Sunday, November 24, 2024
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Indian Media : अजीत अंजुम ने उतार दिया सुधीर चौधरी का स्टारडम भूत!

कहा – तुम्हारी जैसी कामयाबी पर थूकता हूं, खत्म हो जाना पसंद करूंगा 

लोकप्रिय पत्रकार ने ठोक कर दिया सुधीर चौधरी के ट्वीट का जवाब 

दो धड़े में बंटी पत्रकारिता, एक ऐशोआराम के लिए सब कुछ दांव लगाने को तैयार है तो दूसरा देश और समाज के लिए कुछ भी कीमत चुकाने को तैयार 

एक धड़े में मुख्य रूप रजत शर्मा, सुमित अवस्थी, अर्नब गोस्वामी,  बरखा दत्त, अंजना ओम कश्यप, श्वेता सिंह और  सुधीर चौधरी माने जाते हैं तो दूसरे धड़े में माने जाते हैं रवीश कुमार, प्रणय प्रसून वाजपेयी, अजित अंजुम, अभिसार शर्मा, नवीन कुमार, मीरा राजपूत, साक्षी जोशी 

चरण सिंह राजपूत 

एक निजी चैनल के एंकर सुधीर चौधरी को संघर्षशील पत्रकारों पर ट्विटर के माध्यम से कटाक्ष करना भारी पड़ गया। दरअसल सुधीर चौधरी ने ट्वीट किया कि जो लोग कामयाब नहीं हो पाते, वो कुंठित हो जाते हैं। मैं उनकी कुंठा समझ सकता हूं।

मेरी हमदर्दी उनकी साथ है। उनकी रोजी रोटी अगर मेरे नाम से चलती है तो भगवान उनकी रोजी रोटी भी बनाए रखे। सुधीर चौधरी का ऐसा लिखना था कि वरिष्ठ पत्रकार अजीत अंजुम ने बोच लिया और वीडियो जारी कर ऐसा धोया कि जब सुधीर चौधरी देखेगा तो थोड़ी बहुत शर्म होगी तो शर्म के मारे जमीन में ही गड़ जाएगा। 

अजीत अंजुम ने अपनी वीडियो में कहा कि मैंने अपनी वीडियो में इसके कारनामे का खुलासा किया तो मेरा नाम लिए बिना इसने आधी रात को यह सब लिखा। जवाब तो देना होगा।

उन्होंने कहा कि तिहाड़ी सुधीर चौधरी वसूली करना, ब्लैकमेलिंग करना, जेल जाना नेताओं के लिए सुपारी पत्रकारिता करना, हिंदू मुस्लिम को लड़ाने वाला नफरती एजेंडा चलाना यदि यह सब कामयाबी है तो ऐसी कामयाबी पर मैं थूकता हूं। जिसे तुम कामयाबी मानते हो वह धूर्तता और बेईमानी का वह रसायन है जिसके लेप में तुम मस्तक तब डूबे हो। उन्होंने सुधीर चौधरी का गिरा स्तर बताते हुए कहा कि तुम्हारी जैसी कामयाबी पाने के बजाय मैं हमेशा ही खत्म होना पसंद करूंगा।  अजीत अंजुम का कहना था कि तुम्हारी रोजी रोटी मोदी की सत्ता की आरती उतारते हुए नफरत का एजेंडा चलाते हुए चल रही है। मेरी रोजी-रोटी की चिंता मत करो तिहाड़ रिटर्न वसूली चौधरी। लोगों की बेइंतहा मोहब्बत के दम पर तुम जैसी फरेबी से ज्यादा मैं बहुत कुछ हासिल कर रहा हूं। रीढ़ की यह हड्डी जो तुममे है नहीं। शायद तुम्हें पता भी न हो। दिन भर कोट में मेकअप से लिपटे हुए जो रहते हो। यदि स्टार होने का इतना गुमान है तो किसी दिन किसी शहर या फिर गांव में जाकर दिखाओ। अपना लाव लश्कर छोड़कर हमारी तरह जाकर दिखाओ। फिर देखो लोग तुम्हारे साथ कैसा सलूक करते हैं ? कैसे तुम्हारी घेराबंदी करते हैं।

 सुधीर चौधरी को ललकारते हुए अजीत अंजुम ने कहा कि दड़वे से निकलोगे तो अपने स्टारडम की गर्मी भूल जाओगे। अपने इगो चैंबर से निकलो। गांव देहात में घूम कर दिखाओ। किसानों के बीच जाकर दिखाओ। बेरोजगारों के बीच जाकर दिखाओ। चौक चौराहों पर मिलो जाकर लोगों से। तब पता चलेगा। लोग क्या सोचते हैं तुम्हारे बारे में । उन्होंने यह भी कहा कि मैं मोदी की सभा वाली प्रायोजित भीड़ की बात नहीं कर रहा हूं। या लेक्चरर के लिए जुटाई गई सेमिनार की भीड़ की बात भी नहीं कर रहा हूं। यह सब सुनाते हुए उन्होंने कहा कि यह जवाब सुधीर चौधरी मेरी तरफ से। 
उन्होंने सुधीर चौधरी के अंध दर्शकों को भी नहीं बख्शा। उन्होंने सुधीर चौधरी को सुनाकर उनके दर्शकों को आड़े हाथ लिया। उन्होंने कहा कि सुधीर चौधरी जैसे लोगों की कामयाबी अंध दर्शकों के दम पर है। उन्होंने उन दर्शकों को कहा कि सुधीर चौधरी आपको अपना शिकार मानता है। जो यह कहता है। उस कहे के पीछे जो पटकथा लिखता है। नफरत का जो जहर भी आपके भीतर भेजता है। इन सबसे यह अपने आप को कामयाब मानता है।  क्योंकि आप लोग इसे सुनते हैं देखते हैं तो बहुत हद तक कामयाब भी हो गया है। कई बार आप सुनते हुए सुन भी हो जाते हैं। क्योंकि आपकी चेतना पर यह कुछ ज्यादा ही असर कर देता है। तभी तो बुलंदशहर में मंदिर पर जो हमला होता है। यह आपके दिमाग में बैठाने की कोशिश करता है कि हमलावर मुसलमान हो सकते हैं। उसके लिए बुलंदशहर की आबादी गिना देता है। देश में कोविड का जो दौर आता है। ऐसे लोग आपको बता देते हैं कि कोविड फैलाने वाले मुसलमान हैं। तबलीगी जमात के लोग हैं। हजार मौकों पर अपनी प्रयोगशाला में आपको शिकार मानता है। आप पर प्रयोग करता है। उस प्रयोग में कई बार कामयाब हो जाता है। आप इसके जाल में फंसकर वही सोचते हैं बाकी काम वाट्सएप यूनिवर्सिटी कर देती है।

ऐसे वीडियो हजारों लोगों के बीच जाते हैं। गली मोहल्ले में घूमते हुए घर में बैठे हुए ड्राइंग रूम में बैठे हुए। उसी वीडियो को देखते हैं। लोगों से बात करते हैं। उसका एजेंडा कामयाब होता है। अजीत अंजुम ने बताया कि यह एजेंडा सत्ता का होता है। ऐसे लोगों का चरित्र कुछ नहीं। अजीत अंजुम ने बताया कि में जानता हूं।इसे। 2014 से पहले किसी और सत्ता के करीब था। यही काम कर रहा था जो आज कर रहा है। किन-किन नेताओं के यहां दरबार लगाते थे किसके यहां ऐसे लोग दरबारी थे, मुझे पता है। मैं जानता रहा हूं बहुत करीब से। आसपास की खबरें सभी जानकारी आती रहती थी क्योंकि न्यूज चैनल में रहा हूं इसलिए सब जानता हूं। 


सत्ता बदली इसने निष्ठा बदल ली। कल कोई और सत्ता में आएगा, ऐसे ही सत्ता के सामने नतमस्तक होकर। यह वही करेगा जो आज कर रहा है। आज मोदी के सामने नतमस्तक है। जो कलंक कथा लिख रहा है। उसके लिए अजीत अंजुम ने अंध दर्शकों को जिम्मेदार बताया।

दरअसल प्रकृति अच्छाई का प्रतीक है। सच्चाई का प्रतीक है। समाज में कितनी भी बुराई हो पर अच्छाई को खुद ही जगह मिल जाती है। यह हर क्षेत्र में होता है। पत्रकारिता में भी ऐसा ही हुआ है। मीडिया जब धंधा बन गई तो पत्रकारिता कहां बचती ? धंधेबाज लोगों ने देश और समाज के लिए वाली पत्रकारिता को निगल लिया। अधिकतर पत्रकार इस धंधे में ढल गए। जो पत्रकारिता जनता के लिए होती रही है वह सत्ता और प्रभावशाली लोगों के लिए होने लगी। प्रकृति ने पत्रकारिता करने वाले पत्रकारों के लिए डिजिटल चैनल के माध्यम से काम करने का मौका दिया। देश में पत्रकारिता के दो धड़े हो गए। एक जो ऐशोआराम के लिए सब कुछ सब कुछ दांव लगाने को तैयार है ।  इस मीडया को वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने गोदी मीडिया का नाम दिया है। रजत शर्मा, सुमित अवस्थी, अर्नब गोस्वामी,  बरखा दत्त, अंजना ओम कश्यप, श्वेता सिंह और सुधीर चौधरी इस धड़े के मुख्य पत्रकार माने जाते हैं। दूसरा धड़ा देश समाज के लिए सब कुछ दांव पर लगाने को तैयार है। इस धड़े के पत्रकार मुख्य रूप से रवीश कुमार, प्रणय प्रसून वाजपेयी, अजित अंजुम, अभिसार शर्मा, नवीन कुमार, मीरा राजपूत, साक्षी जोशी मुख्य रूप से माने जाते हैं। 

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