जलभराव न होता तो शायद किसी का ध्यान नालों की सफाई पर नहीं जाता और न ही इसे इतनी गंभीरता से लिया जाता। जलभराव के कई कारण हैं उनमें से एक नालों की सफाई ठीक से नहीं होना भी है।
नई दिल्ली । लोक निर्माण विभाग, दिल्ली के पूर्व प्रमुख अभियंता दिनेश कुमार ने खास बातचीत में दिल्ली-एनसीआर के नालों की सफाई को लेकर कई अहम बातें कहीं हैं। वो बोले, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में मॉनसून से पहले नालों की सफाई का मुद्दा इसलिए उठता है, क्योंकि यह जलभराव से जुड़ा है। खासकर दिल्ली में तो स्थिति और भी खराब है।
जलभराव न होता तो शायद किसी का ध्यान नालों की सफाई पर नहीं जाता और न ही इसे इतनी गंभीरता से लिया जाता। जलभराव के कई कारण हैं, उनमें से एक नालों की सफाई ठीक से नहीं होना भी है।
अगर आप यह कहते हैं कि नालों की सफाई जल्द करा देंगे तो उसका भी कोई लाभ नहीं है। मई-जून में फिर सफाई करानी पड़ेगी, क्योंकि एनसीआर में बरसाती नाले केवल बरसाती नाले ही नहीं हैं, बल्कि इनमें सीवर भी बहता है और बार-बार नालों में गाद भर जाती है।
दिल्ली के ड्रेनेज मास्टर प्लान पर कभी नहीं हुआ गंभीरता से काम
दिनेश कुमार बोले, मैं जब दिल्ली लोक निर्माण विभाग में प्रमुख अभियंता था तो सरकार का अधिक दबाव होने पर एक बार मैंने कुछ नाले मार्च में ही साफ करा दिए, मगर जून आते-आते उन्हें फिर से साफ कराना पड़ा, क्योंकि उनमें गाद भर चुकी थी। दिल्ली में तमाम एजेंसियों के नाले हैं।
नई दिल्ली नगरपालिका परिषद, लोक निर्माण विभाग, दिल्ली नगर निगम और सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग के पास बरसाती नाले हैं और इन सबकी अपने-अपने नाले साफ रखने की जिम्मेदारी है। जहां तक जलभराव की बात है तो दिल्ली के ड्रेनेज मास्टर प्लान पर कभी गंभीरता से काम ही नहीं हुआ है। इससे भी दिल्ली में समस्या है।
एक सदी पहले बना था दिल्ली का ड्रेनेज मास्टर प्लान
दिल्ली का पहला ड्रेनेज मास्टर प्लान एक सदी से भी पहले यानी वर्ष 1911 में बना था। उस समय दिल्ली की आबादी 2.30 लाख थी, जबकि आज यह करीब दो करोड़ पहुंच गई है। बड़े पैमाने पर अनियोजित विकास हुआ है, जिसके कारण स्थिति बद से बदतर होती जा रही है।
1968 में इस प्लान की समीक्षा हुई और 1976 में नया ड्रेनेज मास्टर प्लान बनाया गया, लेकिन उस पर भी ज्यादा काम नहीं हुआ। ड्रेनेज सिस्टम के लिए कुछ बजट केंद्र सरकार देती है, कुछ राज्य सरकार, कुछ एमसीडी और कुछ अन्य विभाग। मास्टर प्लान में भी ड्रेनेज का केवल एक ही चैप्टर रहता है, इससे अधिक नहीं।
दिल्ली एक ऐसा शहर है जो 65 प्रतिशत तक अनियोजित तरीके से बसा है। जहां सुनियोजित तरीके से ड्रेनेज सिस्टम नहीं बनाया गया है, यहां 1700 अनियमित कालोनियां हैं। समाधान यही है कि हर वर्ष नालों की सफाई उचित समय पर और सही तरीके से हो।