आप और बीजेपी की लड़ाई के बीच फंसी दिल्ली की जनता
दिल्ली को बर्बाद कर रही एलजी और मुख्यमंत्री की वर्चस्व की लड़ाई
चरण सिंह राजपूत
दिल्ली में आप और बीजेपी में मचा घमासान दिल्ली की जनता को झेलना पड़ रहा है। केंद्र सरकार की शह पर बीजेपी अरविंद केजरीवाल को कुछ नहीं करने दे रही है तो आप भी न केंद्र सरकार को कुछ समझने को तैयार है और न ही एलजी वीके सक्सेना को। वर्चस्व को लेकर चल रही मुख्यमंत्री और एलजी की लड़ाई के बीच एमसीडी का काम प्रभावित हो रहा है। किसी तरह से मेयर और डिप्टी मेयर तो बन गए पर अब स्टैडिंग कमेटी का चुनाव बीच अधर में अटका पड़ा है। जबकि जगजाहिर है कि एमसीडी का राजस्व का मामला स्टैडिंग कमेटी ही देखती है। यदि कोई विकास का काम होता है तो बिल स्टैंडिंग कमेटी ही पास करती है। हाल में ही यह बात भी सुनने को आई थी कि मेयर शैली ओबेराय विकास कार्यों के बिल पास कर दे रहे हैं। बीजेपी ने इस तरह से बिल पास करने को गलत करार दिया है। कुल मिलकर स्टैडिंग कमेटी के न बनने से दिल्ली का काम प्रभावित हो रहा है।
जमीनी हकीकत तो यह है कि दिल्ली की एमसीडी अब दिल्ली का विकास करने वाला सदन नहीं रहा है बल्कि बीजेपी और आप नेताओं के लड़ने का अखाड़ा बन गया है। लड़ाई चाहे सदन में जूतमपैजार की हो या फिर कोर्ट में दांव पेंच की आप और बीजेपी दोनों ही पार्टियों में जैसे होड़ सी लगी है। मेयर चुनाव में एलजी और बीजेपी की मनमानी के चलते आप को सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ा था और मेयर आप की शैली ओबेराय बन गईं। अब स्टैडिंग कमेटी के छह सदस्यों के चुनाव में जमकर जूतमपैजार हुई और बीजेपी को हाई कोर्ट जाना पड़ा। हाई कोर्ट ने फैसला बीजेपी के पक्ष में देकर फिर से चुनाव नहीं कराने का आदेश दिया है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि हर मामले में सुप्रीम कोर्ट जाने वाली आप क्या हाई कोर्ट का फैसला मान लेगी ?
दरअसल दिल्ली हाई कोर्ट ने एमसीडी की स्टैंडिंग कमेटी के 6 सदस्यों के 27 फरवरी को फिर से चुनाव कराने को लेकर मेयर शैली ओबरॉय की ओर से जारी नोटिस पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने इस सम्बंध में दो बीजेपी पार्षद- शिखा राय और कमलजीत सेहरावत की ओर से दायर याचिका पर मेयर, एलजी ऑफिस और एमसीडी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। इसके अलावा कोर्ट ने मेयर को बैलेट बॉक्स, पेपर, सीसीटीवी फुटेज के अलावा 24 फरवरी को हुए चुनाव से जुड़ी जानकारियों को सुरक्षित रखने का आदेश दिया था।
कोर्ट ने मेयर के फैसले को नियमों के खिलाफ माना
हाई कोर्ट ने कहा था कि मेयर शैली ओबेरॉय का पहले हुए चुनाव का परिणाम घोषित किये बगैर नए सिरे से चुनाव करना नियमों ( रेगुलेशन 51- न्यू दिल्ली म्युनिसिपल कारपोरेशन रेगुलेशन, 1997) का उल्लंघन है। कोर्ट का कहना था कि नियमों के मुताबिक मेयर को ये अधिकार ही नहीं है कि वो स्टैंडिंग कमेटी के सदस्यों के चुनाव को इस तरह अमान्य घोषित कर दें। कोर्ट ने कहा था कि 27 फरवरी को चुनाव कराने से कुछ हासिल नहीं होगा। लिहाजा वो मेयर के 24 फरवरी को जारी नोटिस पर अगली सुनवाई तक रोक लगा रहा है। मतलब 27 फरवरी को भी स्टैंडिंग कमेटी का मामला नहीं निपटने जा रहा है। तब आप के दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की बात की जा रही थी।
कोर्ट में दोनों पक्षों की दलीलें
दरअसल दो बीजेपी पार्षद शिखा राय और कमलजीत सेहरावत ने एमसीडी स्टैंडिंग कमेटी के फिर से चुनाव कराने के मेयर के फैसले के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में अर्जी दायर की थी। शनिवार को अवकाश के दिन हाई कोर्ट की स्पेशल बेंच ने सुनवाई की थी। पार्षदों की ओर से महेश जेठमलानी पेश हुए थे। कोर्ट को बताया गया था कि स्टैंडिंग कमेटी के सदस्यों का चुनाव 24 फरवरी को ही चुका है, लेकिन मेयर ने बिना चुनाव परिणाम घोषित किये उसी दिन फिर से चुनाव कराने का नोटिस जारी कर दिया। मेयर का ये फैसला मनमाना और नियमों के खिलाफ है।
उधर दूसरी ओर मेयर की ओर से पेश वकील ने दलील दी थी कि पार्षदों के सदन के अंदर गैरवाजिब व्यवहार के चलते और मेंबर सेक्रेटरी और टेक्निकल एक्सपर्ट का मेयर को सहयोग न मिलने के चलते उनके पास 24 फरवरी को हुए चुनाव की अमान्य घोषित कराने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था। दिल्ली की पॉवर एलजी को मिले या मुख्यमंत्री को, इस विवाद में तब यह मामला लटका पड़ा है। अब जब केंद्र सरकार ने दिल्ली सेवा बिल पास कराकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को दी गई पॉवर एलजी दे दी तो आप पार्टी का पूरा फोकस एलजी से पॉवर लेने पर है।