रिपोर्ट के आधार पर ही इस दिशा में नियम कायदे बनाने की प्रक्रिया शुरू होगी।


गौरतलब है कि राजधानी में जहां तहां दोपहिया वाहनों के इंजन लगा कर सवारी रिक्शा और माल ढोने वाली रिक्शा दौड़ती नजर आ जाती हैं। निगरानी तंत्र से बाहर होने के कारण आमतौर पर न इनके विरूद्ध कोई कार्रवाई होती है और न ही इनसे होने वाले प्रदूषण का पता चल पाता है।

”जुगाड़” वाहनों की आड़ में उन दोपहिया वाहनों का इंजन भी इस्तेमाल में लाया जा रहा है, जिनकी उम्र पूरी हो चुकी है। ऐसे में एक तो उम्रदराज इंजन होने के चलते और दूसरा इनमें गंदा ईंधन उपयोग करने से यह ”जुगाड़” वाहन खूब धुआं भी छोड़ते चलते हैं और हवा को प्रदूषित करते हैं।


डीपीसीसी अधिकारियों के मुताबिक इन वाहनों को कहीं ‘जुगाड़’, कहीं ‘चौधरी’, ‘जुगनू’ और ‘राधे- राधे’ के नाम से भी पुकारा जाता है। डीपीसीसी की मानें तो इन वाहनों का उपयोग विभिन्न बाजारों में भी देखने को मिल जाता है। अधिकारियों के मुताबिक सर्वे के दौरान यह भी देखा जाएगा कि इनमें किस तरह के वाहन का इंजन लगा है, उसे किस तरह के ईंधन पर चलाया जा रहा है और उससे किस किस्म का कार्बन उत्सर्जन हो रहा है।


यहां यह भी उल्लेखनीय है कि दिल्ली में सामान्य तौर पर होने वाले वायु प्रदूषण में एक बड़ा कारक वाहनों से निकलने वाला धुआं भी है। सफर इंडिया द्वारा किए गए एक आंकलन के अनुसार इस धुएं से लगभग 40-42 प्रतिशत तक प्रदूषण होता है।

हालांकि, वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के उपाय किए भी जा रहे हैं, लेकिन नियमों का मखौल बनाकर चल रहे ”जुगाड़” वाहनों पर नकेल कसी जानी भी जरूरी है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने तो राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में चलने वाले डीजल आटोरिक्शा पर भी प्रतिबंध लगा दिया है।

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