हर महीने लेबर चौक पर लगाये जाते हैं जांच एवं जागरूकता शिविर
पिछले छह माह में मिले टीबी के तीन सक्रिय मरीज, एचआईवी से ग्रसित दो श्रमिकों की भी हुई पहचान
नोएडा । राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत वर्ष 2025 तक देश को टीबी मुक्त करने के लिए स्वास्थ्य विभाग तमाम प्रयास कर रहा है। इसके लिए लगातार टीबी रोगी खोज (एक्टिव फाइंडिंग केस) अभियान चलाए जा रहे हैं। इसी कड़ी में विभाग लगातार जनपद के श्रमिकों पर फोकस कर रहा है। श्रमिक टीबी की चपेट में नहीं आयें और उन्हें इस बीमारी के बारे में पूरी जानकारी हो, इसके लिए विभाग जनपद के हर लेबर चौक पर टीबी जांच एवं जागरूकता शिविर का आयोजन करता है। यह जानकारी जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डॉ. शिरीष जैन ने दी।
डा. जैन ने बताया- राष्ट्रीय क्षय नियंत्रण कार्यक्रम के माध्यम से, भारत सरकार टीबी के प्रसार को कम करने और टीबी संक्रमित व्यक्तियों के उपचार को प्रोत्साहित करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने बताया- जागरूकता की कई गतिविधियों का आयोजन किया जाता है, जिससे टीबी के बारे में जागरूकता बढ़ाई जा सके और लोगों को इस बीमारी के लक्षण, रोकथाम और उपचार के बारे में जानकारी मिल सके। इसी कड़ी में स्वास्थ्य विभाग जनपद में श्रमिकों को टीबी के प्रति जागरूक करने का लगातार प्रयास कर रहा है। उन्होंने बताया- इसके लिए जनपद के हर लेबर चौक पर हर महीने टीबी स्क्रीनिंग, जांच एवं जागरूकता शिविर का आयोजन किया जाता है। नोएडा में खोड़ा, सूरजपुर, नगला भंगेल, बरौला और हरौला पांच प्रमुख लेबर चौक हैं। यहां पर विभाग हर महीने शिविर लगाकर श्रमिकों की एचआईवी और टीबी की स्क्रीनिंग करता है। स्क्रीनिंग के दौरान यदि किसी में एचआईवी की पुष्टि होती है तो उसे एआरटी सेंटर रेफर कर दिया जाता है। यदि टीबी के लक्षण नजर आते हैं तो उसे अग्रिम जांच के लिए नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र भेजा जाता है। टीबी की पुष्टि होने पर उसका तुरंत उपचार शुरू कर दिया जाता है।
पीपीएम कोऑर्डिनेटर पवन भाटी ने बताया- इस वर्ष जनवरी से लेकर अब (जून) तक लेबर चौकों पर 40-45 जांच शिविर लगाए जा चुके हैं। इन शिविरों के सार्थक परिणाम सामने आ रहे हैं, एक तो सभी मजदूरों को टीबी के प्रति जागरूक कर उन्हें टीबी के लक्षण और बचाव की जानकारी मिल जाती है। दूसरे जो श्रमिक इस बात से अनजान होते हैं कि उन्हें टीबी है, उनकी बीमारी की पहचान हो जाती है। टीबी की पहचान होते ही उनका उपचार शुरू कर दिया जाता है। उन्होंने बताया पिछले छह माह में आयोजित शिविरों में जनपद में दो एचआईवी और तीन मरीज टीबी के मिल चुके हैं। इनका तत्काल प्रभाव से उपचार शुरू कर दिया गया है।
टीबी के लक्षण- दो सप्ताह से अधिक लगातार खांसी, वजन गिरना, भूख कम लगना, रात में सोते समय पसीना आना, बलगम में खून आना आदि टीबी के लक्षण हैं। यदि इस तरह के लक्षण नजर आते हैं तो तुरंत अपने नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र पर जाकर टीबी की जांच कराएं।
श्रमिकों में टीबी संक्रमण के मुख्य कारक
डॉ. शिरीष जैन का कहना है कि टीबी के कीटाणु हर व्यक्ति के शरीर में मौजूद होते हैं, लेकिन जब रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है तो संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। उन्होंने कहा- आमतौर पर श्रमिकों के काम करने और रहने का स्थान सघन और भीड़भाड़ वाला होता है, जहां टीबी संक्रमण का जोखिम बढ़ जाता है। इसके अलावा बाजारों, निर्माण साइट, औद्योगिक क्षेत्रों, खदानों, और अन्य ऐसे स्थानों पर काम करने वाले श्रमिकों को बड़ी संख्या में लोगों के साथ संपर्क में आना पड़ता है, जिससे टीबी के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। गरीबी, पोषाहार, खाद्य सुरक्षा, उच्च प्रदूषण स्तर और अन्य सामाजिक-आर्थिक कारण भी टीबी संक्रमण का जोखिम बढ़ा देते हैं, क्योंकि पौष्टिक आहार की कमी से रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित हो जाती है और संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।