पहलवानों के आंदोलन की हुई गवाह चुस्त और मुद्दई सुस्त वाली स्थिति
काम पर लौटे पहलवान, दिल्ली घेरने का दम भर रहे किसान
चरण सिंह राजपूत
पहलवानों का आंदोलन बड़े नाजुक मोड़ पर पहुंच गया है। एक ओर गृह मंत्री अमित शाह से मिलने के बाद पहलवान रेलवे में अपनी नौकरी पर लौट गए हैं तो दूसरी ओर भाकियू ने दिल्ली घेरने का ऐलान कर दिया है। हालांकि साक्षी मलिक ओर बजरंग पुनिया ने ट्वीट कर कहा है कि उनका सत्याग्रह ड्यूटी करते हुए भी रहेगा। उनकी लड़ाई खत्म नहीं हुई है। कुल मिलाकर अमित शाह ने आंदोलन को कमजोर तो कर ही दिया है। जब पहलवानों ही आंदोलन में नहीं रहेंगे तो फिर उस आंदोलन का क्या मतलब ? ऐसे में प्रश्न उठता है कि किसान नेता और खाप पंचायतें क्या करेंगी ?
उन्होंने जो 9 जून का अल्टीमेटम दिया है उसका क्या होगा ? वैसे भी जिन पहलवानों के लिए लड़ाई लड़ी जा रही है वह वे ही नहीं रहेंगे तो फिर आंदोलन कैसे होगा। इस मामले में जिस तरह से साक्षी मलिक की मां सुदेश मलिक ने कहा है कि अमित शाह ने इन पहलवानों से कहा है कि जोश में होश मत खोओ। आंदोलन वापस ले लो। सब केस हटा लिए जाएंगे। यह बात शनिवार रात की बात है। रविवार को सोनीपत मुंडलाना में जो सर्वसमाज की पंचायत हुई। जिसमे गुरुनाम चढूनी, सत्यपाल मलिक, जयंत चौधरी और चंद्रशेखर आज़ाद पहुंचे थे। उस पंचायत में बजरंग पुनिया ही पहुंचे। साक्षी मलिक और विनेश फोगाट ने पंचायत से दूरी बनाकर रखी। बजरंग पुनिया ने पंचायत में कोई फैसला नहीं होने दिया। कहा कि सभी संगठनों को एकजुट कर कोई पंचायत कराई जाएगी उसमें निर्णय लिया जाएगा। इसका मतलब इन तीनों पहलवानों की सहमति नौकरी पर जाने की बन चुकी थी।