Monday, November 18, 2024
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Delhi Politics : तो अब केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की शरण लेंगे केजरीवाल ?

ट्रांसफर पोस्टिंग मामले में अध्यादेश लाकर प्राधिकरण बना दिया है केंद्र सरकार ने, सीएम केजरीवाल को बनाया है पदेन अध्यक्ष, बहुमत पर ही ले पाएंगे फैसला, नहीं तो एलजी को होगा अधिकार 

अभिषेक मनु सिंघवी ने ट्वीट कर बताया है सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना, केजरीवाल ने किया ट्वीट 

चरण सिंह राजपूत 

दिल्ली में केजरीवाल सरकार और मोदी सरकार के बीच तू डाल डाल मैं पात पात का खेल चल रहा है। मुख्यमंत्री केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर जब एलजी के पंख कटवाकर ट्रांसफर पोस्टिंग का अधिकार अपने नाम करा लिया तो केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाकर ट्रांसफर एलजी के पक्ष में एक प्राधिकरण बना दिया।

इस प्राधिकरण में कहने को मुख्यमंत्री केजरीवाल को पदेन अध्यक्ष बनाया गया। मुख्य सचिव के भी रखने की भी बात कही गई है पर इस प्राधिकरण में केजरीवाल बिना बहुमत के अध्यक्ष होंगे। मतलब अधिक सदस्य सरकार के होंगे। इसमें कहा गया है कि मुख्यमंत्री बहुमत होने पर ही किसी अधिकारी का ट्रांसफर या पोस्टिंग कर पाएंगे। बहुमत न होने की स्थिति में एलजी ही ट्रांसफर पोस्टिंग करेंगे। मतलब  केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाकर ट्रांसफर पोस्टिंग का अधिकार एक तरह से एलजी को दे दिया है। इस मामले में वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने ट्वीट कर कहा है कि जिन लोगों को कानून का ज्ञान नहीं हैं वे अध्यादेश लाये हैं। यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना है। मुख्यमंत्री केजरीवाल ने भी अभिषेक मनु सिंघवी के ट्वीट को रीट्वीट किया है। मतलब केजरीवाल सरकार अब केंद्र सरकार के इस अध्यादेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी। 

उधर शिक्षा मंत्री आतिशी ने केंद्र सरकार के इस अध्यादेश को लोकतंत्र की हत्या बताया है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जो ताकत केजरीवाल को दी है वह ताकत केंद्र सरकार एलजी को देने लगे हैं। उन्होंने यह बात बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कही है। उन्होंने इसे सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अवमानना बताया है। 

सुप्रीम कोर्ट में जहां एलजी के 10 एल्डर सदस्यों के केस का फैसला सुरक्षित है वहीं जब यह केस जाएगा तो केंद्र पर फटकार पड़ना तय माना जा रहा है। वैसे भी केंद्र सरकार की मनमानी से मुख्य न्यायाधीश उस पर नाराज माने जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के ऐसे में अध्यादेश के खिलाफ फैसला देने की संभावना ज्यादा है। 

दरअसल मोदी सरकार द्वारा बनाये गए उप राज्यपाल वीके सक्सेना और केजरीवाल सरकार के बीच अधिकार और पावर को लेकर लम्बे समय से लड़ाई चल रही है। कभी एलजी केजरीवाल के काम में रोड़ा अटकाते हैं  तो कभी कभी केजरीवाल उन्हें ललकारते हैं। 

गत दिनों दिल्ली एमसीडी पर आप का कब्ज़ा हो जाने के बाद जब मेयर चुनाव की बात आई तो एलजी वीके सक्सेना ने बीजेपी के 10 कार्यकर्ताओं को एल्डर सदस्य बना दिया। मेयर चुनाव में इन एल्डर सदस्यों के वोट डालने को लेकर आप ने बवाल कर दिया तथा आम आदमी पार्टी मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई। सुप्रीम कोर्ट ने इन एल्डर सदस्यों को वोट डालने से रोक दिया। मेयर और डिप्टी मेयर पद पर आप का कब्ज़ा हो गया है। अब खुद मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन से पूछा है कि 10 एल्डर सदस्य नियुक्त करने का एलजी का शक्ति स्रोत क्या है ? सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। यह फैसला भी आम आदमी पार्टी के पक्ष ही जाना जाना है। ऐसे में एमसीडी में स्टैंडिंग कमेटी पर भी आप का कब्ज़ा तय माना जा रहा है। चारों ओर से फजीयत झेल रही केंद्र सरकार ने अब ट्रांसफर पोस्टिंग मामले में अध्यादेश लाकर प्राधिकरण बना दिया है। 

दरअसल केंद्र सरकार ने एलजी वीके सक्सेना को अरविंद केजरीवाल टीम पर शिकंजा कसने के लिए लगा रखा था। वीके सक्सेना भी केंद्र सरकार की इशारे पर पूरी तरह काम कर रहे हैं। यही वजह रही कि वीके सक्सेना जहां केजरीवाल की फाइलें लौटाते रहे हैं वहीं मेयर पद पर बीजेपी का कब्ज़ा कराने के लिए 10 एल्डर सदस्य नियुक्त कर दिए थे। सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद एलजी और केंद्र सरकार को बैकफुट पर जाना पड़ा है। अब देखना है कि केंद्र सरकार के अध्यादेश लाने के मामले में आप क्या करती है ?

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