Friday, November 8, 2024
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दिल्ली बीजेपी जिला अध्यक्ष पद के लिए दौड़ शुरू, नार्थ वेस्ट में कौन आगे ?

-राजेंद्र स्वामी , दिल्ली दर्पण दिल्ली

मिशन 2024 में हैट्रिक बनाने के अभियान में लगी बीजेपी इस बार भी मोदी के चेहरे पर ही चुनाव नहीं लड़ने जा रही बल्कि मोदी सरकार के काम काज को भी  जनता के बीच ले जा रही है। बीजेपी ने इस अभियान में अपने संगठन को भी जिम्मेदारी दी है। यही वजह है कि दिल्ली में भी बीजेपी अध्यक्ष पर जल्द से जल्द अपनी टीम घोषित करने का दबाव है। इसे देखते हुए दिल्ली बीजेपी में जिला अध्यक्ष पद की रेस तेज़ हो गयी है। दिल्ली में बीजेपी अपने जिला अध्यक्षों की नियुक्ति के लिए मंथन कर रही है। चुनावी साल में जिला अध्यक्ष पद पर बड़े नेताओं के आशीर्वाद से ज्यादा समीक्षा इस बात पर की जा रही है कि मौजूदा स्थिति में कौन देवदार सबसे अधिक  सक्षम और उपयोगी होगा। नार्थ वेस्ट जिला अध्यक्ष पर भी ख़ास जोर है। सांसद हंस राज हंस के संसदीय नार्थ वेस्ट में करीब आधा दर्जन उम्मीदवारों के नाम पर मंथन हो रहा है। इनमें वर्तमान  में जिला महामंत्री सुनील मित्तल उर्फ़ सोनू ,पूर्व जिला अध्यक्ष वेदपाल मान ,पूर्व निगम पार्षद अलोक शर्मा ,सुरेंद्र खरब ,पूर्व जिला अध्यक्ष नीलदमन खत्री , विनोद सहरावत ,देवेंद्र सोलंकी, आदि नामों के के साथ कुछ नाम गंभीरता से विचार हो रहा है। नार्थ वेस्ट जिला में दिल्ली देहात क्षेत्र भी आता है। यही वजह है कि इस जिले में ज्यादातर जाट समुदाय से ही जिला अध्यक्ष बनाते आ रहे है लेकिन इस बार बीजेपी जातीय समीकरण के साथ उनकी योग्तया और स्वीकार्यता पर भी गहन मंथन कर रही है।

दिल्ली देहात जाट बहुल और जाट जिला अध्यक्ष के बावजूद भी बीजेपी को बाहरी दिल्ली में नगर निगम और विधान सभा चुनाव में हार का मुँह देखना पड़ा  है। यहाँ तक कि जिला अध्यक्ष खुद अपना चुनाव भी नहीं जीत सके। ऐसे में बीजेपी कैडर में ही सवाल उठ रहे है कि यहाँ हर बार जाट कार्यकर्ता ही जिला अध्यक्ष क्यों बनें ? नॉर्थ वेस्ट जिले में पूर्व नरेला विधायक नील दमन खत्री , विनोद सहरावत , दो बार जिला अध्यक्ष रह चुके है। देवेंद्र सोलंकी और वेदपाल मान दोनों पार्षद और जिला अध्यक्ष रहें है। पिछले 15 -16 साल से यहाँ लगातार जाट को ही जिला अध्यक्ष बनाया गया है फिर भी बीजेपी को हर चुनाव में झटका क्यों लगा  है? इस सवाल पर तमाम जाट दावेदार जिला अध्यक्ष पद की दौड़ से बहार हो सकतें है इसके पूरी सभावना है। 

इस चुनाव में बनिया ,ब्रह्मण और पंजाबी समीकरण पर भी ध्यान दिया जा रहा है। बाहरी दिल्ली में पंजाबी वोट बैंक केवल नाम मात्र का है। ऐसे में बनिया और ब्राह्मण दावेदारों में दो नाम खासे चर्चा में है। सोनू मित्तल और आलोक शर्मा। अगर दलित की बात करें तो विगत विधानसभा में चुनाव हार चुके रविंद्र इन्द्रराज का नाम भी लिया जा रहा है। यहाँ की नार्थ वेस्ट संसदीय सीट आरक्षित सीट है और रविंद्र इन्द्रराज विधानसभा का चुनाव भी हार  चुका है। उनकी नजर लोकसभा चुनाव पर भी है। ऐसे में या तो वे खुद बाहर होना चाहेंगे या फिर पार्टी उन्हें दरकिनार कर सकती है।  जिला अध्यक्ष पद के लिए पूर्व जिला और मंडल अध्यक्ष सुनील मित्तल उर्फ़ सोनू मित्तल का नाम भी चर्चा में है। सोनू मित्तल के बीजेपी और संघ के बड़े नेताओं से भी अच्छे सम्पर्क है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता के और संघ के बड़े नेताओं के बेहद करीबी मानें जातें है। आदेश गुप्ता पर निगम चुनाव में पैसे लेकर  टिकट बांटने के भी आरोप लगे थे। संघ के एक बड़े नेता के घर लिफ्ट लगाने की चर्चा भी चटकारे के साथ के साथ की जा रहे है। ऐसे इन चर्चाओं के चलते यदि सोनू मित्तल जिला अध्यक्ष बनते है तो पार्टी को आंतरिक विरोध का सामना भी कर सकता है। 

ब्राह्मण कम्युनिटी से अलोक शर्मा भी जिला अध्यक्ष पद के दावेदार है। आलोक शर्मा रोहिणी से निगम पार्षद और रोहिणी जोन के चेयरमैन रहे है। इस बार उनका टिकट काट दिया गया। भाजपा इस चुनाव में ब्रह्मण और पुजारियों को ख़ास तरजीह दे रही है। आलोक शर्मा के नाम पर गुटबाजी भी दिखाई नहीं दे रही है।  ऐसे में यदि  आलोक शर्मा जिला अध्यक्ष बनाते है तो हैरानी नहीं  होनी चाहिए। 

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